अजमेर, 16 दिसंबर। अजमेर के घूघरा क्षेत्र में दबंगों के खिलाफ संघर्ष कर रही प्रोफेसर नीलम जोशी आज देशभर की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं। अपने पति, रेल अधिकारी मुकेश जोशी की हत्या के बाद नीलम ने अदम्य साहस दिखाते हुए न्याय की लड़ाई लड़ी और एक हत्यारे को उम्रकैद की सजा दिलवाई। हालांकि इस मामले के दो अन्य आरोपी अब भी सजा से दूर हैं, लेकिन नीलम ने हार न मानने की ठान रखी है।
21 जून 2016 को जब नीलम के पति मुकेश जोशी घर लौट रहे थे, तब अजमेर के घूघरा रोड पर दबंगों ने उन पर लाठियों और धारदार हथियारों से हमला कर दिया। इस हमले में मुकेश की मौके पर ही मौत हो गई। नीलम ने इस दुखद घटना को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया और न्याय की लड़ाई शुरू की।
घूघरा क्षेत्र के प्रभावशाली दबंगों ने नीलम को डराने-धमकाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन वह डटी रहीं। 12 दिसंबर को अजमेर की पॉक्सो अदालत संख्या-2 के न्यायाधीश रंजन सिंह ने हत्या के एक आरोपी हेमराज को उम्रकैद और एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। हेमराज उस समय नाबालिग था, लेकिन अदालत ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए नरमी बरतने से इनकार कर दिया।
नीलम ने कहा कि उनके पति की आत्मा को आज शांति मिली होगी, लेकिन उनका संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक बाकी दो आरोपी, भागचंद मावता और उसका बेटा गोपी किशन, भी सजा नहीं पा जाते। इन दोनों का मामला जयपुर की जिला एवं सत्र न्यायाधीश अमानिका सारण की अदालत में विचाराधीन है।
नीलम ने बताया कि आरोपियों की प्रभावशाली स्थिति के चलते वे न्याय प्रक्रिया में रुकावट डालने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि न्यायाधीश सारण ने यह स्पष्ट कर दिया है कि 10 जनवरी को नीलम के बयान जरूर दर्ज किए जाएंगे। नीलम को उम्मीद है कि इन दोनों आरोपियों को फांसी की सजा होगी।
नीलम ने बताया कि मामले की सुनवाई को अजमेर से जयपुर स्थानांतरित करवाने के लिए उन्हें हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़नी पड़ी। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले को जयपुर स्थानांतरित करने का आदेश दिया।
नीलम का आरोप है कि उनके पति की हत्या जमीन कब्जाने की नीयत से की गई थी। घूघरा के भू-कारोबारी इसमें शामिल थे। नीलम ने पुलिस जांच में हटाए गए भू-कारोबारियों के नाम भी अदालत के जरिए शामिल करवाने का प्रयास किया है।
नीलम ने बताया कि इस मामले में अब तक 58 गवाहों के बयान हो चुके हैं और 85 दस्तावेज अदालत में प्रस्तुत किए गए हैं। हालांकि घूघरा के दबंग आज भी उन्हें डराने की कोशिश करते हैं, लेकिन नीलम ने हार मानने से इनकार कर दिया है।
नीलम जोशी का संघर्ष हर उस महिला के लिए प्रेरणा है जो अन्याय के खिलाफ लड़ने का साहस रखती है। वह यह संदेश देती हैं कि यदि औरत ठान ले, तो वह बड़े से बड़े अपराधियों और दबंगों को भी हरा सकती है।
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