संस्कृति मंत्रालय ने जनजातीय संस्कृति, कला और साहित्य में अनुसंधान और अध्ययन के लिए अपने स्वायत्त निकायों के जरिये विभिन्न पहल की

संस्कृति मंत्रालय ने अपने स्वायत्त निकायों जैसे साहित्य अकादमी, संगीत नाटक अकादमी और सांस्कृतिक संसाधन और प्रशिक्षण केन्‍द्र (सीसीआरटी) के जरिये जनजातीय संस्कृति, कला और साहित्य पर अनुसंधान और अध्ययन के लिए विशेष कदम उठाए हैं।

सीसीआरटी जनजातीय संस्कृति सहित भारतीय संस्कृति के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए देश भर के स्कूलों में विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करता है। सीसीआरटी ने जनजातीय बहुल क्षेत्रों में यानी क्षेत्रीय केन्‍द्र गुवाहाटी (असम), क्षेत्रीय केन्‍द्र उदयपुर (राजस्थान), क्षेत्रीय केन्‍द्र हैदराबाद और क्षेत्रीय केन्‍द्र दमोह (मध्य प्रदेश) में अपने क्षेत्रीय केन्‍द्र भी स्थापित किए हैं। इन क्षेत्रीय केन्‍द्रों पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों में जनजातीय विशेषज्ञ और कलाकार भी शामिल हैं।

साहित्य अकादमी जनजातीय साहित्य पर देश भर में ऑनलाइन और ऑफलाइन सेमिनार, परिचर्चा आयोजित करती है। इस तरह के कार्यक्रम अब तक क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किए गए हैं, इसके अलावा कई महत्वपूर्ण प्रकाशन भी निकाले गए हैं। इसके अलावा, अकादमी ने इन भाषाओं की आवश्‍यकताओं को विशेष रूप से पूरा करने के लिए अगरतला में एक नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर ओरल लिटरेचर (एनईसीओएल) की स्थापना की है जो संबंधित प्रकाशनों को लाता है और समय-समय पर इन भाषाओं में गतिविधियां और कार्यक्रम भी आयोजित करता है। इन भाषाओं में मिजो, एओ, गारो, चकमा, राभा, कर्बी, हमार, लेपचा, खासी, तंगखुल, मिसिंग, टेनीडाई, कोकबोरोक, जयंतिया, तुलु, गोजरी और हो आदि भी शामिल हैं। साहित्य अकादमी ने 16 से 18 जून 2022 तक शिमला में अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव का आयोजन किया।

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संगीत नाटक अकादमी भारत के पारंपरिक, फोल्‍ड और प्रदर्शन कला के क्षेत्र में अनुसंधान, प्रलेखन और प्रकाशन के लिए लोगों को वित्तीय सहायता देती है।

इसके अलावा, जनजातीय कार्य मंत्रालय “जनजातीय अनुसंधान संस्थानों को सहयोग” की केन्‍द्र प्रायोजित योजना के माध्यम से राज्य जनजातीय अनुसंधान संस्थानों द्वारा किए जाने वाले विभिन्न कार्यों के लिए राज्य/केन्‍द्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। इन राज्‍यों के टीआरआई जनजातीय संस्कृति पर शोध अध्‍ययन/पुस्‍तकों/प्रलेखन के प्रकाशन का काम करता है। इसके अलावा योजना के अंतर्गत ‘जनजातीय अनुसंधान, सूचना, शिक्षा, संचार और कार्यक्रम (टीआरआई-ईसीई)’ योजना के तहत, अनुसंधान संस्थानों को जनजातीय उपचार कार्य प्रणालियों, जनजातीय भाषाओं आदि पर अध्ययन के लिए परियोजनाओं की भी मंजूरी दी गई है।”

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ललित कला अकादमी जनजातीय कलाकार के लाभार्थ दृश्य कला के प्रचार-प्रसार के लिए अनेक कार्य कर रही है।

हाल के वर्षों में इस अकादमी द्वारा निम्नलिखित जनजातीय कला शिविरों का आयोजन किया गया;

यह जानकारी संस्‍कृति एवं पर्यटन एवं पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में दी।

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