मत्स्यपालन क्षेत्र में सहकारी समितियों और महासंघों की भूमिका पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी), मत्स्यपालन मंत्रालय, एएच एंड डी, भारत सरकार ने आज हैदराबाद में ‘मत्स्यपालन क्षेत्र में सहकारी समितियों और महासंघों की भूमिका- पीएमएमएसवाई और एफआईडीएफ योजनाओं में विस्तृत भूमिका की भूमिका’ विषय पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्देश्य सहकारी प्रणाली के माध्यम से मछुआरों को लाभ प्रदान करने के लिए सरकारी मत्स्य विकास योजनाओं के कार्यान्वयन में मत्स्यपालन संघों को शामिल करना है। इस कार्यक्रम ने मत्स्यपालन संघों को अपनी गतिविधियों का प्रदर्शन करने और अपने अनुभवों को साझा करने के लिए एक इंटरैक्टिव मंच के रूप में कामे किया। महासंघों ने मछुआरों और मछुआरा सहकारी समितियों के लाभ के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और मत्‍स्‍यपालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ) जैसी योजनाओं के अंतर्गत उपलब्ध विभिन्न अवसरों, प्रावधानों के अन्वेषण में अपनी गहरी रुचि दिखाई।

कार्यशाला में विभिन्न राज्यों की सहकारी समितियों के सामने आने वाली चुनौतियों और जमीनी स्तर पर व्याप्त गैप को भरने पर उचित ध्यान देने के साथ-साथ मछुआरा सहकारी समितियों को मजबूती प्रदान करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया। मत्स्यपान महासंघों के अधिकारियों को भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में जागरूकता उत्पन्न की गई है, जिससे वे मछुआरा सहकारी समितियों के विकास में सहायता करने के लिए पीएमएमएसवाई और एफआईडीएफ से वित्तीय संसाधनों का दोहन कर सकें।

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इस कार्यशाला में 14 राज्यों अर्थात्; आन्ध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, मिजोरम, ओडिशा, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा के मत्स्यपालन महासंघों के अधिकारियों और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और राष्ट्रीय स्तर के मत्स्यपालन संघ अर्थात् नेशनल फेडरेशन ऑफ फिशर्स को-ऑपरेटिव्स लिमिटेड (फिशकॉप्फेड) ने हिस्सा लिया।

डॉ सी सुवर्णा आईएफएस, मुख्य कार्यकारी, एनएफडीबी ने सभा को संबोधित किया जिसमें उन्होंने भारत सरकार की योजनाओं, जिनमें मत्स्य किसान उत्पादक संगठन (एफएफपीओ) शामिल हैं, के विभिन्न मध्यवर्तनों के माध्यम से मत्स्यपालन सहकारी समितियों को प्रोत्साहित करने के लिए एनएफडीबी की पहल को प्रस्तुत किया। जिला और राज्य स्तरीय मत्स्य संघों में प्राथमिक मछुआरा सहकारी समितियों (पीएफसीएस) के बीच कार्यप्रवाह का एकीकरण करने और समन्वय पर भी बल दिया गया। ब्रांडिंग, संवर्धन क्रियाकलापों, विपणन, मछुआरा सहकारी समितियों के बीच जानकारियों का आदान-प्रदान, विवाद समाधान तंत्र के माध्यम से बाधाओं से निपटने के लिए गैप को दूर करने वाले दृष्टिकोणों पर चर्चा की गई, जिससे सहकारी समितियों को सफल बनाया जा सके। अन्य गणमान्य लोगों में, श्री पी.डी. धेमन, आईएफएस, एमडी, मध्य प्रदेश फिशरीज फेडरेशन ने मछुआरों के विकास में सहयोग देने में महासंघ की भूमिका पर अपना वक्तव्य दिया। श्री बीके मिश्रा, फिशकॉप्फेड के प्रबंध निदेशक (स्वतंत्र प्रभार) ने मछुआरों और सहकारी समितियों की सहायता करने में फिशकॉप्फेड की भूमिका के बारे में बताया और कहा कि पूरे देश में 22,000 मछुआरा सहकारी समितियां कार्यरत हैं और पेशेवर रूप से पीएफसीएस का सशक्तिकरण करने की आवश्यकता है। श्री प्रधु पॉल राज, निदेशक (एफएण्ड टीडी) एनसीडीसी, ने मत्स्यपालन संघों के विकास में एनसीडीसी गतिविधियों और उनकी भूमिका के बारे में प्रस्तुति दी, इसके बाद मत्स्यफेड, केरल, टेफ्कोफेड, तमिलनाडु, असम मात्स्यिकी महासंघ, असम, कर्नाटक सहकारी मात्स्यिकी महासंघ, कर्नाटक, टेस्फकॉफ, तेलंगाना, ओडिशा मात्स्यिकी महासंघ, ओडिशा, ज़ोफ़िशफेड, मिजोरम, राजस्थान फेडरेशन, एएफकॉफ, आंध्र प्रदेश, टेफसल, त्रिपुरा और झारखंड राज्य सहकारी मात्स्यिकी संघ, झारखंड के अनुभवों और सफलता की कहानियों को साझा किया। बैठक का समापन आईएफएस डॉ सी सुवर्णा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा समापन भाषण के साथ किया गया। यह कहा गया कि पंचायतों और सहकारी समितियों के बीच विवादों का समाधअन राज्य मत्स्यपालन विभाग के मध्यवर्तन के माध्यम से किए जाने की आवश्यकता है। कोल्ड चेन विकास के माध्यम से परिवहन, विपणन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, जिसके लिए महासंघों को मछुआरा सहकारी समितियों और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के लिए सर्वोत्तम मूल्य का समर्थन करने पर विशेष ध्यान केंद्रित करना होगा। केसीसी को मत्स्यपालन सहकारी समितियों और महासंघों द्वारा ध्यान में रखना बहुत जरूरी है। कुल मिलाकर 50 सदस्यों ने इस इंटरैक्टिव सत्र में हिस्सा लिया।

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