भारतीय राष्ट्रीय आभासी पुस्तकालय (एनवीएलआई) में कुल 3.04 लाख डिजिटल कलाकृतियां और 34.91 लाख से अधिक ग्रंथ सूची प्रविष्टियां हैं: श्री जी. किशन रेड्डी

भारतीय राष्ट्रीय आभासी (वर्चुअल) पुस्तकालय को भारत की मूर्त और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के सभी रूपों को प्रदर्शित करने के लिए 10.12.2019 को भारतीय संस्कृति पोर्टल (आईसीपी) के रूप में विकसित और लॉन्च किया गया था। इसका यूआरएल https://indianculture.gov.in है, जो पब्लिक डोमेन पर उपलब्ध है। इस पोर्टल की मौजूदा स्थिति का सारांश निम्नलिखित है: –

· इसमें मेटाडेटा के साथ कुल 3.04 लाख डिजिटल कलाकृतियां हैं। इसमें 34.91 लाख से अधिक ग्रंथ सूची प्रविष्टियां भी हैं।

· इसकी सामग्री को 18 क्यूरेटेड श्रेणियों में प्रस्तुत किया गया है। इनमें दुर्लभ पुस्तकें, ई-पुस्तकें, अभिलेखागार, राजपत्र व गजेटियर, पांडुलिपियां, संग्रहालय संग्रह, पेंटिंग, ओडियो, अमूर्त सांस्कृतिक विरासत, फोटो अभिलेखागार, चित्र, वीडियो, यूनेस्को की सामग्री, शोध पत्र, भारतीय राष्ट्रीय ग्रंथ सूची, रिपोर्ट व कार्यवाही, संघीय सूची और अन्य सूचियां शामिल हैं।

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· इसमें निर्मित विषय सामग्री की 12 श्रेणियां भी हैं। इनमें कहानियां, स्निपेट्स, फोटो निबंध, भारत के किले, भारत के वस्त्र व कपड़े, भारत के ऐतिहासिक शहर, भारत के संगीत वाद्ययंत्र, खान- पान व संस्कृति, वर्चुअल वॉकथ्रू (पूर्वाभ्यास), स्वतंत्रता अभिलेखागार – विस्मृत नायक, अजंता गुफाएं और उत्तर-पूर्व पुरालेख हैं।

· वर्तमान में पोर्टल अंग्रेजी और हिंदी में उपलब्ध है।

· इस पोर्टल पर इंडियन कल्चर नामक एप के माध्यम से पहुंचा जा सकता है, जो एंड्रॉइड फोन और आईफोन दोनों पर उपलब्ध है।

· पोर्टल उमंग एप के माध्यम से उपलब्ध है।

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मंत्रालय यह सुनिश्चित करता है कि उसके सभी संगठन नियमित रूप से इंडियन कल्चर पोर्टल पर एकीकरण के लिए भारतीय राष्ट्रीय आभासी पुस्तकालय को ग्रंथ सूची और डिजिटल, दोनों संसाधन सौंपें। भारतीय राष्ट्रीय आभासी पुस्तकालय के तहत पूरे देश के शैक्षणिक संस्थानों में इंडियन कल्चर पोर्टल को बढ़ावा देने के लिए एक आउटरीच टीम का गठन किया गया है। इंडियन कल्चर (एनवीएलआई परियोजना) को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में दैनिक आधार पर प्रस्तुतियां व कार्यक्रम आदि आयोजित किए जाते हैं।

यह जानकारी केंद्रीय संस्कृति मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में दी।

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