एनसीडब्ल्यू ने ‘गरिमा के साथ जीने हेतु यौनकर्मियों के लिए अनुकूल परिस्थितियां’ विषय पर परामर्श का आयोजन किया

इस परामर्श के माध्यम से आयोग ने हाशिए पर पड़े यौनकर्मियों को सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से अवगत कराने एवं उनकी सुरक्षा के लिए इसका उपयोग कैसे करें, यौनकर्मियों के मानवाधिकारों एवं मौलिक अधिकारों के साथ-साथ यौनकर्मियों और उनके बच्चों की गरिमा की रक्षा के लिए जनता को संवेदनशील बनाने जैसे विषयों पर व्‍यापक चर्चा की। 

सुश्री रेखा शर्मा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग, सुश्री मीता राजीवलोचन, सदस्य सचिव, राष्ट्रीय महिला आयोग और आयोग की अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थीं। यौनकर्मियों की समस्याओं को समझने के लिए बैठक में शामिल होने के लिए देश भर से हितधारकों या संबंधित पक्षों को आमंत्रित किया गया था। आज के विचार-विमर्श में शामिल होने वाले कुछ संगठन ये थे – यौनकर्मियों का अखिल भारतीय नेटवर्क, सहेली संघ, संग्राम, कट-कथा फाउंडेशन, गुरिया इंडिया, दरबार, यौनकर्मियों का राष्ट्रीय नेटवर्क, वीएएमपी, अपने आप वीमेन्स कलेक्टिव, महिला जागृत सेवा भावी संस्था, एसआईएएपी, कर्नाटक यौनकर्मी संघ और महिलाओं की पहल (मैं और मेरी दुनिया)। 

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अपने उद्घाटन भाषण में अध्यक्ष सुश्री रेखा शर्मा ने कहा कि हर नागरिक की तरह  ही यौनकर्मी भी सभी अधिकारों एवं गरिमापूर्ण जीवन की हकदार हैं और उन्हें अवसर एवं आवश्‍यक सहयोग प्रदान करना अत्‍यंत आवश्‍यक है। सुश्री शर्मा ने कहा, ‘आज के परामर्श का उद्देश्य यौनकर्मियों की समस्याओं को समझना और उन्हें बेहतर संस्थागत सहयोग प्रदान करने एवं उनके अधिकारों को मुख्यधारा में लाने में मदद करने के लिए अच्‍छी तरह से सोच-समझ कर भविष्य का रोडमैप तैयार करना है।’

प्रतिभागियों ने पुलिस अधिकारियों को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता पर विशेष बल दिया क्योंकि यौनकर्मियों के साथ व्यवहार करते समय उनके आचरण में व्‍यापक हिंसा/शक्ति का दुरुपयोग देखा जाता है। प्रतिभागियों ने विशेष जोर देते हुए यह भी कहा कि यौनकर्मियों और उनके बच्चों तक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और विभिन्‍न लाभों की पहुंच को आसान बनाया जाना चाहिए। प्रतिभागियों ने यौनकर्मियों का शारीरिक, सामाजिक एवं मानसिक आरोग्‍य सुनिश्चित करने और यौनकर्मियों की सहमति के बिना ही उनकी तस्वीरें साझा करने पर मीडिया को संवेदनशील बनाने पर भी चर्चा की।

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इसके अतिरिक्त, विशेषज्ञों ने आश्रय गृहों की निगरानी करने पर भी चर्चा की क्योंकि वे आगे उत्पीड़न का कारण बन सकते हैं, जिसके तहत यह सुनिश्चित किया जाए कि पुनर्वास जबरन न हो और यौनकर्मियों एवं उनके बच्चों को शैक्षणिक और कौशल विकास के अवसर प्रदान किए जाएं।

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एमजी/एएम/आरआरएस/वाईबी