एनसीडब्ल्यू ने “भारत में ट्रांसवुमन, समावेशन वृद्धि: समस्याएं और संभावनाएं” विषय पर परामर्श आयोजित किया

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने ट्रांसवुमन के लिए अपना पहला परामर्श सत्र “भारत में ट्रांसवुमन, समावेशन वृद्धि: समस्याएं और संभावनाएं” आयोजित किया, ताकि इस समुदाय के लोगों से जुड़ी भ्रांतियों को दूर किया जा सके और समाज में उनकी स्वीकृति एवं भागीदारी के संबंध में बातचीत आगे बढ़ाई जा सके।

इस परामर्श के माध्यम से आयोग ने शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, नीति निर्माताओं, नागरिक समाज के सदस्यों और स्वयं ट्रांस-महिलाओं को एक व्यापक मंच देने का प्रयास किया है ताकि उन समस्याओं का विश्लेषण किया जा सके जिनका सामना वे विभिन्न क्षेत्रों में करती हैं और ट्रांस महिलाओं के कल्याण के लिए भविष्य के निर्देशों व नीतिगत प्रस्तावों पर चर्चा की जा सके।

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष सुश्री रेखा शर्मा, एनसीडब्ल्यू की सदस्य सचिव सुश्री मीता राजीवलोचन, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री राधिका चक्रवर्ती, एनसीडब्ल्यू के संयुक्त सचिव श्री अशोली चलाई और आयोग के वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे। ट्रांस-वुमन कम्युनिटी के लिए काम करने वाले संगठनों के हितधारक और प्रतिनिधि, पुलिस, एनएएलएसए, डीएलएसए के अधिकारी और खुद को ट्रांस-वुमन के तौर पर पहचानने वाले व्यक्तियों ने इस परामर्श में भाग लिया। आज के विचार-विमर्श में सहोदरी फाउंडेशन, हमसफर ट्रस्ट, महिला जागृत सेवाभावी संस्था, ट्रांस केयर इंडिया, नाज़ फाउंडेशन, उड़ान ट्रस्ट, एलायंस इंडिया आदि संगठनों ने भी हिस्सा लिया।

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अपने उद्घाटन भाषण में सुश्री रेखा शर्मा ने कहा कि एक ट्रांसवुमन को अपने परिवार और समाज में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा, “ये परामर्श उन समस्याओं और चुनौतियों के बारे में ज्यादा है जिनका सामना इस समुदाय के सदस्य करते हैं। हमारा संविधान प्रत्येक नागरिक को सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार देता है और हमें सभी के लिए समानता प्राप्त करने की दिशा में सामूहिक रूप से काम करना है। हमारा आयोग ट्रांसवुमन की शिकायतों को स्वीकार करता रहा है और इस परामर्श के माध्यम से हम उनके सामने आने वाली समस्याओं के निवारण के लिए रूपरेखा को आकार देना चाहते हैं।”

अपने संबोधन में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री राधिका चक्रवर्ती ने कहा कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय पोर्टल, इस समुदाय के लिए शुरू की गई सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए एंड टू एंड सुविधाएं प्रदान करता है और सिर्फ स्वयं को प्रकट करने वाला एक पहचान दस्तावेज ही इसके लिए एकमात्र जरूरी शर्त है। उन्होंने सरकार की गरिमा गृह योजना के बारे में भी बताया जिसका उद्देश्य ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए आश्रय, भोजन, चिकित्सा और मनोरंजक जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है।

इस परामर्श में हिस्सा लेने वाले पैनलिस्टों ने ट्रांसवुमन और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की। इन पैनलिस्टों ने प्राथमिकता के साथ जनता को संवेदनशील बनाने और स्कूलों एवं शैक्षणिक संस्थानों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए एक परामर्श तंत्र विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। विशेषज्ञों ने ये भी सिफारिश की कि ट्रांसवुमन के माता-पिता और परिवार वालों को परामर्श दिया जाए कि वे अपने बच्चों को न छोड़ें, उन्हें संपत्ति के अधिकार दें और ट्रांस-महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम निर्मित किए जाएं।

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इसके अतिरिक्त विशेषज्ञों ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 को लागू करने की सराहना की और इस अधिनियम के उचित कार्यान्वयन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने ट्रांसवुमन के लिए कौशल निर्माण कार्यशालाएं आयोजित करने और चिकित्सा व सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तथा बीमा तक पहुंच सुनिश्चित करने का सुझाव दिया। उन्होंने छात्रों और शिक्षकों को संवेदनशील बनाने के लिए स्कूलों में एक समावेशी पाठ्यक्रम शुरू करने की आवश्यकता की भी सिफारिश की क्योंकि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों में स्कूल ड्रॉपआउट रेट बहुत ज्यादा है। अन्य सुझावों और सिफारिशों में ट्रांसवुमन की समस्याओं के समाधान के लिए एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन स्थापित करना भी शामिल था।

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