कृषि और किसान कल्याण विभाग के सचिव ने कृषि क्षेत्र में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए एमएनसीएफसी को उत्कृष्टता केंद्र में बदलने को लेकर तकनीकी सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार हमेशा कृषि क्षेत्र और किसानों के लाभ के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग पर बल देती रही है। केंद्र सरकार ने डिजिटल कृषि को बढ़ावा देने की दिशा में कई पहल की हैं। कृषि मंत्रालय ने फसल का अनुमान लगाने के बारे में सुदूर संवेदी उपग्रह और भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) प्रौद्योगिकियों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, वर्ष 2012 में कृषि और किसान कल्याण विभाग से संबद्ध एक कार्यालय के रूप में एक विशेष संगठन ‘महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र(एमएनसीएफसी)’ की स्थापना की गई थी। हाल के समय में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी में हुई प्रगति को ध्यान में रखते हुए, कृषि और किसान कल्याण विभाग ने कृषि संबंधी निर्णय करने के समर्थन में प्रौद्योगिकी समाधानों को बढ़ाने की आवश्यकता को स्वीकार किया है।

इस दिशा में, कृषि और किसान कल्याण विभाग के सचिव श्री मनोज आहूजा की अध्यक्षता में नई दिल्ली में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के क्षेत्र में एमएनसीएफसी को उत्कृष्टता केंद्र में बदलने और मज़बूत करने के लिए तकनीकी सलाहकार समिति की पहली बैठक आयोजित की गई थी। भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन-इसरो केंद्रों, अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय उन्नत अध्ययन संस्थान के विशेषज्ञों तथा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बैठक में भाग लिया।

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श्री आहूजा ने कृषि क्षेत्र में कई हितधारकों द्वारा बेहतर निर्णय लेने के लिए वैज्ञानिक सूचना उत्पादों और सेवाओं को विकसित करने के लिए उपग्रहों, ड्रोन, स्मार्ट फोन, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस /मशीन लर्निंग तकनीकों के उपयोग को बढ़ाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

राष्ट्रीय उन्नत अध्ययन संस्थान, बेंगलुरु के निदेशक और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव डॉ. शैलेश नाइक ने एमएनसीएफसी को एक प्रमुख प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में उन्नत करने की वर्तमान पहल की प्रशंसा की और फसल की निगरानी करने के बारे में वैश्विक पहल में भाग लेने की सलाह दी।

विचार-विमर्श के बाद, समिति की प्रमुख सिफारिशों में नई प्रौद्योगिकियों और डेटा संबंधी उत्पादों को अपनाना, हाल ही में लॉन्च किए गए भारतीय माइक्रोवेव उपग्रह आरआईएसएटी-1ए डेटा का उपयोग, जैव-भौतिक उत्पादों का उपयोग, स्वचालित फसल मानचित्रण के लिए आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग तकनीकों का बेहतर उपयोग, फसल स्वास्थ्य निगरानी व फसल उपज अनुमान, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, निजी और स्टार्ट-अप संगठनों के साथ सहयोग करना शामिल है। समिति ने सभी उन्नत प्रौद्योगिकी समाधानों के उपयोग को बढ़ाने के लिए एमएनसीएफसी में राष्ट्रीय ढांचे को विकसित करने और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में इन समाधानों को मुख्यधारा में लाने में सक्षम बनाने पर भी चर्चा की। इस तरह की राष्ट्रीय पहलों को विकसित करने के प्रमुख विषयों में फसल निगरानी और अनुमान, कृषि में आपदा जोखिम में कमी, किसान केंद्रित सेवाएं, जैसे मौसम, कीट/रोग निगरानी सलाहकार, पोषक तत्व प्रबंधन सलाहकार और कृषि-वानिकी निर्णय समर्थन तथा पर्यावरण और ऊर्जा शामिल हैं।

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अपर सचिव श्री अभिलक्ष लिखी द्वारा इस बात पर जोर दिया गया कि मंत्रालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) में मौजूदा परियोजनाओं और योजनाओं में वर्तमान में उपलब्ध डेटा व विशेषज्ञता को शामिल करके बागवानी क्षेत्र में उपग्रह आधारित आकलन का विस्तार किया जाए।

संयुक्त सचिव (डिजिटल कृषि), श्री प्रमोद कुमार मेहरदा ने आशा व्यक्त की कि इसरो जैसी प्रौद्योगिकी संस्थाओं के समर्थन से, एमएनसीएफसी कृषि क्षेत्र में समग्र रूप से डिजिटल प्रौद्योगिकियों के सभी संभावित लाभों को प्राप्त करने के लिए पूरी तरह से तैयार होगी।

 

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