एक अन्य रक्षा परियोजना में सहायता करते हुए प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड – विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (टीडीबी-डीएसटी) एसयू – 30एमके1 विमानों तथा 1500 एचपी युद्धक टैंक इंजन के लिए महत्वपूर्ण स्वदेशी कलपुर्जों एवं उपकरणों के निर्माण मे सह्योग दे रहा है

भारत सरकार अपनी प्रमुख ‘मेक इन इंडिया’ पहल का समर्थन करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। हाल के वर्षों में, देश ने भारत में वैश्विक निवेश को सुविधाजनक बनाने और स्थानीय विनिर्माण को मजबूत करने की दिशा में प्रयास तेज कर दिए हैं। रक्षा क्षेत्र स्वदेशीकरण की दिशा में ध्यान केन्द्रित किए जाने का एक प्रमुख क्षेत्र रहा है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के सक्षम नेतृत्व में स्वदेशी डिजाइन, विकास को प्रोत्साहित करने के लिए कई नीतिगत पहल और सुधार किए गए हैं। इस प्रकार, रक्षा उपकरणों के आयात पर निर्भरता कम की गई है।

इसके एक हिस्से के रूप में, रक्षा मंत्रालय ने उद्योग द्वारा स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए ‘सृजन –एसआरआईजेएएन’ पोर्टल शुरू किया है। अभी तक जो 19509 रक्षा मदें आयात की जा चुकी थीं उन्हें अब स्वदेशीकरण के लिए इस पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया है। भारतीय उद्योग ने इन मदों में से अब तक 4006 रक्षा वस्तुओं के स्वदेशीकरण के लिए रुचि दिखाई है। सरकार की इन पहलों के कारण विदेशी स्रोतों से रक्षा खरीद पर होने वाला खर्च 46% से घटकर 36% रह गया है, जिससे पिछले 3 (तीन) वर्षों में यानी 2018-19 से 2020-21 तक आयात का बोझ भी कम हुआ है। इसके अलावा, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की रक्षा कंपनियों के उत्पादन का मूल्य 79,071 करोड़ रु. से पिछले दो वर्षों यानी 2019-20 और 2020-21 में 84,643 करोड़ रुपये रुपये तक बढ़ गया है।

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इस सार्वजनिक – निजी प्रयास के पूरक के रूप में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक सांविधिक निकाय प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) मेसर्स गाजियाबाद प्रिसिजन प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, (जीपीपी), गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश को क्रमशः एसयू-30एमके1 एयरक्राफ्ट के सहायक घटकों  जैसे – रोटरी पाइप यूनियन और कवर, 1500 एचपी युद्धक (बैटल) टैंक इंजन के वाल्व ट्रेन घटक और नियमित बीईएमएल इंजन के इंजन उपकरणों के वाल्व ट्रेन घटक की महत्वपूर्ण मशीनिंग और निरीक्षण प्रक्रिया द्वारा विकास के लिए सहायता प्रदान करती है। टीडीबी ने कुल परियोजना लागत के ₹14.2 करोड़ में से ₹5.5 करोड़ की सहायता को मंजूरी दी है। इस परियोजना के माध्यम से इस कंपनी का लक्ष्य हिंदुस्तान एयरोनॉटिक लिमिटेड (एचएएल) को ‘सुखोई -30 एमके!’ के अति महत्वपूर्ण  मशीनीकृत सहायक घटकों के विकास एवं आपूर्ति,  संग्राम वाहन अनुसंधान तथा विकास संस्थापन (कॉम्बैट व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट – सीवीआरडीई ), अवाडी और बीईएमएल को नियमित भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) इंजन द्वारा विकसित किए  जा रहे सुसज्जित युद्धक वाहन (आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल –  एएफवी) के लिए 1500 एचपी 12 वी, 25 लीटर क्षमता वाले डीजल इंजन के वाल्व ट्रेन घटक के लिए एक सुविधा की स्थापना करना है। जीपीपी एचएएल और बीईएमएल दोनों के लिए एक पंजीकृत विक्रेता है और इस वह परियोजना के माध्यम से कुछ घटकों के लिए आयात प्रतिस्थापन की प्रक्रिया में भाग लेगाI

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प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) के सचिव, आईपी एंड टीएएफएस,  श्री राजेश कुमार पाठक ने कहा “भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अंतर्गत स्वदेशी विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में मदद करने के उद्देश्य से टीडीबी स्थानीय क्षमता निर्माण को बढ़ाने के लिए व्यापक घरेलू अनुप्रयोगों हेतु रक्षा, स्वास्थ्य और फार्मा, ऑटोमोबाइल और ड्रोन निर्माण जैसे क्षेत्रों में इस तरह के महत्वपूर्ण मशीन घटकों और सेवाओं के लिए निजी निर्माताओं के माध्यम से कई आयातित प्रौद्योगिकियों का समर्थन कर रहा है। यह परियोजना रक्षा क्षेत्र के लिए एक ऐसी पहल है जिसमें मैसर्स गाजियाबाद प्रिसिजन प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड भारतीय वायु सेना के लड़ाकू बेड़े की रीढ़ कहे जाने वाले एसयू -30 एमके1 युद्धक विमान के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण कलपुर्जों एवं घटकों का निर्माण करेगी।”

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