केन्‍द्रीय पंचायती राज मंत्रालय लखनऊ में “स्मार्ट विलेज पंचायत : ग्रामीण समुदायों का सशक्तिकरण, कोई भी पीछे न छूटे” पर एक सम्मेलन का आयोजन करेगा

प्रधानमंत्री के ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के विजन को साकार करने के लिए स्मार्ट विलेजेस तैयार करने और उनके विकास की जरूरत है, जो जमीनी स्तर पर सेवा और रोजगार देने के लिए स्वतंत्र हों। इस संदर्भ में कल से लखनऊ में “स्मार्ट विलेज पंचायत : ग्रामीण समुदायों का सशक्तिकरण, कोई भी पीछे न छूटे” पर दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह और केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल इस दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। उद्घाटन सत्र के दौरान पंचायती राज इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रेनिंग (पीआरआईटी), उत्तर प्रदेश द्वारा जीआईजेड के साथ मिलकर तैयार ई-लर्निंग मॉड्यूल को लॉन्च किया जाएगा और पंचायती राज विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा साझीदार संगठन यूनिसेफ के साथ मिलकर लोकलाइजेशन ऑफ सस्टेनेबिल डेवलपमेंट गोल्स (एलएसडीजी) पर तैयार प्रशिक्षण मॉड्यूल को जारी किया जाएगा।

केंद्र और राज्य सरकारों के मिलकर विभिन्न विकास कार्यक्रमों को लागू करने के साथ, स्मार्ट गांव में समग्र ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए बेहतर, स्मार्ट तरीके खोजने के लिए विभिन्न नीतियों को बनाने पर जोर दिया जाएगा। यह हमारे नागरिकों के जीवन में मूल्य वर्धन के लिए मौजूदा और उभरती प्रौद्योगिकियों तथा सामाजिक नवाचारों का उपयोग करने से संबंधित है। यह गांवों को अपनी चुनौतियों का समाधान करने के लिए साधन देने के साथ-साथ समग्र रूप से समाज के सामने आने वाली बड़ी चुनौतियों में योगदान देने के बारे में है।

यह भी पढ़ें :   केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में डीओपीटी, सिविल सेवकों की संस्थागत क्षमता निर्माण का समन्वय कर रहा है और इस उद्देश्य के लिए क्षमता निर्माण आयोग (सीबीसी), प्रशासनिक सुधार विभाग (डीएआरपीजी), एलबीएसएनएए मसूरी, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) और आईएसटीएम के साथ सक्रिय भागीदारी में एक एकीकृत दृष्टिकोण को अपनाया जा रहा है

स्मार्ट विलेज पंचायतें जमीनी स्तर पर लचीलेपन में सुधार, स्थानीय क्षमताओं और अवसरों के विकास की दिशा में नवीन समाधान विकसित करेंगी। वे मुख्य रूप से डिजिटल प्रौद्योगिकियों के माध्यम से आर्थिक विकास, सामाजिक उत्थान और पर्यावरण सुरक्षा के लिए भागीदारी पूर्ण दृष्टिकोण पर निर्भर होंगे। भागीपूर्ण दृष्टिकोण में अपने स्मार्ट विलेज पंचायत की रणनीति पर विचार विमर्श और फैसले लेने में स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी शामिल होगी।

दो दिवसीय सम्मेलन में डिजिगांव, ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता, केरल में एकीकृत स्थानीय शासन प्रबंधन प्रणाली (आईएलजीएमएस), स्मार्ट विलेज पंचायतों का वित्तीय विकास, ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल नेटवर्क कवरेज बढ़ाना, कुशल शासन और आर्थिक विकास के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी, ग्रामीण कनेक्टिविटी के लिए प्रौद्योगिकी विकल्प, स्मार्ट विलेज पंचायतों में स्मार्ट कनेक्टिविटी की भूमिका, उन्नत भारत अभियान, डिजिटल लाइब्रेरी- कर्नाटक, अपस्किलिंग रूरल इंडिया, ग्रामीण क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने में चुनौतियां, कम लागत वाले और वाणिज्यिक रूप से व्यवहार्य ऊर्जा समाधान, ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की पहल, कृषि में परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियां, कृषि अवशेष प्रबंधन, स्मार्ट कृषि अवसर, भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर एक जिला एक उत्पाद योजना का प्रभाव, ग्रामीण बाजार और रूरल ई-कॉमर्स में अवसर, ई-चौपाल मॉडल- भारतीय एग्रीबिजनेस क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी का दोहन, स्मार्ट एग्रीकल्चर में सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाएं, मीननगड़ी पंचायत, केरल- कार्बन न्यूट्रैलिटी की ओर, ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरण अनुकूल प्रक्रियाएं, आईटी और संबंधित प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने वाले नागरिक केंद्रित स्वास्थ्य देखभाल, आंध्र प्रदेश की इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड पहल, ग्रामीण स्वास्थ्य तैयारी और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास, पूर्वोत्तर भारत में स्मार्ट विलेज पंचायतों में सामुदायिक एकजुटता और भागीदारी पर प्रस्तुतीकरण दिए जाएंगे।

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इस कार्यक्रम में कई उद्योग विशेषज्ञों के साथ-साथ विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि/ वरिष्ठ अधिकारी और नीति निर्माताओं एवं शासन तथा नागरिक सेवाओं के सुधार से जुड़े प्रमुख व्यक्ति शामिल होंगे।

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