अवसंरचना वित्त सचिवालय (आईएफएस), डीईए ने “पीपीपी इकोसिस्टम (प्रगति में सहभागी) को मजबूत करने के लिए हस्तक्षेप की आवश्यकता” विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया

भारत सरकार किफायती, गुणवत्तापूर्ण और स्थायी सार्वजनिक संपत्ति और सेवाओं के प्रावधान में निजी क्षेत्र के निवेश और परिचालन क्षमता का लाभ उठाने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) की प्रमुख भूमिका की परिकल्पना करती है।

भारत सरकार ने अवसंरचना सुविधाओं की बढ़ती मांग को देखते हुए निजी क्षेत्र के निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाये हैं, ताकि वे अवसंरचना निवेश को बढ़ाने और सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं के वितरण में उच्च स्तर की दक्षता और गुणवत्ता के सुधार में भाग ले सकें तथा अपने संसाधनों, प्रौद्योगिकी और प्रबंधन कौशल का लाभ उठा सकें।

निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न हस्तक्षेपों को जारी रखते हुए, अवसंरचना वित्त सचिवालय, डीईए ने ब्रिटिश उच्चायोग (बीएचसी) के समर्थन से प्रमुख हितधारकों (विशेष रूप से निजी संस्थाओं) को एक साझा मंच प्रदान करने के उद्देश्य से 14.9.2022 को एक कार्यशाला का आयोजन किया, ताकि हितधारक वर्तमान पीपीपी परिदृश्य, अपने क्षेत्रों/हित के क्षेत्रों के बारे में विचार साझा कर सकें एवं वर्तमान पीपीपी इकोसिस्टम को और मजबूत करने के लिए आवश्यक हस्तक्षेपों/पहलों का सुझाव दे सकें। कार्यशाला में स्वास्थ्य, शिक्षा और खेल, जल आपूर्ति और नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, शहरी परिवहन और सड़क तथा हवाई अड्डों पर क्षेत्र आधारित विशेष सत्र आयोजित किये गए।

कार्यशाला का उद्घाटन श्री अजय सेठ, सचिव, डीईए, वित्त मंत्रालय (एमओएफ) ने किया, जबकि श्री बी पुरुषार्थ, संयुक्त सचिव, (आईएसडी), अवसंरचना वित्त सचिवालय ने स्वागत भाषण दिया। डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन, मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय; सुश्री सैली टेलर, मंत्री सलाहकार (निदेशक विकास, जलवायु, विज्ञान और प्रौद्योगिकी) तथा सुश्री वेंडी वर्नर, इंडिया कंट्री हेड, इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन, विश्व बैंक समूह ने भी विशेष भाषण दिए।

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सत्रों के दौरान, निजी कंपनियों ने पीपीपी परियोजनाओं की संरचना तैयार करने और निष्पादन के दौरान उनके सामने आने वाले प्रमुख मुद्दों/बाधाओं की प्रस्तुति दी और अवसंरचना क्षेत्र में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ाने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों का सुझाव दिया।

कार्यशाला में अवसंरचना क्षेत्र की निजी कंपनियों जैसे ओलंपियाडोस, मैक्स हेल्थकेयर, अपोलो हॉस्पिटल्स, कृष्णा डायग्नोस्टिक्स, मेदांता, जेनवर्क्स, एपेक्स हॉस्पिटल्स, जिंदल अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर, विश्वराज इंफ्रास्ट्रक्चर, वीए टेक वबाग, एसयूईजेड इंडिया, री सस्टेनेबिलिटी कंपनी, टाटा प्रोजेक्ट्स, एबेलन ग्रीन एनर्जी, मेघा इंजीनियरिंग, ग्रीनसेल मोबिलिटी, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी, क्यूब हाईवे, आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर, जीएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, गैमन इंडिया, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने प्रस्तुतियां दीं। कार्यशाला में शापूरजी पल्लोनजी, एलएंडटी इंफ्रास्ट्रक्चर, पीएनसी इंफ्रास्ट्रक्चर, अशोका बिल्डकॉन, बोहरिंगर इंगेलहेम, किशन एग्रो इंडस्ट्रीज, इनक्रेडिबल मेडटेक एलएलपी, डायनाटम इंटरनेशनल जीएमबीएच, इनोवेटिव टेक्नोलॉजीज एंड प्रोजेक्ट्स, एगकॉन इक्विपमेंट्स, सेकुरा आदि के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

कार्यशाला के दौरान परियोजना प्रायोजक प्राधिकरणों (पीएसए) ने उपरोक्त क्षेत्रों में पूरी की गयी सफल पीपीपी परियोजनाओं से जुड़ी प्रस्तुतियां दीं। श्री मनु श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन ने सफल रही रीवा परियोजना को पेश किया। आईडीए बिहार ने पीपीपी मोड पर जयप्रभा अस्पताल पर प्रस्तुति दी, गोवा अपशिष्ट प्रबंधन निगम ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधा को प्रस्तुत किया, आवास और शहरी विकास विभाग, ओडिशा सरकार ने भुवनेश्वर जल आपूर्ति पर, इंदौर नगर निगम ने शहरी सार्वजनिक परिवहन पर, पुणे मेट्रो रेल विकास प्राधिकरण (पीएमआरडीए) ने पुणे मेट्रो परियोजना पर, उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईआईडीए) ने पीपीपी मोड में शुरू की गई सड़क परियोजनाओं पर और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने पीपीपी मोड में हवाई अड्डों को पट्टे पर देने पर प्रस्तुतियां दीं।

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प्रत्येक सत्र का समापन संबंधित केंद्रीय अवसंरचना मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किया गया, जिनमें उन्होंने पीपीपी परियोजनाओं के कार्यान्वयन के दौरान मौजूदा चुनौतियों पर काबू पाने में सरकार से पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अपर सचिव श्री अमित घोष, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री विशाल चौहान, आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री कुणाल कुमार, नागरिक उड्डयन मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती रुबीना अली और शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक श्री विश्वजीत कुमार ने भी अपने विचार साझा किये।

कार्यशाला में 150 से अधिक प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी देखी गई, जिनमें निजी क्षेत्र की अवसंरचना कंपनियों, फिक्की, सीआईआई, एसोचैम, एनआईआईएफ के प्रतिनिधि; केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी; ब्रिटिश उच्चायोग और अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम के अधिकारी और डीईए द्वारा सूचीबद्ध लेनदेन सलाहकार शामिल थे।

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