पंचायती राज संस्थानों ने आधुनिक तकनीक को अपनाकर ज्यादा पारदर्शिता, जिम्मेदारी और जवाबदेही सुनिश्चित की है: श्री गिरिराज सिंह

तकनीक के माध्यम से सरकार के तीसरे स्तर यानी पंचायतों में ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के विजन को आगे बढ़ाने के लिए, पंचायती राज मंत्रालय ने ‘ग्रामीण समुदाय का सशक्तिकरण: कोई पीछे न छूटे’ विषय पर लखनऊ, उत्तर प्रदेश में दो दिवसीय स्मार्ट ग्राम पंचायत राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया है।

राष्ट्रीय स्तर के इस कार्यशाला के उद्घाटन सत्र का नेतृत्व केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ और पंचायती राज राज्य मंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटील ने किया।

अपने संबोधन में श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) ने तकनीकी उन्नति को अपनाने की दिशा में एक लंबा सफर तय किया है। ‘एसएमएआरटी (स्मार्ट) गांवों’ के बारे में समझाते हुए उन्होंने कहा कि वे ऐसी प्रणाली और प्रक्रियाओं को लागू करते हैं, जो तकनीक की मदद से ज्यादा पारदर्शिता, जिम्मेदारी और जवाबदेही सुनिश्चित करती हैं। श्री सिंह ने मौजूदा प्रौद्योगिकियों पर विचार करने और अपनाने में केंद्र, राज्य सरकारों और निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पर जोर दिया। मंत्री ने सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम), पीएफएमएस इंटरफेस, ग्राम मानचित्र, ड्रोन तकनीक अपनाने को लेकर ग्राम पंचायतों की प्रशंसा की और ग्रामीण भारत में उद्यमिता पर बल दिया, जो आगे चलकर आत्मनिर्भर भारत के विजन को बढ़ावा देगा।

 

इस अवसर पर बोलते हुए श्री योगी आदित्यनाथ ने 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के भारत के लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ने में उत्तर प्रदेश में पीआरआई के योगदान पर जोर दिया। श्री आदित्यनाथ ने कहा कि स्मार्ट गांव बनना सीधे तौर पर आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचे, जिम्मेदार नागरिकों और व्यवहार परिवर्तन से जुड़ा हुआ है। उन्होंने विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी नागरिक केंद्रित सेवाओं के प्रावधान के लिए हाई-स्पीड इंटरनेट की उपलब्धता पर जोर दिया। उन्होंने चार मुख्य स्तंभों के महत्व की बात कही, जो आठ विषयों से भी जुड़े हैं वे हैं- स्मार्ट पंचायतें बनाने के लिए सुशासन यानी सभी ग्राम पंचायतों (जीपी) में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं का प्रावधान और वृद्धि, ग्राम पंचायतों के दिन-प्रतिदिन के कामकाज में ज्यादा पारदर्शिता और जनभागीदारी में वृदि्ध, लोगों की शिकायतों का जल्द समाधान और सार्वजनिक सेवा वितरण को मजबूत करना, सभी ग्राम पंचायतों में कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) और निर्बाध रूप से मुफ्त वाई-फाई की सुविधा का प्रावधान।

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इस अवसर पर, श्री कपिल मोरेश्वर पाटील ने आईसीटी, इंटरनेट, जीआईएस और रिमोट सेंसिंग का लाभ उठाते हुए जमीनी स्तर पर सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण हितों की बात की। उन्होंने मांग-आपूर्ति प्रबंधन जैसी चुनौतियों पर जोर दिया, जिसका सामना पंचायतों को डिजिटल बुनियादी ढांचे, बढ़ती आबादी और अपरिहार्य तेजी से शहरीकरण के चलते करना होगा। ग्रामीण विकास को प्रभावी बनाने के लिए एक रणनीति/मॉडल तैयार करने की जरूरत है जिससे प्रक्रिया को क्रियान्वित करने के साथ ही उसकी निगरानी की जा सके। उन्होंने कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, विनियमन और प्रबंधन के आधार पर क्लस्टर अप्रोच, सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के साथ ही नागरिक भागीदारी पर आधारित विशेष रूप से डिजाइन किया गया उपयुक्त फ्रेमवर्क अगली पीढ़ी के स्मार्ट गांव बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।

उद्घाटन सत्र के दौरान पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री सुनील कुमार ने प्रतिभागियों को स्मार्ट पंचायत बनाने का महत्व समझाया जो आत्मनिर्भर होते हैं। इसके चलते बेहतर रोजगार की तलाश में ग्रामीण भारत से शहरों की ओर युवाओं का पलायन भी कम किया जा सकता है। श्री कुमार ने यह भी जिक्र किया कि ग्रामीण स्तर पर ब्रॉडबैंड इन्फ्रास्ट्रक्चर, डिजिटलीकरण (डिजिटल सेवा वितरण को बढ़ावा देना) और शिक्षित लोगों से विकास की नींव तैयार होगी। अपने संबोधन में उन्होंने राज्य स्तरीय पहलों के उदाहरण, जैसे उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में ग्राम स्तरीय उद्यमी, स्मार्ट गांव- स्मार्ट आंध्र प्रदेश के लिए स्मार्ट वार्ड, कोयंबटूर में ओदंथुरई पंचायत का विद्युत उत्पादन और गुजरात की पुंसारी पंचायत में सीसीटीवी, बायोमेट्रिक मशीन, एसी कक्षाएं, वाईफाई कवरेज का जिक्र किया।

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इस मौके पर ‘सतत विकास लक्ष्यों का स्थानीयकरण (एलएसडीजी), ई-लर्निंग मॉड्यूल का शुभारंभ’ पर एक पुस्तक का विमोचन किया गया।

पंचायती राज मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश के पंचायती राज विभाग और सीआईआई, एसोचैम, सीओएआई समेत उद्योग जगत के पार्टनरों के सहयोग से स्मार्ट ग्राम पंचायतों पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा देने की दिशा में एक नई शुरुआत का प्रतीक है। इस अवसर पर स्मार्ट ग्राम पंचायत प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है।

आगे चलकर, जमीनी स्तर पर स्थानीय शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली पंचायतें आर्थिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में विकसित होंगी और समावेशी विकास, विकेंद्रीकृत प्रशासन, सुशासन के साथ-साथ सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) 2030 एजेंडे को प्राप्त करने की दिशा में ग्रामीण परिवर्तन को बढ़ावा मिलेगा।

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