खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) सचिव ने अनुसंधान एवं विकास केन्‍द्र प्राज मैट्रिक्स का दौरा किया

स्वदेशी प्रौद्योगिकी के विकास में नवाचारों के महत्‍व को समझने और इथेनॉल मिश्रण में किसी भी तरह की आगामी बाधाओं को दूर करने के उद्देश्य से, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव श्री सुधांशु पांडे ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की एक टीम के साथ हाल ही में अनुसंधान एवं विकास केन्‍द्र प्राज मैट्रिक्स का दौरा किया।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) की स्‍वीकृति के माध्‍यम से प्राज द्वारा स्थापित नवाचार केन्‍द्र में 90 से अधिक वैज्ञानिक कार्यरत हैं और अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ यह अपनी तरह का एक उत्‍कृष्‍ट सुविधा केन्‍द्र है। इस अवसर पर प्राज इंडस्ट्रीज लिमिटेड के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. प्रमोद चौधरी और फ्लैगशिप बायोएनेर्जी बिजनेस के अध्यक्ष श्री अतुल मुले भी उपस्थित थे।

खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) इथेनॉल उत्पादन क्षमता निर्माण में वृद्धि के साथ फीडस्टॉक आपूर्ति सुनिश्चित करके पेट्रोल (ई10) में 10 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

इस यात्रा के दौरान सचिव महोदय ने प्रौद्योगिकी विकास और बाजार परिचय से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों के साथ वार्तालाप किया। उन्होंने शून्य तरल निर्वहन सुनिश्चित करने वाले अंतिम उत्पाद के लिए कृषि आधारित फीडस्टॉक की विविधता की जैव ईंधन प्रक्रिया प्रौद्योगिकी के संपूर्ण मूल्य श्रृंखला विकास का भी निरीक्षण किया। उन्होंने पहली पीढ़ी, दूसरी पीढ़ी, कंप्रेस्‍ड बायोगैस (सीबीजी) और सतत विमानन ईंधन (एसएएफ) सहित विभिन्न प्रकार के जैव ईंधन के फीडस्टॉक प्रबंधन और प्रक्रिया प्रौद्योगिकी विकास की बारीकियों जैसे विभिन्न घटकों को जानने में गहरी रुचि दिखाई।

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श्री पांडे ने प्राज के स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास, विशेष रूप से बायो-सिरप और डीडीजीएस से प्रोटीन, लिग्निन से बायो-बिटुमेन जैसे सह-उत्पादों के मूल्यांकन की सराहना की। उन्होंने ब्राजील, अमेरिका और यूरोपीय देशों को ऐसी स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के निर्यात पर संतोष व्यक्त किया, जिससे उन्हें अपने स्थायी डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिली है।

उन्होंने कहा कि ये न्‍यून कार्बन नवीन प्रौद्योगिकियां भारत को शुद्ध शून्य लक्ष्यों की ओर बढ़ने में मदद कर रही हैं, जिससे देश के लिए सीओपी 26 लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिल रही है, जबकि इथेनॉल से 20 प्रतिशत पेट्रोल आवश्यकताओं को पूरा करके और देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करते हुए आत्मनिर्भर भारत अभियान को सुगमता प्रदान की जा रही है। इससे देश के लिए लगभग प्रति वर्ष 30000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचत में भी मदद मिलेगी।  इसके अलावा, ई10 की उपलब्धि के परिणामस्वरूप चीनी मिलों में लगभग 18000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व पहले ही प्राप्‍त हो चुका है और वर्ष 2025 तक पेट्रोल के साथ ई20 सम्मिश्रण की उपलब्धि हासिल करते हुए यह 35000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। उन्‍होंने कहा कि यह चावल, मक्का जैसी किसानों की उपज के लिए एक वैकल्पिक बाजार सुनिश्चित करेगा, जिससे उन्हें बेहतर रिटर्न, एमएसपी से अधिक और चीनी मिलों से तेजी से भुगतान प्राप्त करने में मदद मिलेगी। ये सभी गतिविधियां भारतीय कृषक समुदाय को ‘अन्नदाता’ से ‘ऊर्जा दाता’ में बदलने की ओर अग्रसर हैं।

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माननीय के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में लक्ष्य से 5 महीने पहले, पेट्रोल (ई10) में 10 प्रतिशत इथेनॉल सम्मिश्रण प्राप्त करने में भारत ने काफी प्रगति की है। इस सफलता से उत्साहित भारत वर्ष 2025 तक ऊर्जा स्वतंत्रता और परिवहन क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन की खोज में ई20 लक्ष्‍य हासिल करने की ओर अग्रसर है। प्रगतिशील नीतिगत ढांचा, स्वदेशी रूप से विकसित प्रौद्योगिकी और अच्छी तरह से तेलयुक्त उद्योग इकोसिस्‍टम इस सफलता की गाथा में कुछ प्रमुख प्रेरक कारक हैं।

डीएफपीडी ब्याज वित्तीय सहायता योजनाओं और इथेनॉल उत्पादन के लिए अतिरिक्त फीडस्टॉक डायवर्जन के आवंटन के माध्यम से पूंजी निवेश की सुविधा प्रदान कर रहा है। इन सभी प्रयासों से इथेनॉल उत्पादन क्षमता 923 करोड़ लीटर प्रति वर्ष हो गई है।

 

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