मुख्यधारा मीडिया के लिए सबसे बड़ा खतरा स्वयं मुख्यधारा के मीडिया चैनल हैं: श्री अनुराग ठाकुर

केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने आज एशिया-प्रशांत प्रसारण विकास संस्थान (एआईबीडी) की 47वीं वार्षिक सभा का उद्घाटन किया। इस अवसर पर केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री डॉ एल मुरुगन, सूचना एवं प्रसारण सचिव श्री अपूर्व चंद्रा और एआईबीडी की निदेशक सुश्री फिलोमेना ज्ञानप्रगसम भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए, श्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि मुख्यधारा के मीडिया के लिए सबसे बड़ा खतरा नए जमाने के डिजिटल प्लेटफॉर्म से नहीं, बल्कि खुद मुख्यधारा के मीडिया चैनलों से है। उन्होंने कहा कि वास्तविक पत्रकारिता वही है जिसमें तथ्यों की प्रस्तुति के साथ सच्चाई को दिखाते हुए सभी पक्षों को अपने विचार रखने के लिए मंच प्रदान किया जाता है।

श्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि विषय का ध्रुवीकरण करते हुए झूठी खबरें फैलाने और अपनी तथ्यहीन बातों को सिद्ध करने के लिए बेहद तेज आवाज में चिल्लाने वाले मेहमानों को आमंत्रित करना एक चैनल की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने कहा कि अतिथि, उनके विचार और दिखाये जाने वाले दृश्यों के संबंध में आपके निर्णय दर्शकों की नजर में आपकी विश्वसनीयता को परिभाषित करते हैं। आपका शो देखने के लिए दर्शक एक मिनट के लिए रुक तो सकते हैं, लेकिन वह कभी भी आपके एंकर, आपके चैनल या ब्रांड पर समाचार की विश्वसनीयता और पारदर्शी स्रोत के रूप में भरोसा नहीं करेगा।

श्री अनुराग ठाकुर ने इस अवसर पर उपस्थित प्रसारकों से आह्वान किया कि वे अपनी विषय वस्तु को सिर्फ साउंडबाइट्स के माध्यम से पेश न करें, बल्कि इसे स्वयं परिभाषित करते हुए मेहमानों और चैनल के लिए मानक शर्ते भी निर्धारित करें।

श्रोताओं को उकसाने के लिए शामिल किए जाने वाले प्रश्नों पर सवाल उठाते हुए मंत्री महोदय ने पूछा- क्या आप युवा दर्शकों को टीवी समाचारों की ओर सिर्फ तेज आवाज के माध्यम से ही आकर्षित होने वाले दर्शकों के रूप में देखने में विश्वास रखते हैं अथवा प्रसारण की दुनिया में आगे रहने के लिए आप समाचारों में निष्पक्षता और बहस में सकारात्मक चर्चा को भी वापस लाने पर विचार कर रहे हैं? “

श्री अनुराग ठाकुर ने कोविड महामारी के दौरान सदस्य देशों को ऑनलाइन जोड़े रखने और महामारी के प्रभाव को मीडिया कैसे कम कर सकता है, इस पर निरंतर संवाद बनाए रखने के लिए एआईबीडी नेतृत्व को इसका श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि सदस्य देशों को चिकित्सा क्षेत्र में नवीनतम विकास, कोविड योद्धाओं की सकारात्मक गाथाओं और अधिक महत्वपूर्ण रूप से महामारी के समय भ्रामक और झूठी खबरों को गलत ठहराते हुए इनके बारे में सही जानकारी साझा करने से अत्यधिक लाभ हुआ। श्री ठाकुर ने एआईबीडी की निदेशक सुश्री फिलोमेना, एआईबीडी आम सम्मेलन के अध्यक्ष श्री मयंक अग्रवाल और उन सदस्य देशों को बधाई दी जिन्होंने एशिया प्रशांत क्षेत्र में कोविड महामारी के खिलाफ एक मजबूत मीडिया प्रतिक्रिया को बनाए रखने में एक साथ मिलकर काम किया।

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कार्यक्रम के विषय ‘महामारी के बाद के युग में प्रसारण के लिए एक मजबूत भविष्य का निर्माण’ पर विचार व्यक्त करते हुए, मंत्री महोदय ने कहा कि हालांकि प्रसारण मीडिया हमेशा पत्रकारिता की मुख्यधारा में रहा है, लेकिन कोविड-19 के दौर ने इसे अधिक रणनीतिक तरीके से अपना मार्ग चुनने के लिए एक विशेष आकार दिया है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी ने हमें सिखाया है कि कैसे सही और समय पर उपलब्ध जानकारी लाखों लोगों की जान बचा सकती है। यह मीडिया ही है जिसने इस कठिन दौर में दुनिया को एक मंच पर लाते हुए इसे एक वैश्विक परिवार की भावना के रूप में मजबूती प्रदान की। महामारी के दौरान भारतीय मीडिया की भूमिका को एक सफलता की कहानी के रूप में प्रस्तुत करते हुए, श्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि मीडिया ने ही यह सुनिश्चित किया कि कोविड-19 जागरूकता संदेश, महत्वपूर्ण सरकारी दिशा-निर्देश और डॉक्टरों के साथ निःशुल्क ऑनलाइन परामर्श देश के कोने-कोने में सभी तक पहुंचे।

श्री ठाकुर ने सदस्य देशों को अच्छी गुणवत्तायुक्त विषय सामग्री के आदान-प्रदान के क्षेत्र में सहयोग स्थापित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया। इस तरह के सहयोग के माध्यम से कार्यक्रम का आदान-प्रदान विश्व संस्कृतियों को एक साथ लाता है। उन्होंने कहा कि देशों के बीच इस तरह की मीडिया भागीदारी लोगों से लोगों के बीच मजबूत संबंध बनाने में मदद करती है।

अपने संबोधन का समापन करते हुए, मंत्री महोदय ने इस बात को रेखांकित किया कि मीडिया अपने सभी रूपों में सशक्तिकरण के एक प्रभावी उपकरण के रूप में सार्वजनिक धारणाओं और दृष्टिकोणों को आकार देने की अपार क्षमता रखता है। उन्होंने कहा कि मीडिया के स्थान को और अधिक जीवंत और लाभकारी बनाने के लिए सभी पत्रकारों और प्रसारणकर्ता मित्रों के लिए एक सक्षम वातावरण बनाना अनिवार्य है।

प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और एआईबीडी के अध्यक्ष श्री मयंक अग्रवाल ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि एआईबीडी ने लॉकडाउन के दौरान भी अपने प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को जारी रखा। उन्होंने कहा कि केवल पिछले वर्ष में ही 34 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए और वे परंपरा के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन, हरित प्रौद्योगिकी, सतत विकास, त्वरित रिपोर्टिंग, बच्चों के लिए कार्यक्रम आदि जैसे उभरते मुद्दों पर केंद्रित रहे हैं।

श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रसारण में इंटरनेट के उपयोग में वृद्धि के साथ-साथ पत्रकारिता में साइबर सुरक्षा जैसा विषय भी पत्रकारों के प्रशिक्षण के लिए अनिवार्य हो गया है। उन्होंने कहा कि एआईबीडी अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों के दौरान इस विषय को शामिल करने वाला पहला समूह है।

सुश्री फिलोमेना ज्ञानप्रगसम ने कहा कि विषय-सामग्री मीडिया के भविष्य को निर्धारित करती है और इस विषय सामग्री को कैसे साझा और मुद्रीकृत किया जाता है, यह प्रसारण के भविष्य को निर्धारित करेगा। उन्होंने सभी प्रतिनिधियों और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों को कार्यक्रम में उपस्थिति के लिए धन्यवाद दिया।

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कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने 2021 और 2022 के लिए पुरस्कार प्रस्तुति आयोजन की भी अध्यक्षता की। रेडियो टेलीविजन ब्रुनेई को 2021 के लिए प्रशंसा पुरस्कार प्रदान किया गया। 2022 के लिए प्रशंसा पुरस्कार को फिजी के अर्थव्यवस्था, सिविल सेवा, संचार, आवास और सामुदायिक विकास मंत्रालय और फिजी ब्राडकास्टिंग कॉरपोरेशन को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया।

कंबोडिया के सूचना और संचार मंत्री श्री खिउ खानहरित को 2021 के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया। 2022 के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और एआईबीडी के अध्यक्ष श्री मयंक अग्रवाल को प्रदान किया गया।

इस अवसर पर भारत में विभिन्न विदेशी मिशनों के प्रमुख, एआईबीडी सदस्य देशों के प्रतिनिधि, प्रसार भारती और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के विभिन्न कार्यालयों के अधिकारी उपस्थित थे।

एआईबीडी के बारे में

एशिया-प्रशांत प्रसारण विकास संस्थान (एआईबीडी) की स्थापना 1977 में यूनेस्को के तत्वावधान में हुई थी। यह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विकास के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग एशिया और प्रशांत (यूएन-ईएससीएपी) के देशों की सेवा करने वाला एक विशिष्ट क्षेत्रीय अंतर-सरकारी संगठन है। इसकी मेजबानी मलेशिया सरकार द्वारा की जाती है और सचिवालय कुआलालंपुर में स्थित है।

एआईबीडी में वर्तमान में 26 पूर्ण सदस्य (देश) हैं, जिनका प्रतिनिधित्व 43 संगठनों द्वारा किया जाता है, और 50 संबद्ध सदस्य (संगठन) हैं, जिनकी कुल सदस्यता 93 है जो 46 देशों और क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं और इसके एशिया, प्रशांत, यूरोप, अफ्रीका, अरब देशों और उत्तरी अमेरिका में 50 से अधिक भागीदार हैं।

एआईबीडी आम सम्मेलन (जीसी) और इसकी संबद्ध बैठकें संस्थान की वार्षिक आधिकारिक सभा है। आम सम्मेलन में सदस्य देशों, सहयोगियों, भागीदारों, पर्यवेक्षकों और प्रमुख प्रसारकों के लिए आमंत्रण के माध्यम से बुलाया जाता है। सदस्य देशों, संबद्धों और भागीदारों के पास उन गतिविधियों और परियोजनाओं की संख्या की समीक्षा करने का अवसर होता है जिन्हें एआईबीडी ने पिछले एक वर्ष में लागू करते हुए भविष्य की परियोजनाओं पर भी ध्यान दिया है। सम्मेलन के दौरान सदस्य देशों की विकासात्मक जरूरतों पर भी चर्चा की गई।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय के पास एआईबीडी की पूर्ण सदस्यता है। प्रसार भारती, भारत का सार्वजनिक सेवा प्रसारक होने के नाते एआईबीडी की विभिन्न सेवाओं का उपयोग करता है।

भारत ने 1978, 1985, 2003 में शासी परिषद की बैठकें (जीसी) की मेजबानी की है और नई दिल्ली में 19-21 सितंबर, 2022 तक भारत में 47वीं वार्षिक सभा/ 20वां एआईबीडी आम सम्मेलन और संबद्ध बैठकें 2022 की मेजबानी करने का फिर से अवसर प्राप्त हुआ है।

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