केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 10वीं ब्रिक्स बैठक को संबोधित किया तथा आम चुनौतियों के खिलाफ संयुक्त लड़ाई का आह्वान किया

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार),  प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ब्रिक्स विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रियों की 10वीं बैठक को आज वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए आम चुनौतियों के खिलाफ संयुक्त लड़ाई का आह्वान किया है।

अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा कि ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) देशों को भोजन, सस्ती स्वास्थ्य देखभाल और अपने लोगों के लिए ऊर्जा पहुंच सुनिश्चित करने तथा जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता के ह्रास सहित पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान करने जैसी कई समान चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

मंत्री महोदय ने नई और उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए सभी  शोधकर्ताओं को एक साथ लाने में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) के महत्व को भी रेखांकित किया।

श्री वांग झिगांग, मंत्री, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, चीन, डॉ. बोंगिंकोसी इमैनुएल नज़ीमांडे, मंत्री, उच्च शिक्षा, विज्ञान और नवाचार विभाग, दक्षिण अफ्रीका, श्री पाउलो अल्विम, मंत्री, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार मंत्रालय, ब्राजील तथा श्री वालेरी फालकोव, मंत्री, विज्ञान और उच्च शिक्षा मंत्रालय, रूस ने इस 10वीं ब्रिक्स विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) मंत्रिस्तरीय बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों और वैज्ञानिकों के साथ भाग लिया।

इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इन चुनौतियों को हल करने के लिए, हमारे लिए यह जरूरी है कि हम कुछ नवोन्मेषी किफायती वैज्ञानिक समाधानों को ढूँढने के लिए आपस में  हाथ मिलाएं। उन्होंने कहा कि वैक्सीन अनुसंधान एवं विकास केंद्र की स्थापना, ब्रिक्स नेटवर्क विश्वविद्यालय, साझा उपग्रह समूह की स्थापना, फार्मा उत्पादों की पारस्परिक मान्यता आदि ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां हमारे लोगों का जीवन हमारे आपसी सहयोग से सीधे तौर पर लाभान्वित होता है।

 

मंत्री महोदय ने कहा कि ब्रिक्स युवा वैज्ञानिक सम्मेलन, ब्रिक्स युवा शिखर सम्मेलन, ब्रिक्स खेल एवं हमारे वैज्ञानिक संगठनों, शोधकर्ताओं और नागरिक समाज के बीच आदान-प्रदान में हुई वृद्धि ने भी हमारे नागरिकों के बीच आपसी संपर्क को मजबूत किया है।

“ब्रिक्स विज्ञान और प्रौद्योगिकी नवाचार सहयोग को मजबूत करना” विषय पर मुख्य सत्र के शीर्षक पर बोलते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा की ब्रिक्स देशों को स्वास्थ्य, कृषि, जल, नवीकरणीय ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी, विद्युत गतिशीलता, सूचना सम्प्रेष्ण प्रौद्योगिकी, एआई, रोबोटिक्स और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और गहन करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि ब्रिक्स देशों का नेटवर्क ऐसे संयुक्त विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी समाधान विकसित करने के लिए सहयोग कर सकता है जिसका उनकी स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के अनुकूल होने के लिए व्यावसायीकरण किया गया है।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा, भारत सतत विकास को बढ़ावा देने और सभी के लिए वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं तक सस्ती और समान पहुंच की सुविधा के लिए डिजिटल और तकनीकी उपकरणों सहित अभिनव एवं समावेशी समाधान विकसित करने में ब्रिक्स के प्रयासों का समर्थन करेगा। मंत्री महोदय ने कहा कि आने वाले समय में ब्रिक्स सबसे अधिक जनसंख्या वाला ऐसा बाज़ार होने के लिए वैश्विक महत्व रखता है, जो ज्ञान अर्थव्यवस्था द्वारा संचालित है साथ ही उन्होंने यह रेखांकित किया कि ब्रिक्स देश स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के अनुकूल संयुक्त विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी समाधान विकसित करने के लिए परस्पर सहयोग कर सकते हैं।

एसटीआई क्षेत्र में भारत के प्रयासों और इस ओर आगे बढ़ने का उल्लेख करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि सभी वैज्ञानिक प्रयासों का अंतिम उद्देश्य आम आदमी के लिए ” जीवन में सुगमता” और एक “विज्ञान आधारित विकास “लाना है। उन्होंने कहा कि भारत ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान’ के उस मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है जो अनिवार्य रूप से भारत को अनुसंधान और नवाचार का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के समन्वय में विश्वास करता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में राजकीय अनुसंधान एवं विकास व्यय लगभग दोगुना हो गया है। इस साल के बजट में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के लिए 14,800 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के निर्माण के लिए 5,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि बढ़े हुए निवेश के परिणामस्वरूप भारत राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन डेटाबेस के अनुसार वैज्ञानिक प्रकाशन में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है और वैश्विक नवाचार सूचकांक के अनुसार देश वैश्विक स्तर पर शीर्ष 50 नवीन अर्थव्यवस्थाओं में (46वें स्थान पर) शामिल हो गया है। मंत्रि महोदय ने आगे जोड़ा कि यह उच्च शिक्षा प्रणाली के आकार में पीएचडी की संख्या के मामलों के साथ ही स्टार्ट-अप की संख्या के संदर्भ में भी तीसरे स्थान पर पहुंच गया है।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस – एआई) हमारी दुनिया और भारत में हलचल मचाने के लिए तैयार है और दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी आबादी के साथ सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होने के नाते हमारे देश की इस एआई क्रांति में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है। इसे स्वीकार करते हुए, हमने देश में 25 प्रौद्योगिकी नवोन्मेष केंद्र (टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब – टीआईएच) स्थापित किए हैं। मंत्री महोदय ने जोर देकर कहा कि इसमें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग अंतर्निहित है और हम सहयोगी अनुसंधान एवं जानकारी साझा करने के लिए विदेशों के शोधकर्ताओं का स्वागत करते हैं।

समापन सत्र में जहां ब्रिक्स एसटीआई घोषणा 2022 को अपनाया गया था, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ब्रिक्स नवाचार उद्यमों को आगे बढ़ाना, अगली पीढ़ी के ब्रिक्स वैज्ञानिक नेतृत्व को विकसित करना और संसाधनों को साझा करने के प्रयासों को सक्षम करना ही ब्रिक्स एसटीआई साझेदारी की हमारी मार्गदर्शक रणनीति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देश अपने सदस्य देशों के बीच प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तथा तंत्र एवं अंतर -ब्रिक्स प्रौद्योगिकियों के अनुकूलन के अवसरों का पता लगा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि “ब्रिक्स नवाचार कार्य योजना 2022-23” को अपनाया गया है जो ब्रिक्स इनोवेशन इकोसिस्टम और इनोवेशन एक्टर्स के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं और नेटवर्किंग को साझा करने में सहायक बनेगा। उन्होंने कहा कि भारत विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में ब्रिक्स सहयोग को गहरा करने के लिए तत्पर है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने 2022 ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी करने और ब्रिक्स विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रियों की 10वीं बैठक के साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों की 12वीं बैठक सहित उच्च स्तरीय क्षेत्रीय बैठकों की एक श्रृंखला आयोजित करने के लिए चीन को धन्यवाद दिया।

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