केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने शर्म अल शेख में कॉप 27 के भारतीय पवेलियन में “परिवर्तनकारी हरित शिक्षा: भारत से अनुभव” विषय पर आयोजित एक सत्र में भाग लिया

मिस्र के शर्म अल-शेख में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन- यूएनएफसीसीसी (सीओपी 27) में कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज के 27वें सत्र में भारतीय मण्डप ने “परिवर्तनकारी हरित शिक्षा: भारत से अनुभव” विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम की मेजबानी की। इस सत्र में राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय (एनएमएनएच), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और ड्यूश गेसेलस्फाफ्ट फुर इंटरनेशनल जुसामेनरबीट (जीआईजेड) जीएमबीएच के अधिकारियों तथा विशेषज्ञों द्वारा विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान नवीन तकनीकों, उपकरणों एवं विधियों के माध्यम से बच्चों के बीच पर्यावरण के लिए एक स्थायी जीवन शैली को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

 

भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने कार्यक्रम में मुख्य भाषण दिया और स्थायी जीवन शैली पर भारतीय स्कूली बच्चों द्वारा बनाई गई पेंटिंग पर आधारित एक पुस्तक (प्रिंट व डिजिटल दोनों तरह के संस्करण), कैलेंडर, पोस्टकार्ड, बुकमार्क तथा पोस्टर का विमोचन किया, जो राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय द्वारा एकत्रित किए गए। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने हरित परिवर्तनकारी शिक्षा पर एक लघु वीडियो भी जारी किया। पैनल चर्चा में भारत के अनुभवों को साझा किया गया। श्री भूपेंद्र यादव ने मिस्र में भारतीय मण्डप और वर्चुअल रूप से इस कार्यक्रम में भारत से शामिल हुए बच्चों को संबोधित किया। उन्होंने इस अभियान में सक्रिय रूप से योगदान देने वाले सभी बच्चों को बधाई दी और कहा कि:

“हमें यह धरती अपने पूर्वजों से विरासत में नहीं मिली है, बल्कि हमने इसे अपने बच्चों से उधार लिया है। यह एक ऋण है जो हमें बच्चों से मिला है और यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम एक स्थायी जीवन व्यतीत करें ताकि हमारे बच्चों को रहने के लिए एक सुरक्षित स्थान मिल सके।”

 

अभियान के बारे में जानकारी:

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राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय ने विद्यालय जाने वाले बच्चों के बीच पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली का भाव विकसित करने के उद्देश्य से कक्षा 6 से 8वीं तक के स्कूली छात्रों के लिए रंगों के माध्यम से “पर्यावरण के लिए जीवन शैली” विषय पर राष्ट्रीय स्तर की एक पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया था।

देश के 24 राज्यों से बच्चों द्वारा बनाई गई 16000 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुई थीं। प्रविष्टियों के माध्यम से पर्यावरण पर बच्चों के व्यापक परिप्रेक्ष्य और आने वाले वर्षों में वे अपने पर्यावरण को कैसे देखना पसंद करेंगे, इस संबंध में उन्होंने विचार प्रस्तुत किए। इस तरह से एकत्र की गई पेंटिंग इत्यादि का उपयोग जीआईजेड इंडिया के सहयोग से कैलेंडर, पोस्ट कार्ड, बुकमार्क, किताबों और वीडियो में किया जाएगा। इस प्रतियोगिता के लिए चुनी हुई कलाकृतियों को भारतीय पवेलियन में कॉप-27 से इतर एक कार्यक्रम में प्रदर्शित किया गया।

 

एनएमएनएच और जीआईजेड इंडिया ने विषयगत ध्यान तथा प्रासंगिकता के उद्देश्य से पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन के लिए जीवन शैली को पूरी तरह शामिल करने वाले विषयों पर स्कूली बच्चों को अनुभवात्मक सीखाने की सुविधा हेतु विभिन्न गतिविधियों की योजना बनाई है, जिनसे भारत के एनडीसी लक्ष्य 1 हासिल करने में योगदान प्राप्त किया जा सकता है। इन गतिविधियों में अभिनव स्थायी प्रदर्शन, जलवायु परिवर्तन सीखने की प्रयोगशालाएं, आउटरीच प्रोग्राम व जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं। इनका उद्देश्य स्कूली विद्यार्थियों को अपने जीवन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से जोड़ने और उनसे निपटने में सक्षम बनाना है। इसका लक्ष्य विद्यार्थियों को जलवायु परिवर्तन के पीछे के विज्ञान को समझने में सहायता करना और व्यावहारिक समाधान खोजना तथा विशेष रूप से उन्हें जलवायु-अनुकूल जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए यहां पर क्लिक करें।

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श्री भूपेंद्र यादव ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि:

“मिशन लाइफ एक मानव-केंद्रित, सामूहिक व जागरूक वैश्विक आंदोलन है, जो स्थानीय संस्कृति और परंपरा के साथ जुड़ा हुआ है, जिसका जलवायु परिवर्तन से लड़ने के चल रहे प्रयासों पर एक बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस तरह के एक समूह के नेतृत्व वाले पर्यावरण आंदोलन के भीतर, बच्चे जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में हमारे प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि युवा मन में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता की भावना का पोषण करना वर्तमान समय की आवश्यकता है ताकि पर्यावरण संरक्षण में उनकी निरंतर भागीदारी सुनिश्चित हो सके, साथ ही साथ सार्थक कार्य भी पूरे किये जा सकें।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दुनिया में सबसे युवा आबादी वाले देश के रूप में, भारत के स्कूली बच्चे अपने परिवारों और समुदायों के भीतर स्थायी आदतों के अग्रजों के रूप में कार्य करेंगे। श्री भूपेंद्र यादव ने उल्लेख करते हुए कहा कि वर्ष 2020 में जारी भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति, शिक्षा को अनुभवात्मक, समग्र, एकीकृत, पूछताछ-संचालित, खोज-उन्मुख, शिक्षार्थी-केंद्रित और चर्चा-आधारित बनाने पर जोर देती है। एक मजबूत तथा स्वस्थ पर्यावरण चेतना विकसित करना वर्तमान शिक्षा नीति के मुख्य विषय का हिस्सा है।

केंद्रीय मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि हम एक स्थायी जीवन शैली का नेतृत्व करने के लिए देश और दुनिया भर के बच्चों से अधिक सहयोग की आशा करते हैं – जो एक जीवन शैली में अवांछित कचरे के उत्पादन, सही मात्रा में संसाधनों का उपभोग, प्रकृति के कीमती संसाधनों के संरक्षण के बारे में जागरूकता; और प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर रह सकते हैं।”

 

मंत्री जी के भाषण के पूरे पाठ के लिए यहां क्लिक करें।

 

एमजी/एएम/एनके