जनजाति गौरव दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने उलिहातु में बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित की

मुख्य विशेषताए:

• राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज उलिहातु का दौरा किया जो भगवान बिरसा मुंडा का जन्म स्थान है।

• प्रधानमंत्री ने एक विशेष संदेश में कहा कि भगवान बिरसा मुंडा के सपनों को साकार करने के लिए देश ‘पंच प्राण’ की ऊर्जा से आगे बढ़ रहा है

• राष्ट्रपति ने आज मध्य प्रदेश के शहडोल में एक जनजातीय समागम को भी संबोधित किया।

• उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति श्री जगदीप धनखड़ ने अन्य सांसदों के साथ महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी श्री बिरसा मुंडा को पुष्पांजलि अर्पित की।

जनजातीय मामलों के मंत्रालय के साथ-साथ अन्य मंत्रालयों और राज्य सरकारों ने आज देश भर में जनजातीय गौरव दिवस मनाया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज झारखंड के खूंटी में उलिहातु का दौरा किया, जो भगवान बिरसा मुंडा का जन्म स्थान है।

जनजातीय मामलों के मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने उलिहातु में राष्ट्रपति का स्वागत किया। झारखंड के राज्यपाल श्री रमेश बैस, झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन, और राज्यमंत्री (शिक्षा) श्रीमती अन्नपूर्णा देवी की सम्मानित उपस्थिति में राष्ट्रपति सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।

श्री अर्जुन मुंडा ने भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को लद्दाख की पश्मीना शॉल और भगवान बिरसा मुंडा की एक मूर्ति भेंट की।

यह भी पढ़ें :   आईआईटी देश के गौरव रहे हैं : राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मू

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने भी उलिहातू में भगवान बिरसा मुंडा के अनुयायियों से बातचीत की। राष्ट्रपति ने आज उलिहातू में भगवान बिरसा मुंडा के रिश्तेदारों/वंशजों और पोते सुखराम मुंडा को भी सम्मानित किया।

 

राष्ट्रपति ने आज मध्य प्रदेश के शहडोल में एक जनजातीय समागम को भी संबोधित किया। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के राज्यपाल श्री मंगूभाई पटेल, मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा भी उपस्थित थे।

सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने जनजाति गौरव दिवस के अवसर पर देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में देश की सर्वाधिक जनजातीय आबादी है। इसलिए प्रदेश में इस समागम का आयोजन करना उचित है।

राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय के हित में सब कुछ कुर्बान करने की भावना आदिवासी समाज की विशेषता रही है। हमारे स्वतंत्रता संग्राम में विभिन्न विचारधाराओं और गतिविधियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में आदिवासी समुदायों के संघर्षों की कई धाराएं भी शामिल हैं। झारखंड के भगवान बिरसा मुंडा और सिद्धू-कान्हू, मध्य प्रदेश के टंटिया भील और भीमा नायक, आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू, मणिपुर की रानी गाइदिन्ल्यू और ओडिशा के शहीद लक्ष्मण नायक जैसी कई महान हस्तियों ने आदिवासी गौरव को बढ़ाया है और देश के गौरव को भी बढ़ाया है। देश। मध्य प्रदेश के कई क्रांतिकारी योद्धाओं में किशोर सिंह, खज्या नायक, रानी फूल कुंवर, सीताराम कंवर, महुआ कोल, शंकर शाह और रघुनाथ शाह शामिल हैं। ‘छिंदवाड़ा के गांधी’ के रूप में प्रतिष्ठित, श्री बादल भोई ने स्वतंत्रता संग्राम के लिए अहिंसा का मार्ग चुना था। राष्ट्रपति ने ऐसे सभी स्वतंत्रता सेनानियों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

यह भी पढ़ें :   हिमालयी क्षेत्र में विभिन्न श्रेणियों में 506.13 करोड़ रुपये के बराबर की 77 खेल अवसंरचना परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है: श्री अनुराग ठाकुर

राष्ट्रपति ने कहा कि मध्य प्रदेश के चंबल, मालवा, बुंदेलखंड, बघेलखंड और महाकौशल क्षेत्रों की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध बनाने में आदिवासी समुदायों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि कभी आदिवासी राजाओं के शासनकाल में समृद्धि से भरा यह क्षेत्र एक बार फिर आधुनिक विकास की प्रभावशाली गाथाएं लिखेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि अधिकांश जनजातीय क्षेत्र वन और खनिज संपदा से समृद्ध रहे हैं। हमारे आदिवासी भाई-बहन प्रकृति के आधार पर जीवन जीते हैं और सम्मानपूर्वक प्रकृति की रक्षा करते हैं। इस प्राकृतिक सम्पदा को शोषण से बचाने के लिए उन्होंने ब्रिटिश शासन के दौरान जमकर संघर्ष किया था। वन संपदा का संरक्षण काफी हद तक उनके बलिदान से ही संभव हो सका। आज के समय में जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के दौर में आदिवासी समाज की जीवन शैली और वन संरक्षण के प्रति उनके संकल्प से सभी को सीखने की जरूरत है।

****

एमजी/एएम/वीएस