डीएसआईआर, सीएसआईआर, यूएन- ईएससीएपी के एपीसीटीटी ने संयुक्त रूप से सीएसआईआर विज्ञान केंद्र, नई दिल्ली में “क्रॉस- बॉर्डर इनोवेशन, एक्सेलेरेशन एंड चैलेंजेज इन इंटरनेशनल ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजीज” पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय ज्ञान साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (डीएसटी), भारत सरकार ने एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (यूएन – ईएससीएपी) के एशियाई और प्रशांत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण केंद्र (एपीसीटीटी) के सहयोग से और सीएसआईआर – मानव संसाधन विकास केंद्र (सीएसआईआर-एचआरडीसी), नई दिल्ली में सयुक्त रूप से समन्वित हाइब्रिड मोड में “ प्रौद्योगिकी के अंतर्राष्ट्रीय स्थानांतरण में 14 से 15 नवंबर, 2022 तक विभिन्न देशों की सीमाओं से परे नवोन्मेष, उनमे वृद्धि एवं चुनौतियाँ (क्रॉस-बॉर्डर इनोवेशन, एक्सेलेरेशन एंड चैलेंजेस इन इंटरनेशनल ट्रांसफर ऑफ़ टेक्नोलॉजीज)” विषय पर  एक अंतर्राष्ट्रीय ज्ञान साझाकरण कार्यशाला का आयोजन किया था। कार्यक्रम के लिए पंजीकृत लगभग 350 प्रतिभागियों में से 36 प्रतिभागी  बांग्लादेश, कंबोडिया, ईरान (इस्लामी गणराज्य), इंडोनेशिया, जॉर्डन, लेबनान, मलेशिया, नेपाल, पाकिस्तान, फिलीपींस, कोरिया गणराज्य, श्रीलंका, थाईलैंड, त्रिनिदाद और टोबैगो तथा उज्बेकिस्तान जैसे 17 देशों से आए थे और जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों रूपों में शामिल हुए। लगभग 70 प्रतिभागी व्यक्तिगत रूप से शामिल हुए।

इस कार्यशाला के पैनलिस्ट खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ), अंतर्राष्ट्रीय पशुधन अनुसन्धान संस्थान (आईआरएलआई), इन्टरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ ऑटोमेशन (आईएसए), जर्मन सेंटर फॉर रिसर्च एंड इनोवेशन (डीडब्ल्यूआईएच), यूकेरिसर्च एंड इनोवेशन (यूकेआरआई), विकासशील देशों के लिए अनुसन्धान एवं विकास प्रणाली (आरआईएस) जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों सहित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय वनस्पति अनुसन्धान केंद्र (सीएसआईआर -एनबीआरआई), भारतीय प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान दिल्ली (आईआईटीडी), श्री पद्मावती महिला विश्वविद्यालयम (एसपीएमवीवी), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (सीएसआईआर – एनसीएल), उत्यमकेंद्र (वेंचर सेंटर), प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) कार्यालय सहित विभिन्न सरकारी विभाग, इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय का नवोन्मेष एकक, राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कारपोरेशन – एनआरडीसी) जैसे लोक उपक्रम, एक्सलेंट इंडस्ट्रीज जैसे इंटरनेशनल ट्रैक्टर्स, इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), टाटा पॉवर कम्पनी लिमिटेड, अंकुर बीज जैसे उत्कृष्ट उद्योग और महिको प्रा. लिमिटेड; इनोवेशन इको-सिस्टम पार्टनर जैसे रिसर्च पार्क, ऊष्मायन केंद्र (इनक्यूबेशन सेंटर), स्टार्ट-अप, सदस्य देशों के गणमान्य व्यक्ति और एनआईटी, अरुणाचल प्रदेश जैसे राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिभागी, गुजरात राज्य जैव-प्रौद्योगिकी मिशन (जीएसबीटीएम), सीएसआईआर- एनईआईएसटी – सीएसआईआर – सीएसआईओ, सीटीएई, उदयपुर, सीएसआईआर – एनएएल जैसे प्रिज्म – टीईपीपी आउटरीच कम क्लस्टर इनोवेशन सेंटर्स (टीओसीआईसीएस), इंदिरा गाँधी मुक्त विश्वविद्यालय (आईजीएनओयू), शिव नादर विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, आईआईटीडी, आईआईटी मंडी, आईआईटी रुड़की, आईआईटी इंदौर, कई इनक्यूबेशन हब, डीएसआईआर, सीएसआईआर मुख्यालय, सीएसआईआर-आईआईपी, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर, एनआरडीसी और एपीसीटीटी जैसे राष्ट्रीय संगठन सम्मिलित थे ।

कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. एन. कलैसेल्वी, सचिव, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) और महानिदेशक, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा ऑनलाइन किया गया। उद्घाटन भाषण देते हुए। उन्होंने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, सीमा पार नवाचार और प्रौद्योगिकियों के विकास और उन्हें उद्योग में स्थानांतरित करने में सीएसआईआर के ठोस प्रयासों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने प्रतिभागियों को ऐसी तकनीकें विकसित करने का परामर्श दिया जो अंतत: समाज तक पहुंच सके। इस दिशा में उन्होंने कार्यशाला की सराहना की जिसमे सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी ) 2, 7 और 9 के अंतर्गत निर्धारित उद्देश्यों  को प्राप्त करने के लिए रोडमैप के बारे में चर्चा करने के लिए नवप्रवर्तकों, उद्योग, अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं, शिक्षाविदों, सूक्ष्मलघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई), स्टार्टअप्स, बड़े उद्योगों, ऊष्मायन केंद्रों, नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों को एक साझा मंच पर लाया गया है ।

 

प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय, भारत सरकार में वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी,  वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसन्धान विभाग (डीएसआईआर) में संयुक्त सचिव श्री सुरिंदर पाल सिंह, डॉ. अजय माथुर, महानिदेशक, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, डॉ. काटजा लेश, निदेशक, डीएएडी क्षेत्रीय कार्यालय और डीडब्ल्यूआईएच, नई दिल्ली; सुश्री रेबेका फेयरबैर्न, विज्ञान और नवाचार प्रमुख, यूके रिसर्च एंड इनोवेशन (यूकेआरआई),  ब्रिटिश (यूके) सरकार; डॉ. हबीबर रहमान, अंतर्राष्ट्रीय पशुधन अनुसंधान संस्थान (आईएलआरआई) क्षेत्रीय प्रतिनिधि, दक्षिण एशिया; प्रोफेसर जमुना दुव्वुरु, कुलपति, श्री पद्मावती महिला विश्वविद्यालय, तिरुपति, डॉ. भास्कर बालकृष्णन, भारत के पूर्व राजदूत और विज्ञान कूटनीति फेलो, विकासशील देशों के लिए अनुसंधान और सूचना प्रणाली (आरआईएस), नई दिल्ली, एपीसीटीटी – ईएससीएपी की प्रमुख डॉ. प्रीति सोनी,, सीएसआईआर- अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मामलों के निदेशालय (आईएसटीएडी) के प्रमुख डॉ. रामा स्वामी बंसल और सीएसआईआर- एचआरडीसी के प्रमुख डॉ. आर.के. सिन्हा भी व्यक्तिगत रूप से इस अवसर पर उपस्थित रहे ।

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कार्यशाला का उद्घाटन सत्र

डॉ. परविंदर मैनी ने रेखांकित करते हुए कहा कि, “जोखिम भरा होने और असफलता की आशंकाओं के बावजूद उत्तरजीविता, प्रतिस्पर्धा और बाजार की शक्ति को बढ़ाने के लिए नवाचार आवश्यक है”। उन्होंने भारत की नीति और कुछ प्रमुख (फोकस) क्षेत्रों जैसे उद्योग से अनुसंधान एवं विकास व्यय में वृद्धि होनी चाहिए; अनुसंधान एवं विकास में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई); अनुसंधान एवं विकास निर्यात में वृद्धि; केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा अनुसंधान एवं विकास; प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान एवं विकास में खर्च करने के लिए कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व दिशानिर्देश के विषय में विस्तार से जानकारी दी ।

श्री सुरिंदर पाल सिंह, संयुक्त सचिव, डीएसआईआर ने कहा कि “यह कार्यशाला भारत सहित एशियाई और प्रशांत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण केंद्र (एपीसीटीटी) के सदस्य देशों को अपनी जरूरतों को साझा करने और सीमा पार नवाचार पर अवसरों की पहचान करने, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में तेजी लाने की संभावनाओं और प्रौद्योगिकियों के अंतर्राष्ट्रीय हस्तांतरण में चुनौतियों के लिए एक मजबूत मंच प्रदान करेगी।

डॉ. काटजा लेस्च, सुश्री रेबेका फेयरबैर्न और डॉ. हबीबर रहमान ने सीमा- पार नवाचार त्वरण (एसीलिरेशन) में तेजी लाने के लिए अधिक उपयोगी सहयोग की कामना की । प्रो जमुना दुव्वुरु ने कहा कि सरकार की नई शिक्षा नीति देश में अधिक नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए भारत का एक प्रभावशाली कदम है ।

नवोन्मेषकों की क्षमता को मजबूत करने और अनुभव एवं उत्तम प्रथाओं से परस्पर –सीखने (क्रॉस-लर्निंग) के माध्यम से भारत और एपीसीटीटी के सदस्य राज्यों के बीच क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने, सीमा पार प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए संभावित सहयोग के अवसरों और रणनीतियों की पहचान करने के लिए इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला की परिकल्पना की गई थी । इसने एशिया- प्रशांत क्षेत्र में नवाचार, हस्तांतरण और प्रौद्योगिकियों के प्रसार की चुनौतियों, तंत्र और उत्तम प्रथाओं पर ज्ञान एवं जागरूकता बढ़ाई। इसने सीमा पार हस्तांतरण और प्रौद्योगिकियों के प्रसार के लिए क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने के लिए नवीन रणनीतियों एवं  तौर-तरीकों की खोज की; कार्यशाला के पैनलिस्टों ने नवाचार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने की सिफारिशें भी कीं।

कार्यशाला का उद्देश्य सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 2 (शून्य भूख – ज़ीरो हंगर), एसडीजी 7 (सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा), एसडीजी 9 ( उद्योग- नवाचार और बुनियादी ढांचा ) में लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए चुनौतियों की पहचान करना था । सत्र के अंतर्गत, “सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 2 का समर्थन करने के लिए जलवायु- के अनुकूल लचीली  कृषि और पशुपालन के लिए उभरती प्रौद्योगिकियां “, विषय सीएसआईआर-आईएसटीएडी में प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आनंद मोहित द्वारा संचालित, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के माध्यम से उत्पादक कृषि और पशुपालन, रोबोटिक्स, ड्रोन, बेहतर चयन के लिए अनुकूल ऊर्जा संरक्षण और जैव प्रौद्योगिकी, उपज में सुधार, रोग प्रतिरोध, सटीक खेती, सटीक पोषक तत्व वितरण, नवाचार और नीतिगत दृष्टिकोण पर चर्चा की गई । विशेष रूप से स्मार्ट और जलवायु अनुकूल कृषि, उत्पादक कृषि के लिए फसल प्रजनन तकनीक, सटीक खेती, सटीक पोषक तत्व वितरण, पशुपालन और नवाचार – जिसमें वैश्विक और भारत के दृष्टिकोण शामिल हैं, पर एक रचनात्मक चर्चा हुई।

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“सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 7 का समर्थन करने के लिए सत्र के अंतर्गत ऊर्जा में हरित और निम्न-कार्बन उभरती प्रौद्योगिकियां “, सामग्री अनुसंधान और नवाचार, उत्पादन प्रौद्योगिकी, बिजली इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा भंडारण और वैकल्पिक ऊर्जा ( सौर, अपतटीय, पवन आदि ), हरित हाइड्रोजन के लिए प्रबंधन, कार्बन- नकारात्मक प्रौद्योगिकियां, महासागर बायोमास, जैव ईंधन, 5जी – आधारित स्मार्ट ग्रिड, जलवायु संरक्षण, स्थिरता आदि पर चर्चा की गई । ऊर्जा क्षेत्र में हरित और निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकियों से संबंधित विभिन्न चुनौतियाँ, अनुसंधान एवं विकास नवाचार और नीतिगत मुद्दे; परिवहन ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का हरित हाइड्रोजन उत्पादन और भंडारण एवं उपयोग, जीवाश्म ईंधन में हाइड्रोजन का सम्मिश्रण, स्मार्ट ग्रिड, ऊर्जा दक्षता, हरित ऊर्जा और स्थिरता के लिए बिजली क्षेत्र में आईओटी, एमएल, सीपीएस जैसी उभरती हुई प्रौद्योगिकियां; अक्षय ऊर्जा में प्रवेश के लिए विभिन्न नियंत्रकों (एसी -डीसी और डीसी- डीसी) के विकास जैसे पावर इलेक्ट्रॉनिक्स और मौजूदा ग्रिड को लचीला बनाने से संबंधित मुद्दों आदि पर भी चर्चा की गई।

“एसडीजी 9 का समर्थन करने के लिए सत्र के तहत नवाचार, प्रौद्योगिकी प्रचार और व्यावसायीकरण में प्रक्रिया और प्रमुख बाधाएं”, अवसरों, चुनौतियों एवं मार्गदर्शन पर विचार- विमर्श किया गया कि कैसे विभिन्न देश प्रौद्योगिकी निर्माण और उन्हें अंगीकृत करने  के चक्र को गति दे सकते हैं। भारत, जर्मनी और ब्रिटेन तथा एपीसीटीटी के सदस्य देशों में नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र, अवसरों, चुनौतियों पर विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई ।

अंतिम सत्र में “तकनीकी- वाणिज्यिक मूल्य मूल्यांकन, तकनीकी- अर्थशास्त्र, विपणन क्षमता और नवीन तकनीकों की सामर्थ्य के उपाय और सम्भावित अवरोधों” पर पैनल चर्चा हुई । कंबोडिया, नेपाल, उज्बेकिस्तान, थाईलैंड, भारत जैसे देशों के विभिन्न नवप्रवर्तकों ने केस स्टडी के रूप में अपने स्टार्टअप्स के बारे में चर्चा की। श्री विवेक पांडे, सह-संस्थापक और मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी, इकोजेन सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, पुणे और डॉ. संदीप पाटिल, निदेशक, ई-स्पिन नैनोटेक प्राइवेट लिमिटेड और इंडिमा फाइबर्स प्रा. लिमिटेड, कानपुर तथा डीएसआईआर योजना से स्नातक सफल स्टार्ट-अप्स, टीईपीपी और पीआरआईएसएम से प्रशिक्षित सफल  स्टार्ट-अप्स ने पैनल चर्चा के दौरान भारत का प्रतिनिधित्व किया।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसन्धान विभाग (डीएसआईआर) की सचिव एवं वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसन्धान परिषद (सीएसआईआर) की महानिदेशक डॉ. एन. कलैसेल्वी, ने समापन सत्र में श्रोताओं को संबोधित किया। उन्होंने विशेष रूप से सीमा पार प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर महत्वपूर्ण चुनौतियों पर कार्यशाला के परिणाम पर चर्चा की और निकट भविष्य में कार्यशाला के परिणाम के रूप में सफल प्रौद्योगिकी हस्तांतरण / स्टार्ट-अप्स के  कई संभावित अनुमोदनों  की कल्पना की ।

कार्यशाला के पहले और दूसरे दिन हुए विचार-विमर्श

 

एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (यूएन – ईएससीएपी ) में एशियाई और प्रशांत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण केंद्र (एपीसीटीटी) की प्रमुख डॉ. प्रीति सोनी तथा, एपीसीटीटी- यूएनईएससीएपी के नेशनल फोकल पॉइंट (भारत) और डीएसआईआर में वैज्ञानिक –  एफ डॉ. रामानुज बनर्जी द्वारा की गई समापन टिप्पणियों तथा विचार- विमर्श के संक्षिप्त सारांश के साथ इस कार्यक्रम की समाप्ति हुई जिसके बाद सीएसआईआर -एचआरडीसी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. विनय कुमार द्वारा भारत और एपीसीटीटी सदस्य राज्यों के सभी गणमान्य व्यक्तियों, पैनलिस्टों, वक्ताओं  और प्रतिभागियों के लिए धन्यवाद ज्ञापन दिया गया ।

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