वैश्विक बाजार में देश के कपड़ा क्षेत्र को लोकप्रिय बनाने के लिए भारतीय कपड़ों और कारीगरों के पारंपरिक तरीकों पर अकादमिक शोध किया जा सकता है: श्रीमती लेखी

विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने आज राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय और हस्तकला अकादमी में भारत में डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वेन की उपस्थिति में ‘परंपरा समकालीन है- कला और डिजाइन में डेनिश वस्त्र शिल्प’  विषय पर प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।

भारत की समृद्ध परंपरा और रीति-रिवाजों के बारे में विचार व्यक्त करते हुए, उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजार में देश के कपड़ा क्षेत्र को लोकप्रिय बनाने के लिए भारतीय कपड़ों और कारीगरों के पारंपरिक तरीकों पर अकादमिक शोध किया जा सकता है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेहतर व्यापार के लिए स्थायी तरीकों का उपयोग करके भारतीय कपड़ों को फिर से नया रूप देने का सुझाव दिया।

प्रदर्शनी में डेनिश एसोसिएशन के विषय जानकारी देते हुए हुए श्रीमती लेखी ने कहा कि यही वक्त है जब हमें अपनी सभ्यताओं में समानताओं का अध्ययन करना शुरू करना चाहिए।

तीन माह लंबी प्रदर्शनी का समापन 16 फरवरी, 2023 को होगा। प्रदर्शनी का आयोजन डेनमार्क की डेनिश एजेंसी ऑफ कल्चर के सहयोग से किया जा रहा है।

भारत में डेनमार्क के राजदूत श्री फ्रीडी सेवने ने कहा कि भारत में कई संस्कृतियां हैं और यह सबसे उत्कृष्ट जीवंत सभ्यता है। उन्होंने इस बात की भी सराहना की कि कैसे भारत ने अपनी संस्कृति और परंपराओं को बरकरार रखा है और यह शिल्पियों के कार्य में परिलक्षित होता है। उन्होंने कहा कि भारतीय परिधानों और वस्त्रों ने मानवता को आकार दिया है।

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हस्तशिल्प के डीसी श्री शांतमनु ने कहा कि देश में एक सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रम है, हालांकि, जल्द ही कपड़ा मंत्रालय इस क्षेत्र में शामिल कारीगरों के व्यापक प्रदर्शन के लिए शिल्प विनिमय कार्यक्रम का शुभारंभ करेगा।

पिछले 200 से अधिक वर्षों के दौरान डेनिश डिजाइनरों और कलाकारों पर भारतीय परंपरा का गहरा प्रभाव परिलक्षित होता है, इस प्रदर्शनी के संग्रह में 9 पुरातन वस्त्र और भारतीय बुनाई के नमूने भी शामिल हैं जिन्हें 1820 के दशक में व्यापारियों के जहाजों के माध्यम से डेनमार्क ले जाया गया था। कोपेनहेगन में द नेशनल आर्काइव्स (रिगसरकिवेट) में संग्रहीत वस्त्रों के अंशों से प्रेरणा लेने के अलावा, शिल्पियों ने प्रदर्शनी के लिए कुछ वस्त्रों को नए सिरे से तैयार करके प्रस्तुत किया है। इस प्रदर्शनी में डेनिश वस्त्र कलाकारों और डिजाइनरों के 13 नमूने प्रदर्शित हैं, जो 1930 के दशक से लेकर वर्तमान परिदृश्य में सबसे प्राचीन हैं। इनसे स्थानीय डेनिश परंपराओं की जानकारी मिलती है जो अक्सर भारतीय शिल्प और तकनीकों से प्रत्यक्ष प्रेरणा लेते हैं। सीधे डेनिश उदाहरणों के अलावा, यहां सबसे प्राचीन भारतीय कपड़े के 9 नमूने हैं जो 1800 के दशक की शुरुआत में थे, जिन्हें डेनिश एशिया कंपनी द्वारा डेनमार्क में बिक्री के लिए व्यापारियों के जहाजों पर भेजा गया था।

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नई दिल्ली के प्रगति मैदान में स्थित वस्त्र मंत्रालय का राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय हमारे देश की विरासत के बारे में जागरूकता को हस्तशिल्प और हथकरघा दीर्घाओं में वस्तुओं के प्रदर्शन और शिल्प प्रदर्शन कार्यक्रमों में प्रधान शिल्पकार के कौशल एवं तकनीक के सीधे प्रदर्शन के माध्यम से बढ़ावा देता है। इसके अलावा, संग्रहालय में आंगन के साथ ग्राम परिसर, एक ही स्थल पर विभिन्न राज्यों की झोपड़ियां और सुंदर वातावरण जैसे अन्य कई मनभावन दृश्यावली है।

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एमजी/एएम/एसएस