आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण को लेकर तीसरे “नो मनी फॉर टेरर” मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की पूर्व संध्या पर राजस्व विभाग के द्वारा वित्तीय कार्रवाई कार्य बल एवं जी-20 एंटी-करप्शन वर्किंग ग्रुप में भारत की प्राथमिकताओं पर नई दिल्ली में सत्र आयोजित

आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण को लेकर तीसरे “नो मनी फॉर टेरर” मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की पूर्व संध्या पर  जी-20 एंटी-करप्शन वर्किंग ग्रुप (एसीडब्लूजी) में भारत की प्राथमिकताओं को रेखांकित करने के लिए श्री टी. राजा कुमार, अध्यक्ष फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ), और श्री संजय मल्होत्रा, सचिव (नामित), राजस्व विभाग (डीओआर), वित्त मंत्रालय, भारत सरकार ने आज यहां एक सत्र की सह अध्यक्षता की।

एफएटीएफ की कार्यकारी सचिव, सुश्री वॉयलेन क्लार्क, एफएटीएफ में भारत के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख और डीओआर के अतिरिक्त सचिव, श्री विवेक अग्रवाल, साथ ही साथ मनीवैल के अध्यक्ष, अन्य एफएटीएफ-शैली वाले क्षेत्रीय निकायों (एफएसआरबी) के प्रतिनिधि, एफएटीएफ के सदस्य देशों के विभिन्न प्रतिनिधिमंडल के  प्रमुखों और भारतीय नियामक और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रमुखों ने सत्र में भाग लिया।

इस सत्र में जी-20 की अध्यक्षता जिसे बाली, इंडोनेशिया में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को सौंपा गया है, के दौरान एसीडब्ल्यूजी के लिए भारत की प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम के दौरान भ्रष्टाचार और अन्य आर्थिक अपराधों की जांच में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से संबंधित मामलों पर चर्चा की गई। इस आयोजन के दौरान भारत के मजबूत एएमएल/सीएफटी ढांचे पर प्रकाश डाला गया।

श्री टी. राजा कुमार ने सिंगापुर की अध्यक्षता और भारत के भ्रष्टाचार विरोधी कार्य समूह के बीच संरेखित प्राथमिकताओं के बारे में विस्तार से बताया।

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जी-20 एसीडब्लूजी की प्राथमिकताओं और एफएटीएफ को मिले शासनादेश के बीच तालमेल के बारे में बोलते हुए, श्री संजय मल्होत्रा ​​ने आर्थिक अपराधों पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने आर्थिक अपराधों के नए और परिष्कृत रूपों से निपटने के लिए अपने सिस्टम को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।

 

 

श्री विवेक अग्रवाल ने मनी-लॉन्ड्रिंग और आतंक के वित्तपोषण से लड़ने के लिए भारत की मजबूत प्रणालियों के बारे में बताया। श्री अग्रवाल ने अपराध की आय को जब्त करने की दिशा में संपूर्ण सरकार के दृष्टिकोण की महत्वपूर्ण विशेषताओं के बारे में जानकारी दी। श्री अग्रवाल ने भारत में मनी लॉन्ड्रिंग और सीमा पार से आय प्राप्त करने के जटिल आपराधिक नेटवर्क को बाधित करने लिए एजेंसियों के द्वारा हाल ही में उठाए गए  प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया।

 

 

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने केवाईसी/धन शोधन निवारण दृष्टिकोण से अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के पर्यवेक्षण के लिए जोखिम आधारित पद्धति लागू करने के लिए उपयोग किए जाने वाले एनालिटिकल मॉडल के उपयोग पर अपना दृष्टिकोण साझा किया। मॉडल बैंकों द्वारा प्रस्तुत केवाईसी/एएमएल आंकड़ों के आधार पर जोखिम की गणना करता है। आरबीआई के द्वारा चुनिंदा बैंकों का एक विशेष केवाईसी/एएमएल ऑन-साइट मूल्यांकन, उनके ऑफसाइट मूल्यांकन के निष्कर्षों के आधार पर भी किया जा रहा है। जोखिम आधारित दृष्टिकोण जोखिमों की बेहतर पहचान और मूल्यांकन की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे बैंकिंग क्षेत्र में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण से जुड़े जोखिमों को प्रभावी ढंग से हल और कम किया जा सकेगा।

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आरबीआई ने वित्तीय धोखाधड़ी की रोकथाम और उन्हें कम करने पर केंद्रित समाधान विकसित करने में फिनटेक क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए रेग्युलेटरी सैंडबॉक्स सहित शुरू की गई अन्य पहलों को भी साझा किया।

प्रतिनिधियों के सामने जी20 की अध्यक्षता के दौरान एसीडब्ल्यूजी के लिए भारत की प्राथमिकताओं के पहलुओं को समझाते हुए एक प्रस्तुति भी दी गई, जो आर्थिक अपराधों से लड़ने के लिए एफएटीएफ के जनादेश के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। भारत की अध्यक्षता के दौरान औपचारिक और अनौपचारिक माध्यमों से सूचनाओं के आदान-प्रदान में बेहतर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और सीमाओं से परे चोरी की गई संपत्तियों की वसूली के लिए मजबूत प्रणाली बनाने का प्रयास किया जाएगा।

औपचारिक प्रस्तुतियों के बाद एक इंटरैक्टिव सत्र आयोजित किया गया।

 

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एमजी/एएम/एसएस