उत्पादों को बेचने में सच्चापन अत्यंत महत्त्वपूर्णः श्री पीयूष गोयल

वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा है कि उत्पादों को बाजार में प्रस्तुत करते समय सच्चापन अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने आज यहां बाजार शोध पर 30वीं वार्षिक संगोष्ठी में इंडियन कंज्यूमर रीसर्च एंड इनसाइट्स इंडस्ट्री के लिये नवीनतम आंकड़े जारी करने के दौरान अपने मुख्य वक्तव्य में यह कहा।

श्री गोयल ने उद्योग से आग्रह किया कि वह नई प्रौद्योगिकियों को अपनाते हुये और आपूर्ति करने के व्यावहारिक तरीकों का पालन करने के साथ सच्चाई से भी काम ले। उन्होंने कहा कि भ्रामक विज्ञापन उपभोक्ता के अधिकारों का हनन करते हैं। उन्होंने कहा कि इसीलिये जरूरी है कि उद्योग अपने कारगर और भरोसेमंद कामकाज के लिये खुद को नियमों से बांधे तथा नैतिकता का पालन करे। श्री गोयल ने उद्योग को प्रोत्साहित किया कि वह आत्मानुशासन पर और ध्यान दे तथा उद्योग के आकार को और बढ़ाये, ताकि कम से कम दस लाख लोग उससे जुड़ सकें।

उद्योगों द्वारा किये जाने वाले सर्वेक्षणों का उल्लेख करते हुये श्री गोयल ने कहा कि भारत में सम्पूर्ण बाजार अनुसंधान उद्योग पिछले कुछ वर्षों में काफी परिपक्व हो चुका है। अब पहले से अधिक प्रौद्योगिकी, विश्लेषण करने की कुशलता और कृत्रिम बौद्धिकता का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने राय व्यक्त की कि वाणिज्य और उद्योग संबंधी तमाम क्षेत्रों में गहरे अनुसंधान किये जा सकते हैं, उदाहरण के लिये उन क्षेत्रों में जहां निवेश किया जाना हो, जहां निर्यात बाजार मौजूद हैं या जहां कोई संयंत्र आसानी से लगाया जा सकता हो।

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इसी तरह, श्री गोयल ने कोविड-19 के समय का उल्लेख किया कि उस दौरान कैसे भारत ने अपनी प्रमुख योजनाओं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम तथा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के जरिये यह सुनिश्चित किया था कि कोई भी बच्चा भूखा न रहने पाये। उन्होंने कहा कि संभवतः दुनिया में भारत ऐसा एकमात्र देश है, जिसने यह कारनामा कर दिखाया। श्री गोयल ने कहा कि लगभग 80 करोड़ लोग सार्वजनिक वितरण प्रणाली के दायरे में आते हैं तथा ऐसी योजनाओं पर फीडबैक उद्योगों से मिलता है।

श्री गोयल ने कहा कि जो शोध किये गये हैं, उनसे सरकार को फीडबैक मिलता है कि समस्यायें क्या हैं और किन क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिये। उन्होंने कहा कि बाजार शोध से जो नतीजे मिलते हैं, तो लोगों की समस्यायें समझने के लिये सरकार उनका पूरा इस्तेमाल करती है। इन्हीं नतीजों पर सरकार लोगों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुये नीतियां बनाती है।

श्री गोयल ने आगे कहा कि प्रौद्योगिकी को अपनाना और प्रोत्साहित करना चाहिये, लेकिन भारत जैसे देशों में, जहां राज्यों में भिन्न-भिन्न भाषायें बोली जाती हैं, वहां जमीनी सर्वेक्षणों को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में ऑनलाइन सर्वेक्षणों के जरिये विभिन्न वर्गों और भिन्न-भिन्न बोलियों के कारण मूल भावना को समझने में दिक्कत होगी। इसलिये जमीनी सर्वेक्षण से ही लोगों की मूल भावना को समझा जा सकता है।

श्री गोयल ने कहा, “भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश की जटिलताओं को देखते हुये, हमें होशियारी, बुद्धिमानी से प्रौद्योगिकी अपनानी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि कहीं हम नतीजे प्राप्त करने में अपने काम के मूल-तत्त्व को ही ना भूल जायें। बाजार शोध की सच्चाई जमीन पर नजर आनी चाहिये।”

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श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि भारत के पास डिजिटलीकरण की अपार क्षमता मौजूद है, खासतौर से सर्वेक्षण के क्षेत्र को डिजिटल बनाने में। उन्होंने कहा कि अगर विश्लेषण के उपकरणों के साथ भाषा कौशल में सुधार आ जाये, तो कंपनियां विकिसत बाजारों के लिये बेहतर तरीके से प्रतिस्पर्धा कर पायेंगी।

श्री गोयल ने कहा, “अगर हमें हमारे उपभोक्ताओं की चिंताओं पर सही फीडबैक मिलेगा, तो हम उपभोक्ता के हितों को पूरा करने करने के लिये अपने व्यापार को बेहतर तरीके से नियमबद्ध कर पायेंगे। हमें तब भारतीय उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं और मांगों को पूरा करने के लिये और निवेश मिलेगा।”

एमआरएसआई की दो दिवसीय संगोष्ठी ‘कंटेम्पोराइजिंग ऑवर रूट्स’ नामक विषय और विचार पर आधारित है। इसके लिये उद्योग जगत के जाने-माने और प्रतिभाशाली लोगों को एकजुट करके इस सेक्टर के विकास में तेजी लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। एमआरएसआई भारत की अग्रणी उद्योग-नीत बाजार शोध निकाय है, जो उन सबके लिये उच्च मानकों वाले व्यावसायिक तौर-तरीके प्रदान करने, मार्गदर्शन करने और प्रोत्साहन देने का काम करता है, जो लोग बाजार शोध उद्योग में इन मानकों का इस्तेमाल करते हैं तथा आंकड़ों की मदद से अपना काम आगे बढ़ाते हैं।

 

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