एनसीपीसीआर कल विश्व बाल दिवस के अवसर पर ‘बाल कल्याण जीएच समिति के अध्यक्षों और सदस्यों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल’ तथा ‘बच्चों के उद्धार और उनकी घर वापसी के लिए प्रोटोकॉल लॉन्च करेगा

 

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) कल विश्व बाल दिवस (20 नवंबर) के अवसर पर बच्चों के उद्धार और उनकी घर वापसी के लिए पोर्टल घर (जीएचएआर-घर जाइए और फिर से जुड़िये (गो होम एंड री-यूनाइट) के उद्घाटन के साथ-साथ ‘बाल कल्याण समिति के अध्यक्षों और सदस्यों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल’ तथा ‘बच्चों के उद्धार और उनकी घर वापसी  के लिए प्रोटोकॉल प्रारम्भ करेगा। एनसीपीसीआर द्वारा विकसित ये मॉड्यूल, प्रोटोकॉल और पोर्टल देखभाल तथा सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों के मामलों में बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी) और जिला बाल संरक्षण अधिकारियों (डीसीपीओज) की संशोधित भूमिकाओं के  लिए काम करते हैं।

इस समारोह के बाद सीडब्ल्यूसी के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल के अभिविन्यास (ओरिएंटेशन) पर विषयगत तकनीकी सत्र और बच्चों के उद्धार और घर वापसी के लिए प्रोटोकॉल, एनसीपीसीआर का मासी (एमएएसआई पोर्टल), एनसीपीसीआर का ही बाल स्वराज पोर्टल और प्रश्नोत्तर (क्यू एंड ए पर) ओपन हाउस सत्र होगा। उद्घाटन समारोह में देश के सभी जिलों के 1200 से अधिक प्रतिनिधि शामिल होंगे।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले हर बच्चे तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध है। बाल संरक्षण समितियों, जिला बाल संरक्षण अधिकारियों और बाल अधिकारों के संरक्षण के उद्देश्य से राज्य आयोगों के अध्यक्षों / सदस्यों को आमंत्रित करने के लिए बाल संरक्षण के संबंध में यह अपनी तरह का पहला राष्ट्रीय स्तर का लॉन्च समारोह है।

किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 और इसके नियम, 2016 के लागू होने के बाद से भारत सरकार के संज्ञान में कई चुनौतियाँ और कमियाँ सामने आईं थीं जो विशेष रूप से बच्चों के पुनर्वास की प्रक्रिया में बाधक थीं। उसी को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने अधिनियम और नियमों में ऐतिहासिक संशोधन किए और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2021, किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन मॉडल नियम, 2022 और दत्तक ग्रहण विनियम, 2022 को लागू किया। एक ऐसे बड़े संशोधनों में से जो संशोधन किए गए हैं, वे बच्चों के प्रत्यावर्तन और उद्धार (बहाली) की प्रक्रिया में हैं।

यह भी पढ़ें :   बूंदी जिले के ठीकरदा में ‘प्रशासन गांवों के संग’ अभियान शिविर सरकार के उठाए कदमों से बदल रही प्रदेश की तस्वीर- मुख्यमंत्री

नए संशोधन इस बात को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं कि देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चे का उद्धार का कार्य कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चे से अलग होगा। यह देखा गया कि ऐसे कई बच्चे थे जिन्हें (जेजेबी) और बाल कल्याण समिति के सामने लाया गया था, जो प्रथम दृष्टया किसी अन्य स्थान से संबंधित दिखाई दे रहे थे, लेकिन उनके मूल स्थान का पता लगाने में असमर्थ होने के कारण अधिकारियों के लिए ऐसे बच्चों को प्रत्यावर्तित करना मुश्किल हो रहा था। अपने मूल स्थान पर बच्चों के प्रत्यावर्तन में चुनौतियों को मुख्य रूप से अधिकारियों के बीच गैर-अभिसरण ( नॉन – कन्वर्जेन्स ) और प्रणाली के भीतर अधिकारियों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान की कमी के रूप में देखा गया। अब प्रत्यावर्तन और उद्धार के लिए प्रोटोकॉल जारी करके ऐसी चुनौतियों को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है जो प्रत्यावर्तन में अधिकारियों के सामने आ रही हैं साथ ही अधिक से अधिक संख्या में बच्चों को उनके परिवारों / रिश्तेदारों के साथ उनके मूल स्थान पर वापस भेजने का प्रयास किया जा रहा है।

बाल कल्याण समितियों के अध्यक्षों और सदस्यों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल इस कार्यक्रम में जारी किया जाने वाला एक ऐसा दस्तावेज है, जिसे व्यापक रूप से सीडब्ल्यूसी की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को एक स्थान पर लाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। जिला स्तर पर कमजोर बच्चों के संरक्षक होने के कारण बाल कल्याण समितियाँ और उनकी देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन पर व्यापक उत्तरदायित्व है। इसलिए, सीडब्ल्यूसी के प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए बाल कल्याण समितियों का प्रशिक्षण आवश्यक है। यह मॉड्यूल सीडब्ल्यूसी के प्रशिक्षण के लिए 15 दिन का कार्यक्रम है। इसे 72 घंटे से अधिक अवधि के 63 सत्रों में विभाजित किया गया है। प्रतिभागियों को प्रतिदिन औसतन 4 घंटे 50 मिनट का अपना समय इस प्रशिक्षण में देना होगा। प्रत्येक दिन / विषय के लिए निम्नलिखित जानकारी दी गई है। :-

यह भी पढ़ें :   प्रधानमंत्री रोजगार मेले के तहत 22 नवंबर को नवनियुक्त आवेदकों को लगभग 71,000 नियुक्ति पत्र प्रदान करेंगे

 

अवधि

उद्देश्य

सत्र के बारे में

शिक्षाशास्त्र / शैक्षणिक उपकरण

सुविधाकर्ता (फैसिलिटेटर) के लिए संसाधन सामग्री

गतिविधि के लिए प्रक्रिया (जैसा लागू हो)

फैसिलिटेटर के लिए आवश्यक जानकारियाँ (नोट्स)

प्रमुख बातें

इस उद्घाटन समारोह में वर्तमान में लागू किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2021 और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन मॉडल नियम, 2022 के आलोक में बाल कल्याण समितियों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल और बच्चों की बहाली और प्रत्यावर्तन के लिए प्रोटोकॉल का अवलोकन करने के लिए चर्चा की जाएगी।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग देश भर में बाल अधिकारों और अन्य संबंधित मामलों की सुरक्षा के लिए बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 की धारा 3 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है। इस आयोग के लिए किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015; यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पीओसीएसओ) अधिनियम, 2012 तथा निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 तथा इसके नियमों के उचित और प्रभावी कार्यान्वयन की निगरानी करना अनिवार्य है ।

*****

एमजी / एएम / एसटी