केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयम्बटूर में प्रिसिजन फार्मिंग डेवलपमेंट सेंटर (पीएफडीसी), आरकेवीवाई-रफ्तार एग्री-स्टार्ट अप एग्रीबिजनेस इनक्यूबेटर (आर- एबीआई) और एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र (आईबीडीसी) का दौरा किया

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, (कृषि और किसान कल्याण विभाग) के अतिरिक्त सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने नेशनल कमेटी ऑन प्रेसिजन एग्रीकल्चर एंड हॉर्टिकल्चर (एनसीपीएएच) के अंतर्गत बनाए गए परिशुद्ध कृषि विकास केंद्र (प्रेसिजन फार्मिंग डेवलपमेंट सेंटर-पीएफडीसी)  में किसानों के साथ बातचीत की। उन्होंने तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (टीएनएयू), कोयम्बटूर में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना– कृषि और संबद्ध क्षेत्र के कायाकल्प के लिए लाभकारी दृष्टिकोण रफ़्तार (आरकेवीवाई–रफ़्तार–आरएएफटीएएआर) एग्री-स्टार्ट अप एग्रीबिजनेस इनक्यूबेटर (आर–एबीआई) और एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र (आईबीडीसी) का भी दौरा किया।

सूक्ष्म सिंचाई और उन्नत- प्रौद्योगिकी (हाई-टेक) कृषि अर्थात ऊर्ध्वाधर खेती, हाइड्रोपोनिक्स और एरोपोनिक्स, संरक्षित खेती, प्लास्टिककल्चर और किसानों एवं अंतिम उपयोगकर्ताओं की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को बढ़ाने के लिए प्रति इकाई क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता को अधिकतम करने जैसी सटीक खेती पर क्षेत्रीय रूप से विभेदित तकनीकों का विकास और प्रसार करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने देश के सभी कृषि जलवायु क्षेत्रों में 22 परिशुद्ध कृषि विकास केंद्र (पीएफडीसी) स्थापित किए हैं। ये 22 पीएफडीसी कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, लद्दाख, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गुजरात, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, हिमाचल प्रदेश, केरल, मणिपुर, असम राज्यों में राज्य/केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)  संस्थानों और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में स्थित हैं।

 

 

डॉ. लिखी ने तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (टीएनएयू), कोयम्बटूर में परिशुद्ध कृषि विकास केंद्र ( प्रिसिजन फार्मिंग डेवलपमेंट सेंटर – पीएफडीसी ) का दौरा किया। पीएफडीसी कोयंबटूर की प्रमुख उपलब्धियां यह हैं कि इसने ड्रिप सिंचाई (इरिगेशन), खेत में लगे पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक फिल्म के द्वारा सही तरीके से ढकने की प्रणाली (प्लास्टिक मल्चिंग), कृत्रिम तालाब बनाने (पोंड लाइनिंग), ग्रीन हाउस, आवरण (क्लैडिंग) सामग्री, स्प्रिंकलर सिंचाई जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर शोध किया है। ड्रिप इरिगेशन, फर्टिगेशन, प्लास्टिक मल्चिंग, पॉलीहाउस, ड्रिप स्वचालन (ऑटोमेशन), भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) और मिट्टी रहित माध्यम जैसी तकनीकों पर भी शोध किए गए हैं। चौलाई, केला, भिंडी, करेला, बैंगन, गोभी, शिमला मिर्च, अरंडी, मसूर, फूलगोभी, मिर्च, नारियल कपास, खीरा, फूलों की फसल, पपीता, पपरिका (लाल शिमला मिर्च), टमाटर, हल्दी और मूंगफली जैसी फसलों में भी इन तकनीकों पर शोध किया गया है।

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डॉ. लिखी ने टीएनएयू में आरकेवीवाई-रफ्तार एग्रीबिजनेस इनक्यूबेटर (आर-एबीआई) का भी दौरा किया। यह ऊष्मायन ( इन्क्यूबेशन ) सुविधा कृषि- स्टार्टअप्स को बढ़ावा देती है। कृषि सहयोग एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्ल्यू) ने देश भर में उत्कृष्टता केन्द्रों के रूप में देश भर में उत्कृष्टता केन्द्रों के रूप में 5 ज्ञान सहोगियों (नॉलेज पार्टनर्स– केपीएस) और 24 आरकेवीवाई-रफ्तार एग्रीबिजनेस इनक्यूबेटर (आर-एबीआईएस) को नियुक्त किया है, जिनमें से  एक प्रौद्योगिकी विपणन ऊष्मायक (टेक्नोलॉजी बिजनेस इनक्यूबेटर– टीबीआई), टीएनएयू, कोयम्बटूर है। इन 5 नॉलेज पार्टनर्स को कार्यान्वयन सहायता और योजना के सुचारू और कुशल निष्पादन पर सलाह देने, आर-एबीआई की मदद करने और कृषि-स्टार्टअप परिवेश (इको-सिस्टम) आदि के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रदर्शित करने के लिए उत्कृष्टता केंद्र को लागू करने के लिए नियुक्त किया गया है। पूरे देश में पांच नॉलेज पार्टनर इस प्रकार हैं : (क) राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज), हैदराबाद, (ख ) राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान (एनआईएएम), जयपुर, (ग़) भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), पूसा, नई दिल्ली, (घ) कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़, कर्नाटक, और (ङ ) असम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहाट, असम।

 

वित्त वर्ष 2019-22 से 2022-23 के दौरान अब तक 1055 कृषि-स्टार्टअप को अंततः विभिन्न ज्ञान भागीदारों और डीए एंड एफडब्ल्यू के कृषि व्यवसाय इन्क्यूबेटरों द्वारा चुना गया है और 10932.24 लाख रुपए अनुदान सहायता अनुदान के रूप में देने की सिफारिश की गई है। हाल ही में पीएम किसान सम्मान सम्मेलन में एक एग्री-स्टार्टअप सम्मेलन (कॉन्क्लेव) का उद्घाटन भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान (आईएआरआई) पूसा, नई दिल्ली में किया गया था जहाँ 300 कृषि-स्टार्टअप्स ने अपने नवाचारों को प्रदर्शित प्रदर्शित किया।

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प्रौद्योगिकी विपणन ऊष्मायक (टेक्नोलॉजी बिजनेस इनक्यूबेटर– टीबीआई), टीएनएयू, कोयम्बटूर, कोयम्बटूर के तहत,  कृषि उद्यम अभिविन्यास कार्यक्रम ( एग्रीप्रेन्योरशिप ओरिएंटेशन प्रोग्राम – एओपी ) और स्टार्ट-अप इन्क्यूबेशन प्रोग्राम ( एसएआईपी ) के तीन समूहों को सफलतापूर्वक पूरा किया गया है और 300 स्टार-अप्स को प्रशिक्षित किया गया है। साथ ही 41 स्टार्टअप को 3.87 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान किया गया है।

अंत में, उन्होंने तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय में एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र (आईडीबीसी) का दौरा किया, जिसे वर्ष 2017-18 में स्थापित किया गया था। टीएनएयू आईबीडीसी के तत्वावधान में बनाई गई सुविधाओं का उपयोग करके किसानों को प्रशिक्षण दे रहा है। पिछले 4 वर्षों में लगभग 3000 किसानों को प्रशिक्षित किया गया। रोग निदान प्रयोगशाला पीसीआर, सेंट्रीफ्यूज, जेल प्रलेखन और अन्य उपकरणों के साथ काम कर रही है। शहद प्रसंस्करण इकाई कार्य कर रही है और वे अपने यहाँ उत्पादित शहद के साथ-साथ किसानों से प्राप्त शहद को भी संसाधित करते हैं। टीएनएयू में भारतीय मधुमक्खी (एपिस सेराना इंडिका ) के 150 से अधिक छत्ते हैं, एपिस मेलिफेरा के लगभग 20 छत्ते हैं और उनकी मधुशाला और विश्वविद्यालय परिसर में डंक रहित मधुमक्खियों के लगभग 40 छत्ते हैं। 2017-18 के दौरान एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र (आईबीडीसी) की स्थापना के लिए तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयंबटूर को 138.28 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं।

 

किसानों, मधुमक्खी पालकों, कृषि-उद्यमियों और छात्रों के साथ बातचीत करते हुए डॉ. लिखी ने इस बात पर जोर दिया कि छोटे और सीमांत किसानों के बीच कृषि प्रौद्योगिकियों और संबंधित नवाचारों की अधिकतम पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों द्वारा व्यापक विस्तार प्रयास शुरू किए जाने चाहिए।

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