क्या औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ का मंदिर तोड़ने से पहले किसी अदालत से अनुमति ली थी? लेकिन अब मंदिर में पूजा पाठ बंद करवाने के लिए अदालतों से गुहार लगाई जा रही है।
क्या औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ का मंदिर तोड़ने से पहले किसी अदालत से अनुमति ली थी? लेकिन अब मंदिर में पूजा पाठ बंद करवाने के लिए अदालतों से गुहार लगाई जा रही है।

क्या औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ का मंदिर तोड़ने से पहले किसी अदालत से अनुमति ली थी? लेकिन अब मंदिर में पूजा पाठ बंद करवाने के लिए अदालतों से गुहार लगाई जा रही है।

क्या औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ का मंदिर तोड़ने से पहले किसी अदालत से अनुमति ली थी? लेकिन अब मंदिर में पूजा पाठ बंद करवाने के लिए अदालतों से गुहार लगाई जा रही है।
यह है भारत के लोकतंत्र की न्याय व्यवस्था।
=============
सब जानते हैं कि 1664 में आक्रमणकारी औरंगजेब ने वाराणसी के काशी विश्वनाथ के मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवा दी। औरंगजेब ने यह फैसला अपनी कट्टरपंथी विचारधारा के अनुरूप किया। मंदिर तोड़ने और मस्जिद बनवाने के लिए औरंगजेब ने किसी भी अदालत से कोई अनुमति नहीं ली, लेकिन अब स्वतंत्र भारत में मंदिर परिसर में पूजा पाठ को रुकवाने के लिए मस्जिद के पक्षकार अदालतों से गुहार लगा रहे हैं। मस्जिद के पक्षकारों ने अदालतों में कहा कि मंदिर में पूजा पाठ हो रही है उस पर तुरंत रोक लगा दी जाए। हालांकि अभी तक किसी भी अदालत से मस्जिद के पक्षकारों को सफलता नहीं मिली है। मस्जिद के पक्षकार भले ही काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर पर अपना हक जताए, लेकिन पुरातत्व सर्वेक्षण में यह बात साफ हो गई है कि मस्जिद का निर्माण टूटे मंदिर की सामग्री से हुआ है। इस सर्वे रिपोर्ट के बाद ही वाराणसी की जिला अदालत ने 31 जनवरी को ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा पाठ करने के आदेश दिए हैं। अच्छा हो कि मस्जिद के पक्षकार स्वेच्छा से मंदिर वाली भूमि हिंदू पक्षकारों को सौंप दे। इससे औरंगजेब ने जो आतंक मचाया था उसका भी प्रायश्चित हो जाएगा। मस्जिद के पक्षकारों को यह भी समझना चाहिए कि देश के लाखों हिंदू मुस्लिम परंपराओं का भी मान सम्मान करते हैं। इसलिए मुस्लिम समुदाय की दरगाहों में जाकर जियारत करते हैं। इसे सनातन धर्म का विशाल हृदय ही कहा जाएगा कि जो हिंदू दरगाहों में जियारत करते हैं उसे रोकने का कोई प्रयास नहीं किया गया। जबकि इस्लाम में उस स्थान को जायज नहीं माना गया है जहां किसी अन्य धर्म की पूजा पाठ होती हो। चूंकि वाराणसी में हिंदुओं के पूजा स्थल के ऊपर ही मस्जिद बनी हुई है इसलिए यहां होने वाली नमाज पर भी सवाल उठ रहे हैं। मुस्लिम पक्षकारों को इसे अपनी प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बनाना चाहिए। यदि मुस्लिम पक्षकार स्वेच्छा से मस्जिद वाला स्थान हिंदुओं को देते हैं तो इससे देश में हिंदू मुस्लिम भाईचारा और मजबूत होगा।
S.P.MITTAL