लोकसभा चुनाव में जीत के प्रति आश्वस्त हैं मोदी।
लोकसभा चुनाव में जीत के प्रति आश्वस्त हैं मोदी।

लोकसभा चुनाव में जीत के प्रति आश्वस्त हैं मोदी।

लोकसभा चुनाव में जीत के प्रति आश्वस्त हैं मोदी।
अंतरिम बजट में चुनाव का असर देखने को नहीं मिला।
ईडी के सामने फिर पेश नहीं हुए अरविंद केजरीवाल।
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सब जानते हैं कि राजस्थान में विधानसभा का चुनाव जीतने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने क्या क्या किया। लेकिन इसके बाद भी गहलोत को चुनाव में सफलता नहीं मिली। एक तरफ गहलोत के चुनावी वादे हैं तो दूसरी तरफ नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का 1 फरवरी का अंतरिम बजट है। सभी को उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अंतरिम बजट में लोकलुभावन घोषणाएं होंगी। यहां तक कहा गया कि 7 लाख की आयकर सीमा को भी बढ़ाया जाएगा, लेकिन अंतरिम बजट में एक भी घोषणा ऐसी नहीं हुई जो चुनावी हो। कहा जा सकता है कि मोदी सरकार ने चुनाव को अलग रखकर देश में स्थायी विकास को महत्व दिया है। विकास भी ऐसा जिसमें युवाओं को रोजगार मिल सके। इसका एक उदाहरण एक करोड़ घरों में बिजली के लिए सोलर पैनल लगाने का फैसला है। जब एक करोड़ घरों पर सोलर पैनल लगेंगे तो पैनल बनाने वाली फैक्ट्रियों के हजारों श्रमिकों को काम मिलेंगा। पैनल लगाने और फिर मेंटेनेंस के कार्य में भी रोजगार उपलब्ध होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात तो घर की छत पर ही बिजली का उत्पादन होगा। इस एक फैसले से अनेक फायदे का अनुमान लगाया जा सकता है। आने वाले दिनों में हर घर की छत पर सोलर प्लांट देखने को मिलेंगे। अंतरिम बजट में ऐसे अनेक निर्णय लिए गए हैं। अंतरिम बजट से प्रतीत होता है कि मोदी सरकार लोकसभा चुनाव में जीत के प्रति आश्वस्त है। यदि जीत के प्रति आश्वस्त नहीं होती तो राजस्थान में गहलोत सरकार की तरह लोक लुभावनी घोषणाएं करती। इसे मोदी का आत्म विश्वास ही कहा जाएगा कि संसद के पहले दिन ही कहा कि अभी अंतरिम बजट और जुलाई में मेरी सरकार पूरा वार्षिक बजट प्रस्तुत करेगी। देश की विपक्षी पार्टियां जहां भाजपा के खिलाफ संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करने के लिए प्रयासरत है, वहीं अंतरिम बजट से मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव में उन्हीं की पार्टी की जीत होगी। एक और मोदी को लोकसभा चुनाव में जीत की कोई चिंता नहीं है तो दूसरी और भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ लगातार कार्यवाही की जा रही है। जांच एजेंसियां रोजाना किसी न किसी विधायक, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री आदि को गिरफ्तार कर रही है या फिर उनसे पूछताछ की जा रही है। ताजा मामला झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भी गिरफ्तारी संभव है। कोई माने या नहीं इसे मोदी की दिलेरी और हिम्मत की कहा जाएगा कि एक और अंतरिम बजट में लोक लुभावने वादे नहीं है तो दूसरी और भ्रष्ट राजनेताओं पर लगातार कार्यवाही की जा रही है। असल में मोदी को अब एहसास हो गया है कि देश की जनता उनके साथ है। जनता भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ हुई कार्यवाही से खुश है। मोदी को अब इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि भ्रष्ट नेताओं का एक समूह उनके खिलाफ हो गया है। देखा जाए तो जांच एजेंसियों की कार्यवाही से मोदी खुद भ्रष्ट नेताओं को एकजुट होने का अवसर दे रहे हैं। सनातन धर्म में भगवान के आशीर्वाद को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि भगवान के आशीर्वाद से ही मेहनत का फल मिलता है। यदि भगवान का आशीर्वाद न हो तो मेहनत का फल भी नहीं मिलता। सब जानते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की बाधाओं को मोदी सरकार ने ही हटाया है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। लेकिन मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को भी हटाया और मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति भी दिलाई।
पेश नहीं हुए:
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पांचवां समन जारी कर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 2 फरवरी को दिल्ली स्थित कार्यालय में उपस्थित होने के निर्देश दिए थे, लेकिन केजरीवाल ने ईडी के पांचवें समन को भी दरकिनार कर दिया। केजरीवाल ने कहा कि ईडी का समन गैर कानूनी है। ईडी भाजपा के इशारे पर उन्हें गिरफ्तार करना चाहती है। केजरीवाल ने कहा कि शराब घोटाले में ईडी के पास उनके विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं है। वहीं ईडी के सूत्रों का कहना है कि शराब घोटाले में पकड़े गए आरोपियों ने केजरीवाल के नाम का उल्लेख किया है। 45 करोड़ रुपए गोवा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों पर खर्च करने की बात भी सामने आई है।
S.P.MITTAL