लोकतंत्र के इतिहास में पहला अवसर होगा जब कोई मुख्य मंत्री जेल से सरकार चलाएगा।
लोकतंत्र के इतिहास में पहला अवसर होगा जब कोई मुख्य मंत्री जेल से सरकार चलाएगा।

लोकतंत्र के इतिहास में पहला अवसर होगा जब कोई मुख्य मंत्री जेल से सरकार चलाएगा।

केजरीवाल का जेल जाना तय, इसी लिए जेल से सरकार चलाने की मांग को लेकर कोर्ट जाएंगे।

लोकतंत्र के इतिहास में पहला अवसर होगा जब कोई मुख्य मंत्री जेल से सरकार चलाएगा।

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दिल्ली के बहुचर्चित शराब घोटाले में गिरफ्तार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 28 मार्च को पीएमएलए कोर्ट में पेश किया जाना है। अभी केजरीवाल ईडी की रिमांड पर है यानी केजरीवाल से ईडी दफ्तर में पूछताछ हो रही है। स्वाभाविक है कि 28 मार्च को केजरीवाल के वकील अदालत में जमानत का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करेगें। हो सकता है कि केजरीवाल को जमानत पर छोड़ भी दिया जाए, लेकिन केजरीवाल के वकीलों को शायद जमानत नहीं मिलने का डर है, इसीलिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवत मान ने कहा है कि अब जेल से सरकार चलाने के लिए कोर्ट से मांग की जाएगी। भगवत मान को भी लग रहा है कि केजरीवाल को 28 मार्च के बाद दिल्ली की तिहाड़ जेल में रहना पड़ेगा। चूंकि गिरफ्तारी से पहले केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया इसलिए वे अभी भी दिल्ली के मुख्यमंत्री है। हालांकि भगवत मान चाहते हैं कि केजरीवाल तिहाड़ जेल से ही अपनी सरकार चलाए। सरकार चलाने की मांग पर कोर्ट क्या निर्णय देता है यह तो बाद में पता चलेगा है, लेकिन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में यह पहला अवसर होगा जब किसी मुख्यमंत्री की ओर से जेल से सरकार चलाने की मांग की जा रही है। हालांकि संविधान के जानकारों के अनुसार जेल से सरकार चलाने का कोई प्रावधान नहीं है। हो सकता है कि कोर्ट जेल से सरकार चलाने की अनुमति नहीं दे ।
सवाल उठता है कि आखिर अरविंद केजरीवाल राजनीति में कोनसी मिसाल कायम करना चाहते है? ईडी ने अदालतों में इस बात के सबूत दे दिए है कि केजरीवाल ने मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए जो शराब नीति बनाई उससे करीब 3 हजार करोड़ रुपये का सरकार को घाटा हुआ। इसकी वजह में केजरीवाल और सरकार के मंत्रियों ने 300 करोड़ रुपये तक प्राप्त किए। इन सबूतों के आधार पर ही केजरीवाल को अदालतों से राहत नहीं मिल रही है। यदि ईडी की जांच और सबूतों पर थोड़ा भी संदेह होता तो हाईकोर्ट से केजरीवाल को अग्रिम जमानत मिल जाती। जो केजरीवाल ईमानदार राजनीति का वादा कर सत्ता में आए थे, उन्हीं केजरीवाल ने राजनीति में भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड दिए। लालू प्रसाद यादव जैसे नेताओं ने गिरफ्तार होने से पहले मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन वही केजरीवाल है जो तिहाड़ जेल से सरकार चलाने की मंशा रखते हैं। इतने आरोपों के बाद भी केजरीवाल स्वयं को ईमानदार बता रहे है। केजरीवाल चाहते हैं कि जब वे मंत्रिमंडल की बैठक बुलाए तो दिल्ली सरकार के मंत्री तिहाड़ जेल आजाए। इसी प्रकार जब वे प्रशासनिक बैठक करें तो विभागों के अधिकारी भी जेल के अंदर आ जाए। इन बैठकों के लिए जेल प्रशासन को व्यवस्था भी करनी होगी।
क्या ऐसा संभव है, जहां तक दिल्ली सरकार का सवाल है तो दिल्ली के मुख्यमंत्री को पंजाब के मुख्यमंत्री के बराबर अधिकार नहीं है। दिल्ली सरकार के पास अधीन कानून व्यवस्था नहीं है और न ही भूमि आवंटन का अधिकार है। चूंकि दिल्ली देश की राजधानी है इसीलिए दिल्ली सरकार को सीमित अधिकार है। किसी भी राज्य में कानून व्यवस्था का विषय सबसे बड़ा होता है। इसमें मुख्यमंत्री की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन दिल्ली सरकार के पास कानून व्यवस्था नहीं है। ऐसे में सरकार चलाने को लेकर कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। यदि कानून व्यवस्था का दायित्व दिल्ली सरकार के पास होता तो केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता जो प्रदर्शन कर रहे हैं, उन कार्यकर्ताओं को दिल्ली पुलिस माला पहनती है। हो सकता है कि प्रदर्शनकारियों की संवेदनशील इलाकों में घुसेड़ दिया जाता। चूंकि पुलिस दिल्ली के उपराज्यपाल के अधीन है इसलिए प्रदर्शन करने वालों को गिरफ्तार किया जा रहा है। कई बार दिल्ली सरकार को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की जाती है।
जो लोग ऐसी मांग करते है उन्हें ताजा हालातों को देखना चाहिए। जब अरविंद केजरीवाल जैसे मुख्यमंत्री होंगे तो क्या किसी को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा सकता है? यदि मुख्यमंत्री के अधीन पुलिस होती तो ईडी की लाख कोशिश के बाद भी केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता था। सब जानते हैं कि देश की राजधानी होने के कारण दिल्ली में राष्ट्रपति भवन, संसद भवन के साथ-साथ विदेशी दूतावास भी है। ऐसे में दिल्ली पर केंद्र सरकार का नियंत्रण होना जरूरी है। अच्छा हो कि केजरीवाल तत्काल प्रभाव से मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे और अपनी जगह अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाए। केजरीवाल की वजह से लोकतंत्र को भी शर्मसार होना पड रहा है। केजरीवाल के राजनीतिक गुरु अन्ना हजारे ने भी कहा है कि केजरीवाल ने जैसे कर्म किए है वैसे फल मिल रहे हैं। दिल्ली की शराब नीति का विरोध अन्ना हजारे ने भी किया था, लेकिन केजरीवाल ने अपने गुरु की सलाह भी नहीं मानी। भाजपा ने भी कहा है कि जेल से आपराधिक गैंग चलायी जाती है न कि सरकार । केजरीवाल और उनके समर्थक माने या नहीं, लेकिन केजरीवाल के रवैए से देश की राजनीति को बहुत नुकसान हो रहा है। अफसोस की बात तो यह है कि जिस कांग्रेस पर केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के सबसे ज्यादा आरोप लगाए, वही कांग्रेस आज के केजरीवाल के साथ खड़ी है।
S.P.MITTAL