चेहरों का सच

आदरणीय डांडिया साहेब की नवीनतम, सद्य प्रकाशित पुस्तक “चेहरों का सच” उन्हीं के कर कमलों से प्राप्त करने का सौभाग्य आज मिला ।
उनका, मेरे पिता स्वर्गीय श्री नारायण चतुर्वेदी जी के घनिष्ठ मित्र होने के कारण, मुझ पर ही नहीं वरन् हमारे पूरे परिवार पर सदैव से ही अपार स्नेह तथा आशीर्वाद रहा है ।
डांडिया साहेब को राजस्थान का प्रथम स्थापित खोजी पत्रकार माना जा सकता है। उनके साहस और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लक्षण उनकी पत्रकारिता यात्रा के प्रारम्भ में ही दिखने लगे थे।
वर्ष 1950 के लगभग डांडिया जी दैनिक लोकवाणी में कार्यरत थे। समाचार पत्र के स्वामी श्री हीरालाल शास्त्री प्रदेश के प्रधानमंत्री और सम्पादक श्री सिद्धराज जी ढढ्ढा मंत्री हो गये थे । डांडिया साहेब ने उस समय भी अनाज की कमी व जमाखोरों से सम्बन्धित एक समाचार लिखा, जो प्रकाशित भी हुआ । यह समाचार तत्कालीन प्रशासन के विरुद्ध माना गया और बहुचर्चित रहा। उसके बाद की कथा तो सर्वविदित है । कितने विभागों, संगठनों आदि के कितने घोटालों के समाचारों के देश एवं प्रदेश के समाचार पत्रों में प्रकाशित होने से अनेकानेक मंत्रियों, अधिकारियों तथा पदाधिकारियों को अपदस्थ होना पड़ा, गिनती ही नहीं ।
इस पुस्तक का प्रकाशन उनकी पिछली पुस्तकों की नई कड़ी तो है ही, इसके माध्यम से डांडिया जी के व्यक्तित्व व परिवार के साथ ही मूल्य और सरोकार भी आलोकित होंगे ।
आशा करनी चाहिए कि आने वाले समय की पीढ़ी मूल्यानुगत पत्रकारिता के महत्व को समझ पाएगी और अपने ज्ञान को समृद्ध करेगी ।
पुस्तक का प्रकाशन
‘विवेक पब्लिशिंग हाउस’
धामाणी मार्केट, चौड़ा रास्ता, जयपुर।
द्वारा किया गया है ।