किशनगढ़ विधायक टाक ने ब्लैक में खरीद कर सरकारी अस्पताल को दिए।

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत बताएं कि क्या ऑक्सीजन सिलेंडर के रेगुलेटर का इंतजाम भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्र सरकार करे?
हकीकत यह है कि गहलोत सरकार प्रतिदिन 100 मीट्रिक टन ऑक्सीजन ले ही नहीं पा रही है।
चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के केकड़ी में भी रेगुलेटर नहीं। किशनगढ़ विधायक टाक ने ब्लैक में खरीद कर सरकारी अस्पताल को दिए।
=========
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अखबारों में बड़े बड़े विज्ञापन देकर कहा है कि कोरोना काल में जीवन रक्षक दवाइयों और ऑक्सीजन पर केन्द्र सरकार का नियंत्रण है। राजस्थान को मांग के अनुरूप दवाइयां और ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है। यानी लोगों की परेशानी के लिए केन्द्र सरकार जिम्मेदार है। सीएम गहलोत ने बड़ी चतुराई से अपनी जिम्मेदारी को केन्द्र सरकार पर डाल दिया है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या ऑक्सीजन सिलेंडर के रेगुलेटर की व्यवस्था भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्र सरकार करेगी? इन दिनों प्रदेशभर में सिलेंडर के रेगुलेटर को लेकर परेशानी हो रही है। प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी में सरकारी अस्पताल में कोविड के 50 मरीजों के इलाज के लिए बेड लगवा दिए हैं, लेकिन अधिकांश बेड के मरीजों को ऑक्सीजन की सुविधा नहीं मिल रही है। अस्पताल प्रशासन के पास सिलेंडर तो हैं, लेकिन सिलेंडर से मरीज की नाक तक ऑक्सीजन पहुंचाने के काम आने वाला रेगुलेटर नहीं है। दो दिन पहले ही किशनगढ़ के निर्दलीय विधायक सुरेश टाक ने मीडिया को बताया कि सिलेंडर के 15 रेगुलेटर उन्होंने ब्लैक में खरीदें हैं। एक रेगुलेटर जो अधिकतम 1300 रुपए का आता है, उसे 6 हजार 500 रुपए में खरीदा है। विधायक ने बताया कि उनके एक रिश्तेदार ने रेगुलेटर ब्लैक में जयपुर से खरीदे हैं। 15 रेगुलेटरों में से 10 किशनगढ़ के सरकारी यज्ञनारायण अस्पताल में दिए गए हैं, ताकि भर्ती मरीजों को ऑक्सीजन लग सके। सब जानते हैं कि सुरेश टाक भी गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे हैं। जब सरकार चलाने वाले विधायक को कोरोना काल में ब्लैक में रेगुलेटर खरीदने पड़ रहे हो तथा चिकित्सा मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में रेगुलेटर के अभाव में मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल रही हो तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपनी सरकार की व्यवस्था का अंदाजा लगा लेना चाहिए। क्या राजस्थान सरकार रेगुलेटर का भी इंतजाम नहीं कर सकती है? दावे तो बहुत किए जा रहे हैं, लेकिन अस्पतालों में रेगुलेटर तक नहीं है। यह माना कि केन्द्र सरकार ने कोरोना काल में ऑक्सीजन का वितरण अपने हाथ में ले लिया है। इससे पीछे ऑक्सीजन की काला बाजारी को रोकना है। यदि ऑक्सीजन पर केन्द्र का नियंत्रण नहीं होता तो रेगुलेटर की तरह ऑक्सीजन के सिलेंडर भी ब्लैक में मिलते। केन्द्र सरकार ने राजस्थान को 250 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का कोटा निर्धारित किया है, लेकिन गहलोत सरकार प्रतिदिन 150 मीट्रिक टन ऑक्सीजन ले पा रही है। यानी 100 मीट्रिक टन ऑक्सीजन लैप्स हो रही है। सीएम गहलोत का कहना है कि हमारे पास ऑक्सीजन परिवहन के टैंकर नहीं है। अब टैंकर के लिए भी केन्द्र सरकार से गुहार लगाई जा रही है। यूं तो सीएम अशोक गहलोत प्रधानमंत्री को आए दिन बड़े बड़े सुझाव देते हैं, लेकिन खुद अपने बूते पर टैंकर का इंतजाम भी नहीं कर सकते। जब सभी कार्य केन्द्र सरकार को करने है तो राजस्थान सरकार की क्या भूमिका है? आज यदि गहलोत सरकार अपने कोटे का 250 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्राप्त कर ले तो प्रदेशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं रहेगी। यह प्रचार गलत है कि केन्द्र सरकार मांग के अनुरूप ऑक्सीजन नहीं दे रही है। उल्टे आवंटित ऑक्सीजन ही नहीं लिया जा रहा है। राज्य सरकार को कम से कम रेगुलेटर और टैंकर की तो व्यवस्था करनी चाहिए।