सुप्रीम कोर्ट को दिल्ली के साथ साथ देश के अन्य राज्यों के संक्रमित मरीजों की भी चिंता करनी चाहिए

विशेषज्ञों ने जब कोरोना की तीसरी लहर पर चिंता जताई तब भारत में दूसरी लहर में एक दिन में 4 लाख 12 हजार लोग संक्रमित हुए।
सुप्रीम कोर्ट को दिल्ली के साथ साथ देश के अन्य राज्यों के संक्रमित मरीजों की भी चिंता करनी चाहिए। कोर्ट के डंडे के डर से केन्द्र सरकार ने दिल्ली को एक ही दिन में 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी। जबकि 7 करोड़ की आबादी वाले राजस्थान को 250 मीट्रिक टन ऑक्सीजन भी नहीं मिल रही है।
जोधपुर के अस्पताल में कथावाचक आसाराम बापू की तबीयत बिगड़ी।
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6 मई को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले चौबीस घंटे के जो आंकड़े जारी किए हैं उनमें देश में 4 लाख 12 हजार 262 व्यक्ति कोरोना संक्रमित हुए हैं। जबकि तीन हजार 980 संक्रमित व्यक्तियों की मौत हो गई। कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित व्यक्तियों और उनकी मौत का यह सर्वाधिक आंकड़ा है। यह भयावह स्थिति तब है, जब विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर को लेकर चिंता जताई है। विशेषज्ञों का मानना है कि दूसरी लहर के हालात को देखते हुए देश में तीसरी लहर आना निश्चित है। जिस प्रकार दूसरी लहर पहली लहर से खतरनाक है उसी प्रकार तीसरी लहर दूसरी लहर से ज्यादा खतरनाक होगी। सरकार को व्यापक इंतजाम करने होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि अब राज्यवार लॉकडाउन का कोई असर नहीं होने वाला है। अब देशव्यापी लॉकडाउन की सख्त जरूरत है। कोरोना की दूसरी लहर में सबने देखा कि राज्य सरकारों के चिकित्सा साधन कम पड़ गए। ऑक्सीजन के अभाव में जहां मरीज अस्पतालों के बाहर दम तोड़ रहे हैं वहीं भर्ती मरीजों को जीवन रक्षक दवाएं भी नहीं मिल रही है। जिस तरह से लोग संक्रमित हो रहे हैं, उसमें अब सख्त कदम उठाने चाहिए। केन्द्र और कुछ राज्यों को अपने राजनीतिक मतभेद भुलाकर कोरोना से लड़ने की तैयारी करनी चाहिए। दूसरी लहर से लोगों को तभी बचाया जा सकता है, जब गत वर्ष की तरह देशभर में एक समान लॉकडाउन किया जाए। इसमें परिवहन के सभी साधन बंद होने चाहिए। यदि राज्य सरकारें अभी भी अपनी अपनी ढपली बजाती रही तो देश को बहुत बड़ा नुकसान होगा।
अन्य राज्यों की भी चिंता करे कोर्ट:
6 मई को दिल्ली में ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जो सुनवाई हुई, उसमें केन्द्र सरकार की ओर से बताया गया कि कोर्ट के आदेश के अनुसार 6 मई को दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दे दी गई है। कोर्ट को यह भी बताया गया कि यदि दिल्ली को रोजाना 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी जाती है तो देश के अन्य राज्यों की सप्लाई में कटौती करनी पड़ेगी। कोर्ट को बताया गया कि दिल्ली के अस्पतालों में 400 मीट्रिक टन ऑक्सीजन के स्टोरेज की ही व्यवस्था है। दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन के लिए जो आंकड़े दिए हैं, वे सही नहीं है। अस्पतालों में काम आने वाली ऑक्सीजन की ऑडिट होनी चाहिए। केन्द्र सरकार ने कोर्ट में जो जवाब दिया, उससे प्रतीत होता है कि कोर्ट के डंडे के डर से दिल्ली को एक दिन में 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई है। यह माना कि ऑक्सीजन के अभाव में देश के किसी भी नागरिक की मृत्यु नहीं होनी चाहिए। लेकिन ऑक्सीजन को लेकर दिल्ली के अस्पतालों की जो स्थिति है उससे बदतर स्थिति राजस्थान के अस्पतालों की है। केन्द्र सरकार ने राजस्थान के लिए 250 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का कोटा निर्धारित किया है। अब सुप्रीम कोर्ट को यह देखना होगा कि दिल्ली से कई गुना बड़ा राजस्थान 250 मीट्रिक टन ऑक्सीजन से कैसे काम चलेगा? चूंकि कोरोना काल में ऑक्सीजन की जरुरत हर राज्य को है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट को देश के हर नागरिक की चिंता करनी चाहिए। ऑक्सीजन का जरुरत के हिसाब से वितरण होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट को सिर्फ दिल्ली की चिंता नहीं करनी चाहिए। 6 मई की सुनवाई में स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने माना कि कोरोना की दूसरी लहर में हालात बेहद खराब है। कोर्ट ने बच्चों के लिए वैक्सीन लगाने को भी कहा है।
आसाराम की तबीयत बिगड़ी:
सुप्रसिद्ध कथावाचक रहे आसाराम बापू की तबीयत जोधपुर के सरकारी अस्पताल में बिगड़ गई है। कोरोना संक्रमित होने की वजह से बापू को 5 मई को जोधपुर जेल से अस्पताल में शिफ्ट किया गया था। लेकिन 6 मई को बापू का ऑक्सीजन लेवल गिर गया। चिकित्सकों के अनुसार बापू को लगातार बुखार भी आ रहा है। बापू की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने अस्पताल के बाहर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। यहां यह उल्लेखनीय है कि दो शिष्यों के साथ यौनशोषण के आरोप में आसाराम बापू जोधपुर जेल में उम्रकैद की सजा भुगत रहे हैं।