दिल्ली को रोजाना 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन देने के लिए राजस्थान को जामनगर भेजा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का असर।

दिल्ली को रोजाना 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन देने के लिए राजस्थान को जामनगर भेजा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का असर।
प्रदेश के निजी अस्पतालों का ऑक्सीजन कोटा बढ़ाने पर अजमेर के मित्तल अस्पताल ने राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव का आभार जताया।
=========
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केन्द्र सरकार ने दिल्ली को प्रतिदिन 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन देने का जो निर्णय लिया है उससे अब राजस्थान को परेशानी हो रही है। प्रदेश के पांच निजी अस्पतालों को अभी तक लिक्विड ऑक्सीजन हरियाणा के पानीपत प्लांट से मिल रही थी, लेकिन अब दिल्ली को रोजाना 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन देनी पड़ रही है, इसलिए केन्द्र सरकार ने राजस्थान को गुजरात के जामनगर प्लांट से ऑक्सीजन लेने को कहा है। तत्काल प्रभाव से पानीपत के प्लांट से सप्लाई रोक दी गई है। चूंकि जामनगर प्लांट से ऑक्सीजन आने में 15 घंटे से भी ज्यादा का समय लगेगा, इसलिए इसलिए जयपुर के प्रसिद्ध महात्मा गांधी अस्पताल और अन्य अस्पतालों ने कोविड मरीजों की भर्ती पर रोक लगा दी है। इससे प्रदेशभर में संकट खड़ा होगा। पानीपत के प्लांट से ऑक्सीजन के परिवहन में 6-7 घंटे ही लगते थे। जानकारों का मानना है कि राजस्थान को जामनगर भेजने के पीछे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश ही है। केन्द्र सरकार ने कोर्ट में कहा है कि यदि दिल्ली को रोजाना 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी जाएगी तो दूसरे राज्यों के कोटे में कटौती की जाएगी। हालांकि केन्द्र ने फिलहाल राजस्थान के कोटे में कटौती तो नहीं की है लेकिन राजस्थान को जामनगर भेज दिया है। सवाल उठता है कि सुप्रीम कोर्ट को सिर्फ दिल्ली की ही चिंता है? क्या राजस्थान में भारत के नागरिक नहीं रहते हैं? राजस्थान तो दिल्ली से बहुत बड़ा है। राजस्थान को तो पहले ही मांग के अनुरूप ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। मालूम हो कि पानीपत के प्लांट से जयपुर के महात्मा गांधी, संतोकबा दुर्लभजी, नारायणा और भगवान महावीर अस्पतालों के साथ साथ अजमेर के पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल को लिक्विड ऑक्सीजन मिल रही थी।
भूपेन्द्र यादव का आभार:
पांच निजी अस्पतालों का ऑक्सीजन कोटा बढ़ाने पर अजमेर के मित्तल अस्पताल के निदेशक मनोज मित्तल ने राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव का आभार जताया है। मित्तल ने बताया कि हाल ही में केन्द्र सरकार ने प्रदेश के पांच अस्पतालों को ऑक्सीजन 15 मीट्रिक टन कर दिया था, जबकि हमें प्रतिदिन 30 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिल रहा था। अस्पतालों की परेशानी को देखते हुए यादव ने केन्द्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल से दो बार बात की और कोटा बढ़ाने का आग्रह किया। यादव के प्रयासों के कारण ही अब ऑक्सीजन का कोटा पहले की तरह 30 मीट्रिक टन का हो गया है। यादव ने एक जनप्रतिनिधि होने के नाते पूरी जागरुकता दिखाई है। उन्होंने बताया कि जब पहले की तरह ऑक्सीजन मिलने लगेगी तो हमारे अस्पताल में भी ऑक्सीजन का संकट नहीं रहेगा, लेकिन अभी मित्तल अस्पताल को भी ऑक्सीजन की किल्लत से गुजरना पड़ रहा है। जो कोविड मरीज अस्पताल में भर्ती है,उनसे अन्यत्र शिफ्ट होने का आग्रह किया गया है, लेकिन सिर्फ तीन मरीज ही गए हैं। कोविड के 43 मरीज अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं। मरीजों को स्थानांतरित करने के लिए प्रबंधन ने कोई दबाव नहीं डाला, लेकिन जब ऑक्सीजन ही नहीं होगी तो हम मरीजों को ऑक्सीजन पर कैसे रख सकते हैं। हम निजी और प्रशासनिक स्तर पर लगातार प्रयास कर रहे हैं, ताकि ऑक्सीजन की सप्लाई सुचारू रहे।