दिल्ली हिंसा के मामले में जमानत देने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हिंसा के मामले में यूएपीए के आरोपितों आसिफ इकबाल तान्हा, देवांगन कलीता और नताशा नरवाल को जमानत देने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने पिछले 15 जून को तीनों को जमानत दी थी।
हाई कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है। इस मामले में 740 गवाह हैं। इन गवाहों में स्वतंत्र गवाहों के अलावा, सुरक्षित गवाह, पुलिस गवाह इत्यादि शामिल हैं। ऐसे में इन आरोपितों को 740 गवाहों की गवाही खत्म होने तक जेल के अंदर नहीं रखा जा सकता है। कोर्ट ने कहा था कि कोरोना के वर्तमान समय में जब कोर्ट का प्रभावी काम बिल्कुल ठप हो गया है। कोर्ट क्या उस समय तक का इंतजार करे जब तक कि आरोपितों के मामले का जल्दी ट्रायल पूरा नहीं हो जाता है।
आसिफ इकबाल तान्हा जामिया यूनिवर्सिटी का छात्र है। उसे मई 2020 में दिल्ली हिंसा के मामले में गिरफ्तार किया गया था। नताशा नरवाल और देवांगन कलीता पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य हैं। दोनों को मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था। तीनों पर दिल्ली में हिंसा भड़काने का आरोप है।
दंगों में साजिश रचने के मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अब तक 18 लोगों को आरोपित किया है। जिन लोगों को आरोपित किया गया है उनमें ताहिर हुसैन, सफूरा जरगर, उमर खालिद, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, गुलफिशा, शफा उर रहमान, आसिफ इकबाल तान्हा, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान, अतहर खान, शरजील इमाम, फैजान खान, नताशा नरवाल और देवांगन कलीता शामिल हैं। सफूरा जरगर को पहले ही मानवीय आधार पर जमानत मिल चुकी है।