दालों के आयातकों को स्टॉक सीमा से छूट दी गई

दालों के आयातकों को स्टॉक सीमा से छूट दी गई

किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए यह उपाय ऐसे समय में किया गया है, जब दालों की कीमतों में गिरावट का रुझान दिखाई दे रहा है

थोक विक्रेताओं के लिए स्टॉक की सीमा 500 मीट्रिक टन होगी

मिल मालिकों के लिए स्टॉक सीमा पिछले 6 महीने का उत्पादन या वार्षिक स्थापित क्षमता का 50 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो मानी जाएगी

खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा 5 मीट्रिक टन रहेगी

दालों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए किए साहसिक उपायों से अच्छे परिणाम मिले

दालों की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के बाद केंद्र सरकार ने आज महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे किसानों को काफी मदद मिलेगी।

कीमतों में नरमी आने और राज्य सरकारों तथा विभिन्न हितधारकों से प्राप्त फीडबैक को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने मिल मालिकों एवं थोक विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा में ढील दी है तथा आयातकों को इससे छूट दी गई है। हालांकि इन संस्थाओं को उपभोक्ता मामले विभाग के वेब पोर्टल पर अपने स्टॉक की घोषणा करनी होगी। स्टॉक सीमा केवल तुअर (अरहर), उड़द, चना और मसूर दाल पर लागू होगी।

संशोधित आदेश में प्रावधान किया गया है कि स्टॉक सीमा केवल अरहर, मसूर, उड़द और चने पर 31 अक्टूबर, 2021 तक की अवधि के लिए लागू रहेगी। यह निर्णय लिया गया है कि दालों के आयातकों को स्टॉक सीमा से छूट दी जाएगी और वे उपभोक्ता मामले विभाग के पोर्टल (fcainfoweb.nic.in) पर दालों के स्टॉक की घोषणा करना जारी रखेंगे।

थोक विक्रेताओं के लिए, स्टॉक सीमा 500 मीट्रिक टन होगी (बशर्ते एक किस्म की 200 मीट्रिक टन से अधिक का स्टॉक नहीं होना चाहिए; खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टॉक की सीमा 5 मीट्रिक टन होगी; और मिल मालिकों के लिए स्टॉक की सीमा पिछले 6 महीने का उत्पादन या वार्षिक स्थापित क्षमता का 50 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो) खरीफ मौसम में अरहर और उड़द की बुवाई के इस महत्वपूर्ण समय पर किसानों को आश्वासन देने के मामले में मिल मालिकों के लिए इस छूट का डाउन-स्ट्रीमिंग प्रभाव होगा।

संबंधित कानूनी संस्थाएं उपभोक्ता मामले विभाग के पोर्टल (fcainfoweb.nic.in) पर अपने स्टॉक की घोषणा करना जारी रखेंगी और यदि उनके पास स्टॉक निर्धारित सीमा से अधिक है, तो वे इसे इस अधिसूचना के जारी होने के 30 दिन में निर्धारित स्टॉक सीमा के भीतर लाएंगी।

यहां पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि भारत सरकार दालों जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है और 14 मई, 2021 को विभिन्न श्रेणियों के हितधारकों द्वारा दालों के स्टॉक की घोषणा करने और उसके बाद 2 जुलाई 2021 को दालों पर स्टॉक सीमा निर्धारित करने जैसे विभिन्न उपाय किए हैं।

राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों व दलहन व्यापार में शामिल सभी हितधारकों के सक्रिय सहयोग से दो महीने की छोटी सी अवधि में संस्थानों ने 8343 पंजीकरण किए और विभाग के वेब पोर्टल पर 30.01 लाख मीट्रिक टन से अधिक के स्टॉक की घोषणा की गई।

अरहर, उड़द, मूंग और चने की कीमतों में लगातार गिरावट का रुख दिखाई दे रहा है। मई 2021 के मध्य से स्टॉकहोल्डर्स द्वारा पोर्टल पर स्टॉक की घोषणा और केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा इसकी निरंतर निगरानी के साथ शुरुआत और इसके बाद जुलाई के पहले हफ्ते में आपूर्ति बढ़ाने के लिए स्टॉक सीमा को लागू किया गया, इन उपायों का उद्देश्य दालों की खुदरा कीमतों में लगातार कमी लाना है। पिछले दो महीनों में सभी दालों (मसूर को छोड़कर) के थोक मूल्यों में 3 से 4 फीसदी की गिरावट आई है और इसी समान अवधि में सभी दालों (मसूर को छोड़कर) की खुदरा कीमतों में 2 से 4 फीसदी की कमी दर्ज की गई।

17 जुलाई 2021 को केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री ने एक बैठक की थी, जिसमें दालों के आयातक, मिल मालिक, थोक विक्रेता व खुदरा विक्रेता सहित विभिन्न हितधारकों के संघों के साथ राज्य मंत्री भी उपस्थित थे। इस बैठक में दालों पर स्टॉक सीमा लगाने से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गई। सभी बड़े संघों ने उपभोक्ता मामलों के विभाग के वेब पोर्टल पर स्टॉक की घोषणा के लिए और यह सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया कि जमाखोरी व कृत्रिम कमी नहीं होने दी जाएगी।

भारत सरकार कीमतों को कम करने को लेकर उचित समय पर उपाय करने के लिए प्रतिबद्ध है और आम आदमी की चिंताओं व नाराजगी को काफी हद तक कम कर दिया है। इसके साथ ही, प्रभाव का आकलन करने के लिए नीतिगत उपायों की बारीकी से निगरानी की जाती है और समाज के सभी वर्गों के हितों की रक्षा के लिए उभरते हुए घटनाक्रमों के अनुसार इनका समाधान किया जाता है।

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