युवा मामले और खेल मंत्रालय ने ग्रामीण, आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों सहित देश भर में खेलों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं: खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर

मुख्य बिंदु:
 
खेल’ राज्य का विषय होने के कारण खेल विद्यालय खोलने सहित खेल के विकास की जिम्मेदारी राज्य/केंद्र शासित क्षेत्र की सरकारों की होती है। केंद्र सरकार इस संबंध में उनके प्रयासों में सहयोग देती है। यह मंत्रालय देश में ऐसे स्कूलों की संख्या के संबंध में राज्य/केंद्र शासित क्षेत्र/जिला-वार आंकड़े नहीं रखता है।
युवा मामले और खेल मंत्रालय ने ग्रामीण, आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों सहित देश भर में खेलों को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित योजनाएं तैयार की हैं:-
(i) खेलो इंडिया योजना (ii) राष्ट्रीय खेल संघों को सहायता; (iii) अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों के विजेताओं और उनके प्रशिक्षकों को विशेष पुरस्कार; (iv) राष्ट्रीय खेल पुरस्कार, प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को पेंशन; (v) पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय खेल कल्याण कोष; (vi) राष्ट्रीय खेल विकास कोष; और (vii) भारतीय खेल प्राधिकरण के माध्यम से खेल प्रशिक्षण केंद्रों का संचालन।
इन योजनाओं से लाभान्वित होने वाले ज्यादातर खिलाड़ी देश के ग्रामीण, पिछड़े, आदिवासी और महिला आबादी से आते हैं तथा उन्हें योजनाओं के अनुमोदित मानदंडों के अनुसार आवासीय एवं गैर-आवासीय आधार पर नियमित प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
खेलो इंडिया योजना के तहत जमीनी स्तर पर दो श्रेणियों में प्रतिभा खोज शुरू की गई है:-
• खेलों की संभावित प्रतिभा की पहचान
• सिद्ध प्रतिभा की पहचान
 
इसके अलावा, प्रतिभा की पहचान करने के लिए भारत को उत्तर, पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर-पूर्व क्षेत्रों में पांच क्षेत्रों में बांटा गया है। संभावित और सिद्ध खिलाड़ियों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए देश के हर कोने तक पहुंचने के लिए कई ग्रासरूट जोनल टैलेंट आइडेंटिफिकेशन कमेटी का गठन किया गया है। 8 से 14 वर्ष के आयु वर्ग में उन 20 खेल विधाओं में प्रतिभा पहचान की जाती है, जिनमें देश में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता प्राप्त करने की क्षमता/लाभ होता है।
खेलो इंडिया योजना के ‘प्रतिभा खोज और विकास’ वर्टिकल के तहत, इस योजना के तहत पहचाने और चुने गए खेलो इंडिया खिलाड़ियों को प्रति खिलाड़ी प्रति वर्ष 6.28 लाख रुपये की वार्षिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें 1.20 लाख रुपये प्रति वर्ष पॉकेट भत्ता के रूप में दिया जाता है और कोचिंग, खेल विज्ञान सहायता, आहार, उपकरण, उपभोज्य, बीमा शुल्क आदि जैसी अन्य सुविधाओं के लिए 5.08 लाख रुपये दिए जाते हैं। इसके अलावा, विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में जिला स्तर पर योजना के तहत अधिसूचित प्रत्येक खेलो इंडिया केंद्र प्रति खेल पांच लाख रुपये का एक बार मिलने वाला अनुदान और प्रति खेल पांच लाख रुपये का आवर्ती अनुदान प्राप्त करने के लिए पात्र है।
खेलो इंडिया योजना के “राष्ट्रीय/क्षेत्रीय/राज्य खेल अकादमियों को समर्थन” वर्टिकल के तहत, खेलो इंडिया खिलाड़ियों के प्रशिक्षण के लिए खेल अकादमियों को मान्यता दी जाती है। अकादमियों को मान्यता देना एक सतत प्रक्रिया है और खेल अकादमियों को खेलो इंडिया योजना के तहत नियत प्रक्रिया का पालन करने के बाद राज्य/केंद्र शासित क्षेत्र की सरकारों से रुचि की अभिव्यक्ति प्राप्त होने पर मान्यता दी जाती है। देशभर में अब तक ऐसे 236 खेल अकादमियों को मान्यता मिल चुकी है। इसके अलावा, खेलो इंडिया योजना के “राज्य स्तरीय खेलो इंडिया केंद्र” वर्टिकल के तहत, इस मंत्रालय ने देश भर में 1,000 खेलो इंडिया केंद्र स्थापित करने का फैसला किया है, जिनमें से 360 खेलो इंडिया केंद्र पहले ही अधिसूचित किए जा चुके हैं।
युवा मामले और खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने आज राज्य सभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी।
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