संसद सत्र के दौरान विपक्ष केलोकतंत्र विरोधी और हिंसक व्यवहार से भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में काला अध्याय लिखा गया

विपक्षी संसद सदस्यों (एमपी) द्वारा निंदनीय कार्य आम हो गए हैं। इस सत्र मेंउनके कृत्य कोई अपवाद नहीं बल्कि निरंतर होने वाले कार्य थे। बीते साल सदन में नियम पुस्तिका को फाड़ने से लेकर विपक्ष के ज्यादातर असंसदीय आचरणों का गवाह बनने तक, विपक्ष का आचरण दिन प्रतिदिन शर्मनाक होता जा रहा है। नई दिल्ली में आज एक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही गई। संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल, श्री धर्मेंद्र प्रधान, श्री मुख्तार अब्बास नकवी, श्री प्रह्लाद जोशी, श्री भूपेंद्र यादव, श्री अनुराग सिंह ठाकुर, श्री अर्जुन राम मेघवाल और श्री वी मुरलीधरन शामिल हुए थे।
 
मंत्रियों ने कहा कि विपक्ष ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि सत्र धुल जाना चाहिए। उनका इरादा सदन में कामकाज नहीं होने देने का था। वास्तव में, सरकार ने कई अवसरों पर चर्चा की पेशकश की थी। हालांकि, चर्चाओं की अपील का उन पर असर नहीं पड़ा और उन्होंने माननीय मंत्री के हाथ से कागज छीन लिए और उन्हें फाड़ दिया। यहां तक कि माननीय प्रधानमंत्री को मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले नए सदस्यों का परिचय कराने का मौका नहीं दिया गया।
 
कुछ विपक्षी सदस्यों सदन के बीचोंबीच स्थित मेज पर, जिसका नाम सैंक्टम सैंक्टोरम (गर्भगृह) है, पह चढ़कर सदन की पवित्रता का अपमान किया और अध्यक्षता पर नियम पुस्तिका फेंक दी। संसद में मेज पर चढ़ने वाले संसद सदस्य न सिर्फ मेज पर चढ़े, बल्कि उन्हें संसदीय नीति शास्त्र को रौंद दिया। उन्होंने न सिर्फ अध्यक्ष पर पुस्तक फेंकी, बल्कि वह सदन के संसदीय आचरण को भी ताक पर रख रहे थे। हमारे सदन में इस तरह का व्यवहार अप्रत्याशित है और विपक्ष ने सदन की प्रतिष्ठा को भी गंभीर नुकसान पहुंचाया है। विपक्ष का व्यवहार संस्थान की गरिमा पर एक हमला था और महासचिव इससे गंभीर रूप से घायल हो सकते थे। विपक्षी सदस्यों द्वारा किया गया दुर्व्यहवार भारत के संसदीय इतिहास में शर्मनाक कलंक के समान है। यह दुखद है कि विपक्षी सांसदों ने अपने कृत्यों के लिए क्षमा भी नहीं मांगी। इसके बजाय वे अपने इन शर्मनाक कृत्यों को वीरतापूर्ण काम मान रहे हैं।
 
श्री पीयूष गोयल ने कहा कि विपक्ष ने पूरे सत्र के दौरान सिर्फ इसलिए दुर्व्यहवार किया, क्योंकि वे जन कल्याण के मुद्दों पर चर्चा नहीं होने देना चाहते थे। यह मांग की गई है कि विपक्ष के ऐसे शर्मनाक और अवरोधक व्यवहार के लिए उस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। वे राष्ट्रीय असंतोष को बढ़ावा देने के लिए विपक्षी एकता तैयार करना चाहते हैं। उन्हें राष्ट्र को उत्तर देने होंगे।
 
हंगामे के बीच विधेयक पारित होने पर विपक्ष सवाल करता है। हालांकि, संसदीय बहस के लिए उनके इनकार के चलते कोई विकल्प नहीं बचा था। सिर्फ चिल्लाने के बजाय, वे संसदीय प्रक्रिया को बाधित करने के लिए कर्मचारियों के साथ हिंसा और हाथापाई करने लगे हैं। इसके अलावा यूपीए सरकार के दौरान हंगामे के बीच जब कई विधेयक बिना चर्चा के पारित किए गए थे तो उनकी यह चिंता कहां थी। 2006से 2014के बीच, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए 1और 2)  सरकार ने जल्दबाजी में कुल 18विधेयक पारित किए थे।
 
2014के बाद भारी व्यवधान के बावजूद, राज्यसभा में इस सत्र के दौरान पारित विधेयकों की संख्या 2014के बाद सबसे ज्यादा (प्रति दिन 1.1विधेयक पारित) थी। व्यवधानों/ स्थगनों के चलते 76घंटे 26मिनट का समय व्यर्थ हो गया और यह 2014में राज्यसभा के 231वें सत्र के बाद व्यवधानों/ स्थगनों के चलते 4घंटे 30मिनट के साथ प्रतिदिन औसतन सबसे ज्यादा समय का नुकसान था।
 
इस अराजकता और व्यवधान के बावजूद, राज्यसभा में 19विधेयक (ओबीसी आरक्षण पर पारित संवैधानिक संशोधन सहित) पारित हुए, जो राष्ट्रीय हित में हैं और इससे ओबीसी, कामगार, उद्यमी और हमारे समाज का हर तबका लाभान्वित होगा। इससे सरकार की संसद में विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता, उत्पादकता और क्षमता का पता चलता है, जिसका उद्देश्य अपने नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा करना है। इससे हमारे देश का भविष्य आकार लेगा। सरकार सत्र के दौरान सरकारी काम करने में सफल रही है।
 
मानसून सत्र का विवरण
 
 
 
 
 
क. आर्थिक क्षेत्र/कारोबार को सुगम बनाने के उपाय
 
कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2021में प्रावधान है कि यदि लेनदेन 28 मई, 2012 से पहले किया गया था, तो भारतीय संपत्ति के किसी भी अप्रत्यक्ष हस्तांतरण के लिए कथित पूर्वव्यापी संशोधन के आधार पर भविष्य में किसी कर की मांग नहीं की जाएगी।
 
सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021में सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों में अधिक से अधिक निजी भागीदारी और अर्थव्यवस्था के तेजी से विकास में योगदान करने और पॉलिसी धारकों के हितों को बेहतर ढंग से सुरक्षित करने तथा बीमा निवेश और सामाजिक सुरक्षा को बढ़ाने का प्रावधान है।
 
जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक, 2021बैंकों पर प्रतिबंध होने पर भी जमाकर्ताओं को उनके अपने धन तक आसान और समयबद्ध पहुंच में सक्षम बनाता है। इस विधेयक में यह प्रदान करने का प्रस्ताव है कि किसी बैंक पर लागू किए गए मोरिटोरियम जैसे प्रतिबंधों के कारण अपने दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ होने पर जमाकर्ता निगम द्वारा अंतरिम भुगतान के माध्यम से जमा बीमा कवर की सीमा तक अपनी जमा राशि का उपयोग कर सकते हैं।
 
सीमित देयता भागीदारी (संशोधन) विधेयक, 2021कुछ अपराधों को सिविल चूक में परिवर्तित कर देता है तथा इन अपराधों के लिए सजा के स्व रूप को भी बदल देता है। यह छोटे एलएलपी को भी परिभाषित करता है तथा कुछ निर्णायक अधिकारियों की नियुक्ति और विशेष अदालतों की स्थापना का प्रावधान करता है।
 
फैक्टरिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2021विशेष रूप से व्यापार प्राप्य छूट प्रणाली के माध्यम से ऋण सुविधा प्राप्त करने के अतिरिक्त अवसर उपलब्ध कराकर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की मदद करने का प्रावधान करता है। कार्य पूंजी की उपलब्धता बढ़ाता है, जिससे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र के व्यवसाय में वृद्धि हो सकती है और देश में रोजगार को भी प्रोत्साहन मिल सकता है।
 
ख. परिवहन क्षेत्र में सुधार
 
नौवहन के लिए समुद्री सहायता विधेयक, 2021में भारत में नौवहन के लिए सहायता के विकास, रखरखाव और प्रबंधन संबंधी प्रावधान हैं। अन्य प्रावधान हैं – नौवहन के लिए समुद्री सहायताके संचालकों का प्रशिक्षण और प्रमाणन, समुद्री सहायता केऐतिहासिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक मूल्य का विकास; समुद्री संधियों और अंतरराष्ट्रीय उपकरणों, जिसमें भारतएक पक्ष है, के तहत दायित्व का अनुपालन सुनिश्चित करना, आदि।
 
अंतर्देशीय पोत विधेयक, 2021अंतर्देशीय जल के माध्यम से किफायती और सुरक्षित परिवहन और व्यापार को बढ़ावा देता है,देश के भीतर अंतर्देशीय जलमार्ग और परिवहन से संबंधित कानून के आवेदन में एकरूपता लाता है, पोत परिवहन के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करता है, जीवन और कार्गो की सुरक्षा तथा प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रावधान पेश करता है, जो अंतर्देशीय जहाजों के उपयोग या सञ्चालन के कारण हो सकता है, अंतर्देशीय जल परिवहन के प्रशासन की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है और अंतर्देशीय जहाजों के निर्माण, सर्वेक्षण, पंजीकरण, देखभाल, परिवहन को नियंत्रित करने वाली प्रक्रियाओं को मजबूत करता है, आदि।
 
भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2021″प्रमुख हवाईअड्डे”की परिभाषा में संशोधन का प्रस्ताव करता है, ताकि हवाई अड्डों के एक समूह के लिए शुल्क निर्धारित करने के दायरे का विस्तार किया जा सके और इससे छोटे हवाई अड्डों के विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
 
ग. शैक्षिक सुधार
 
राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान विधेयक, 2021खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन के कुछ संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित करता है और खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन में निर्देश और अनुसंधान प्रदान करता है।
 
केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021अन्य बातों के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश, लद्दाख में “सिंधु केंद्रीय विश्वविद्यालय”के नाम से एक विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009में संशोधन करना चाहता है।
 
घ. सामाजिक न्याय क्षेत्र में सुधार
 
संविधान (एक सौ सत्ताईसवां संशोधन) विधेयक, 2021पर्याप्त रूप से यह स्पष्ट करने का प्रयास करता है कि राज्य सरकार तथा केंद्र शासित प्रदेशों को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की अपनी राज्य सूची / केंद्र शासित प्रदेश सूची तैयार करने और इसे बनाए रखने का अधिकार है।
 
किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021यह प्रावधान करता है कि अदालत की बजाय, जिला मजिस्ट्रेट (अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट सहित) गोद लेने के आदेश जारी करेंगे। विधेयक में कहा गया है कि गंभीर अपराधों में वे अपराध भी शामिल होंगे जिनके लिए अधिकतम सजा सात वर्ष से अधिक कारावास की हैऔर न्यूनतम सजा या तो निर्धारित नहीं है या सात वर्ष से कम है।
 
संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2021;अरुणाचल प्रदेश राज्य के संबंध में अनुसूचित जनजातियों की सूची को संशोधित करने का प्रावधान करता है।
 
 
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अनुलग्नक
 
17वीं लोकसभा के छठे सत्र और राज्य सभा के 254वें सत्र (मानसून सत्र, 2021) के दौरान संपन्न किए गए विधायी कार्य
 
I– 22विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किए गए
1.         राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान विधेयक, 2021 
2.         नौवहन के लिए समुद्री सहायता विधेयक, 2021
3.         किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021
4.         फैक्टरिंग नियमन (संशोधन) विधेयक, 2021 
5.         अंतर्देशीय पोत विधेयक, 2021
6.         दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक, 2021
7.         नारियल विकास बोर्ड (संशोधन) विधेयक, 2021
8.         भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 
9.         राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग विधेयक, 2021
10.       आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक, 2021
11.       सीमित देयता भागीदारी (संशोधन) विधेयक, 2021
12.       जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक, 2021
13.       संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2021
14.       न्यायाधिकरण सुधार विधेयक, 2021
15.       कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2021
16.       केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021
17.       सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021
18.       राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021
19.       भारतीय चिकित्सा प्रणाली के लिए राष्ट्रीय आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021
20.       संविधान (एक सौ सत्ताईसवां संशोधन) विधेयक, 2021
21.       *विनियोग (नंबर 3) विधेयक, 2021
22.       *विनियोग (नंबर 4) विधेयक, 2021
 
II – 2पुराने विधेयक जो वापस ले लिए गए 
1.         न्यायाधिकरण सुधार (युक्तिकरण और सेवा शर्तें) विधेयक, 2021 
2.         महिलाओं का अशोभनीय चित्रण (निषेध) संशोधन विधेयक, 2012  
 
* लोकसभा द्वारा पारित दो विधेयकों, जो राज्य सभा को इसकी अनुशंसाओं के लिए प्रेषित किए गए थे, को राज्य सभा में उनकी प्राप्ति की तारीख से लेकर चौदह दिनों की अवधि के भीतर लोकसभा को वापस किए जाने की संभावना नहीं है। उक्त अवधि की समाप्ति पर संविधान के अनुच्छेद 109के खंड (5) के तहत इन विधेयकों को संसद के दोनों सदनों द्वारा ठीक उसी रूप में पारित मान लिया जाएगा जिस रूप में वे लोकसभा द्वारा पारित किए गए थे। 
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