जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) के सहयोग से भारत बायोटेक द्वारा विकसित पहले नाक के जरिए दिए जाने वाले टीके (नैसल वैक्सीन ) को चरण 2 परीक्षण के लिए नियामक की मंजूरी मिली

 
जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और उसके सार्वजनिक उपक्रम, जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) मौजूदा वैश्विक संकट के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे रहे हैं। इन्होने  मिलकर विशेष रूप से टीके के विकास, निदान, दवा के पुनर्प्रयोजन, चिकित्सा विज्ञान और परीक्षण के लिए अनुसंधान एवं विकास प्रयासों को तेज करने की रणनीति बनाई है। टीकों का विकास जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है।
 
यह मिशन कोविड  सुरक्षा का तीसरा प्रोत्साहन पैकेज  आत्मनिर्भर 3.0 के एक हिस्से के रूप में कोविड -19 वैक्सीन  विकास सम्बन्धी  प्रयासों को सुदृढ़ और तेज करने के लिए शुरू किया गया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य  त्वरित वैक्सीन विकास के लिए उपलब्ध संसाधनों को समेकित और सुव्यवस्थित करना है ताकि आत्मनिर्भर भारत पर ध्यान केन्द्रित करने के साथ ही  देशवासियों  को एक सुरक्षित, प्रभावोत्पादक, सस्ती और सुलभ कोविड -19 वैक्सीन अतिशीघ्र  उपलब्ध कराई जा सके।
 
भारत बायोटेक का इंट्रानैसल वैक्सीन नाक के जरिए दिया जाने वाला टीका है जिसे चरण 2 के  परीक्षणों के लिए नियामक अनुमोदन प्राप्त हुआ है। यह भारत में मानव नैदानिक ​​परीक्षणों से गुजरने वाला अपनी तरह का पहला कोविड -19 खुराक है। बीबीवी 154 एक नाक के जरिए दिया जाने योग्य  प्रतिकृति-अल्पता   (इंट्रानैसल रेप्लिकेशन-डेफिसिएन्ट ) वाले चिंपैंजी एडेनोवायरस एसएआरएस –सीओवी -2 वेक्टरीकृत वैक्सीन है। बीबीआईएल  के पास अमेरिका के सेंट लुइस में वाशिंगटन विश्वविद्यालय से इसके लिए इन-लाइसेंस तकनीक प्राप्त  है।
 
चरण 1 क्लिनिकल परीक्षण 18 से 60 वर्ष के आयु समूहों में पूरा किया गया है। कंपनी की सूचना यह  है कि पहले चरण के क्लिनिकल परीक्षण में स्वस्थ स्वयंसेवकों को दी जाने वाली वैक्सीन की खुराक को अच्छी तरह से सहन किया गया है। इसके किसी   गंभीर प्रतिकूल प्रभाव  की जानकारी नहीं मिली । इससे पहले इस  वैक्सीन को पूर्व- नैदानिक विषाक्तता अध्ययनों (प्री-क्लिनिकल टॉक्सिसिटी स्टडीज) में सुरक्षित, प्रतिरोधी ( इम्युकी नोजेनिक) और अच्छी तरह से सहन करने योग्य पाया गया था। वैक्सीन जानवरों के अध्ययन में उच्च स्तर के न्यूट्रलाइज़िंग एंटीबॉडीज  को प्राप्त करने में सक्षम पाई गई  थी।
 
बीबीवी 154 (ऐडेनोंवायरल इंट्रानेसल कोविड) के साथ बीबीवी 152 (कोवैक्सीन –आर -COVAXIN®) की प्रतिरक्षण क्षमता और सुरक्षा का मूल्यांकन करने के लिए एसएआरएस –सीओवी -2टीकों के विजातीय मुख्य- अभिवर्धन संयुग्मन (हेटरोलोगस प्राइम-बूस्ट कम्बीनेशन) के  एक चरण 2 का स्वस्थ स्वयंसेवकों में कोविड-19 वैक्सीन का   बेतरतीब (यादृच्छिक-,रैन्डोमाइज्ड)   बहु-केंद्रित, क्लिनिकल परीक्षण करने के लिए नियामक अनुमोदन प्राप्त हो गया  है।
 
जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी)की सचिव  और बीआईआरएसी (बीआईआरएसी) की अध्यक्ष डॉ. रेणु स्वरूप ने इस विषय पर बोलते हुए कहा कि “विभाग मिशन कोविड सुरक्षा के माध्यम से, सुरक्षित और प्रभावोत्पादक कोविड-19  टीकों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। भारत बायोटेक का बीबीवी 154 कोविड  वैक्सीन देश में विकसित किया जा रहा पहला नाक के जरिए दिया जाने वाला (इंट्रानैसल वैक्सीन) है  जो अनुवर्ती चरणों के नैदानिक परीक्षण (लेट-स्टेज क्लिनिकल ट्रायल)  में प्रवेश कर रहा है।
 
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अधिक जानकारी के लिए: डीबीटी/बीआईआरएसी के संचार प्रकोष्ठ से संपर्क करें
 
 
बीबीआईएल के बारे में : भारत बायोटेक ने 145 से अधिक वैश्विक पेटेंट के साथ नवाचार का एक उत्कृष्ट ट्रैक रिकॉर्ड स्थापित किया है I इसके पास 16 से अधिक टीकों का एक विस्तृत उत्पाद पोर्टफोलियो हैतथा  123 से अधिक देशों में 4 जैव-चिकित्सीय पंजीकरण के साथ ही  और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)  की पूर्व-योग्यता भी है ।  दुनिया भर में टीकों की 4 अरब से अधिक खुराक देने के बाद भी  भारत बायोटेक ने नवाचार का नेतृत्व करना जारी रखा है और इन्फ्लूएंजा एच 1 एन 1, रोटावायरस, जापानी एन्सेफलाइटिस (जेएनवीएसी®), रेबीज, चिकनगुनिया, जीका, हैजा और दुनिया के पहले टेटनस-टॉक्सोइड संयुग्मित के लिए टायफाईड टीके विकसित किए हैं।  वैश्विक सामाजिक नवाचार कार्यक्रमों और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के लिए भारत की प्रतिबद्धता के  परिणामस्वरूप उल्लेखनीय तरीके से क्रमशः पोलियो, रोटावायरस, टाइफाइड संक्रमण से लड़ने वाले विश्व  स्वास्स्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के पूर्व-योग्यता टीके बाईपोलियो-आर, रोटावैक-आर और टाइपबार टीवीसी-आर  को  भी प्रस्तुत  किया गया।
 
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