उपराष्ट्रपति ने टीकाकरण को जन-आंदोलन बनाने के लिए मेडिकल समाज से कोविड-19 की सुरक्षा पर लोगों को शिक्षित करने का आग्रह किया

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने मेडिकल समाज से तथा विशेष रूप से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से लोगों को कोविड-19 के विरुद्ध टीकाकरण से सुरक्षा और टीकाकरण के महत्व के बारे में विशेष जागरूकता अभियान चलाने का आग्रह किया है। 

उपराष्ट्रपति ने गिव इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से कर्नाटक सरकार के स्थाई लक्ष्य समन्वय केंद्र द्वारा चलाए जाने वाले ‘वैक्सिनेट इंडिया प्रोग्राम ’ का शुभारंभ करते हुए कहा कि कुछ वर्गों में टीका लगवाने को लेकर हिचकिचाहट दिख रही है। टीके को लेकर संदेह पालने वाले लोगों को शिक्षित करना और उनमें जागरूकता पैदा करना अत्यंत आवश्यक है।

कोविड टीकाकरण अभियान को जन-आंदोलन में परिवर्तित करने का आह्वान करते हुए उपराष्ट्रपति ने सभी जन प्रतिनिधियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्रों में प्रत्येक व्यक्ति का टीकाकरण हो। उन्होंने मीडिया से टीका लगाने की आवश्यकता के बारे में लोगों को जागरूक करने का भी आग्रह किया । उन्होंने जोर देते हुए कहा “झूठी मान्यताओं को सटीक जानकारी प्रदान करके दूर करने की जरूरत है।“

कोविड-19 के खिलाफ टीकारण को सबसे प्रभावी कवच बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इससे अस्पताल में भर्ती होने से रोकने और रोग की गंभीरता को कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा “ दूसरे शब्दों में वायरस से संक्रमित होने पर भी बीमारी हल्की होगी।”

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उन्होंने कहा कि देश में कोविड से 97.6 प्रतिशत लोग ठीक हुए हैं, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि “ हम अभी भी खतरे से बाहर नहीं हुए हैं और हम सभी के लिए कोविड संबंधी प्रोटोकॉल और सावधानी बरतने की आवश्यकता है।”

इस बात पर बल देते हुए कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई जन सहयोग के बिना नहीं जीती जा सकती, उपराष्ट्रपति ने प्रत्येक नागिरक से मास्क पहनने, लगातार हाथ धोने, सुरक्षित दूरी का पालन करने और अनुशासित तथा स्वस्थ जीवन शैली अपनाने की अपील की। उन्होंने युवाओं से जंक फूड से बचने और ठीक से पका हुआ पारंपरिक भारतीय भोजन करने को कहा, जो हमारी शारीरिक और जलवायु परिस्थितियों के लिए अधिक अनुकूल है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि महामारी ने शहरी केंद्रों से लेकर गांव-देहात तक स्वास्थ्य संरचना में कमी को प्राथमिकता के तौर पर दूर करने पर फोकस किया है। इस संबंध में पिछड़े तथा दूर-दराज के क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने निजी क्षेत्र से स्वास्थ्य संरचना को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों में सहयोग करने का आग्रह किया।

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उन्होंने कहा कि आधुनिक और बेहतर चिकित्सा सुविधाओं वाले  उन्नत राष्ट्र भी कोविड-19 से उत्पन्न संकट की भयावहता से प्रभावी तरीके से नहीं निपट सके। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार, राज्य  और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों द्वारा की गई ठोस कार्रवाई ने देश को काफी संतोषजनक ढंग से कोविड-19 को नियंत्रित करने में सक्षम बनाया है। 

भारत सरकार और सभी राज्यों द्वारा कोविड-19 के खिलाफ अधिक से अधिक लोगों को टीका लगाने के लिए सामूहिक रूप से किए जा रहे कार्य की सराहना करते हुए उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि देश में अब तक 58 करोड़ वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है।

उन्होंने सरकार के प्रयासों को पूरा करने के लिए गिव इंडिया फाउंडेशन की भी सराहना की।

इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल श्री थावरचंद गहलोत, कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई, कर्नाटक के मंत्री डॉ के सुधाकर और  श्री मुनिरत्न, संसद सदस्य श्री पीसी मोहन, अपर मुख्य सचिव डॉ. शालिनी रजनीश और गिव इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक श्री अतुल सतीजा सहित अन्य लोग उपस्थित थे। 

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