केंद्रीय शिक्षा मंत्री, श्री धर्मेंद्र प्रधान कल राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के 61वें स्थापना दिवस को संबोधित करेंगे

केंद्रीय शिक्षा मंत्री, श्री धर्मेंद्र प्रधान कल राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के 61वें स्थापना दिवस को संबोधित करेंगे। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री, श्री सुभाष सरकार और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री, डॉ. राज कुमार रंजन सिंह के साथ डीओएसईएल के अपर सचिव, श्री संतोष कुमार सारंगी, एनसीईआरटी के निदेशक, प्रो. श्रीधर श्रीवास्तव और शिक्षा मंत्रालय तथा एनसीईआरटी के वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।

एक प्रमुख राष्ट्रीय संगठन के रूप में परिषद, स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता, समानता, समावेशिता और गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। अपनी स्थापना के छह दशकों के दौरान परिषद की महत्वपूर्ण गतिविधियों में अनुसंधान, पाठ्यक्रम का विकास, पाठ्य और प्रशिक्षण सामग्री (आमने-सामने और ऑनलाइन दोनों) और पूरक पाठक शामिल हैं, जिसका उद्देश्य अध्यापक शिक्षकों, अध्यापकों और छात्रों की आवश्यकताओं को पूरा करना है। संगठन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 पर जमीनी स्तर सहित सभी स्तरों पर आयोजित सभी विचार-विमर्शों और परामर्शों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) की मदद से एकत्र की गई छात्रों की उपलब्धियों पर बेंचमार्क जानकारी प्राप्त करने में महत्वपूर्ण पहल की गई। विषयों की बेहतर समझ और अवधारणा स्पष्टीकरण के लिए, अधिगम परिणामों (एलओ) को विकसित करने और स्कूली शिक्षा के सभी चरणों को शामिल करने वाले सभी विषय क्षेत्रों में ई-सामग्री तैयार करने में योगदान दिया गया था। ईसीसीई पाठ्यक्रम और दिशा-निर्देश तैयार करना भी संगठन की उपलब्धियों के एक अन्य मील के पत्थर में शामिल था। एनसीईआरटी वर्तमान में स्कूली शिक्षा, प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा, वयस्क शिक्षा और शिक्षक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के विकास की दिशा में काम कर रहा है। संगठन राज्यों को अपने स्वयं के राज्य पाठ्यचर्या ढांचे को विकसित करने में मदद कर रहा है। महामारी के समय में, एनसीईआरटी ने सभी कक्षाओं और विषयों के छात्रों के लिए वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर विकसित किया, ताकि स्कूल बंद होने की स्थिति में उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो।

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