उपराष्ट्रपति ने डॉक्टरों को पहली पदोन्नति देने से पहले ग्रामीण सेवा अनिवार्य करने की बात की

उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकारी क्षेत्र में डॉक्टरों को पहली पदोन्नति देने से पहले ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा को अनिवार्य किया जानी चाहिए।

11वें वार्षिक चिकित्सा शिक्षक दिवस समारोह में बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने इस बात को ध्यान में रखते हुए कि देश की 60 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है, कहा कि युवा डॉक्टरों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में तीन से पांच साल की सेवा जरूरी है।

चिकित्सा पेशे को एक नेक कार्य बताते हुए उन्होंने डॉक्टरों को सलाह दिया कि वे कोई भी कमी और चूक न करें, बल्कि जुनून के साथ देश की सेवा करें। डॉक्टरों से अपने सभी कार्यों में मानवता के लिए करुणा के मुख्य मूल्य को याद रखने की बात कहते हुए, उन्होंने कहा कि “जब आप किसी प्रकार की दुविधा में हों तो इसे अपना नैतिक मानक बनाएं और नैतिक मानक बनाएं और हमेंशा उच्‍च नैतिम मूल्‍यों का पालन करें। अगर आप निस्वार्थ और समर्पण की भावना के साथ लोगों की सेवा करते हैं, तो आप असीम और वास्तविक खुशी प्राप्त करते हैं।”

पूरे देश में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, अत्याधुनिक स्वास्थ्य अवसंरचना के निर्माण का आह्वान करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने बेहतर स्वास्थ्य अवसंरचना की आवश्यकता पर बल दिया है और राज्य सरकारों को इस पहलू पर विशेष रूप से ध्यान देने की सलाह भी दी।

यह भी पढ़ें :   खाद्य तेलों और तिलहनों के भंडारण सीमा आदेश को कार्यान्वित करने के लिये केंद्र ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ बैठक की

उपराष्ट्रपति ने देश में डॉक्टर-रोगी के बीच के अनुपात में अंतर को पाटने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए मेडिकल कॉलेजों की संख्या में बढ़ोत्तरी करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि देश में डॉक्टर-रोगी अनुपात 1:1,456 है जबकि डब्ल्यूएचओ का मानक 1:1000 है।

प्रत्येक जिले में कम से एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना करने वाली सरकार की योजना की सराहना करते हुए, उन्होंने कहा कि डॉक्टरों का शहरी-ग्रामीण अनुपात भी बहुत ज्यादा विषम है क्योंकि ज्यादातर चिकित्सा पेशेवर शहरी क्षेत्रों में ही काम करना पसंद करते हैं।

श्री नायडू ने इस बात पर भी बल दिया कि चिकित्सा शिक्षा और उपचार दोनों सस्ता और आम लोगों की पहुंच में होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बजट का आवंटन ज्यादा करने के साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की जानी चाहिए।

तीव्रता के साथ बदलती हुई तकनीकी दुनिया का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने मेडिकल कॉलेजों से यह भी सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि उनके पोर्टल पर जो लोग जाते हैं वे नवीनतम नैदानिक और उपचार प्रणालियों से अवगत होते रहें। उन्होंने कहा कि “यह SARS-CoV-2 के कारण होने वाली महामारी को ध्यान में रखते हुए और ज्यादा आवश्यक हो गया है क्योंकि नॉवल कोरोनवायरस के संदर्भ में वैज्ञानिकों से लेकर डॉक्टरों तक सभी लोगों को नई सीख प्राप्त हुई है।”

यह भी पढ़ें :   श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक के संचालक मंडल की 7वीं वार्षिक बैठक में भाग लि‍या

उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह सुनिश्चित करना बहुत आवश्यक है कि मेडिकल छात्र उच्च नैतिकता और नैतिक मानकों को अपनाएं और उनका अभ्यास करें। उन्होंने सलाह दी कि वे हमेशा नेक काम के लिए प्रतिबद्ध बने रहें और अपने पेशे तथा अपने रोगियों के हितों की रक्षा करें।

श्री नायडू ने स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने हेतु सरकार के साथ साझेदारी करने के लिए भारत के कई अग्रणी अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों के शीर्ष संगठन, एसोसिएशन ऑफ नेशनल बोर्ड एक्रेडिटेड इंस्टीट्यूशन (एएनबीएआई) की भी सराहना की।

उपराष्ट्रपति ने आज भारत के पूर्व राष्ट्रपति और राजनेता-दार्शनिक, स्वर्गीय श्री सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने अपने सभी शिक्षकों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने उनके करियर को एक रूप और आकार प्रदान किया।

इससे पहले उन्होंने जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, डॉ. के. श्रीनाथ रेड्डी और डॉ. देवी शेट्टी सहित अन्य लोगों को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया।

इस अवसर पर तेलंगाना के गृह मंत्री, मो. महमूद अली, एएनबीआई के अध्यक्ष, डॉ अलेक्जेंडर थॉमस, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के अध्यक्ष, डॉ अभिजात सेठ, ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन, डॉ जी एस राव, ऑर्गेनाइजिंग सचिव, डॉ लिंगैया, एपी एंड टीएस एएनबीएआई के अध्यक्ष और अन्य लोग उपस्थित हुए।

एमजी/एएम/एके/वाईबी