राष्ट्रपति ने नेवल एविएशन को ध्वज प्रदान किया

– नेवल एविएशन ने पिछले सात दशकों में राष्ट्र के लिए असाधारण सेवा के साथ खुद को प्रतिष्ठित किया है

– नेवल एविएशन आर्म 1951 में अस्तित्व में आई और अब उसके पास 250 से अधिक विमान हैं

– राष्ट्रपति ने बांग्लादेश की मुक्ति के दौरान आईएनएस विक्रांत के गौरवशाली योगदान को याद किया

– राष्ट्रपति ने सरकार के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए भारतीय नौसेना के स्वदेशीकरण के प्रयासों की सराहना की

राष्ट्रपति और भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर श्री राम नाथ कोविंद ने 06 सितंबर 2021 को आईएनएस हंस, गोवा में भारतीय नेवल एविएशन को ध्वज प्रदान किया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर, 150 सैनिकों की एक समारोहपूर्ण परेड ने राष्ट्रपति को सलामी दी। गोवा के राज्यपाल श्री पी एस श्रीधरन पिल्लै, गोवा के मुख्यमंत्री डॉ प्रमोद सावंत, पर्यटन, पोत परिवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल करमबीर सिंह, पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वाइस एडमिरल आर हरि कुमार और फ्लैग ऑफिसर नेवल एविएशन रियर एडमिरल फिलिपोज जी प्युनुमूटिल के साथ-साथ अन्य नागरिक और सैन्य गणमान्य व्यक्ति इस समारोह में शामिल हुए।

शांति और युद्ध दोनों में राष्ट्र को दी गई असाधारण सेवा के सम्मान में, एक सैन्य इकाई को राष्ट्रपति का ध्वज प्रदान किया जाता है। नेवल एविएशन ने पिछले सात दशकों में हमारे राष्ट्र के लिए उल्लेखनीय और वीरतापूर्ण सेवा के साथ खुद को प्रतिष्ठित किया है। भारतीय नौसेना 27 मई 1951 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से ध्वज प्राप्त करने वाली पहली भारतीय सशस्त्र सेना थी। इसके बाद नौसेना में राष्ट्रपति का ध्वज प्राप्त करने वालों में दक्षिणी नौसेना कमान, पूर्वी नौसेना कमान, पश्चिमी नौसेना कमान, पूर्वी बेड़ा, पश्चिमी बेड़ा, पनडुब्बी शाखा, आईएनएस शिवाजी और भारतीय नौसेना अकादमी शामिल हैं।

यह भी पढ़ें :   राज्यपाल ने सड़क पर घूमने वाले आवारा कुत्ते को गोद लिया

शांति और युद्ध दोनों के दौरान प्रदान की गई विशिष्ट सेवा की मान्यता के लिए भारतीय नेवल एविएशन को ध्वज प्रदान किया गया है। यह शाखा 13 जनवरी 1951 को पहले सीलैंड विमान के अधिग्रहण के साथ अस्तित्व में आई और 11 मई 1953 को कोच्चि में आईएनएस गरुड़ को इसमें शामिल किया गया। आज नेवल एविएशन में भारतीय समुद्र तट के साथ अंडमान व निकोबार द्वीप समूह के नौ वायु स्टेशनों और तीन नौसेना वायु एन्क्लेव को मजबूती प्रदान करता है। पिछले सात दशकों में, यह एक आधुनिक, तकनीकी रूप से उन्नत और अत्यधिक शक्तिशाली बल में बदल गया है, जिसमें लड़ाकू विमान, समुद्री टोही विमान, हेलीकॉप्टर और दूर-संचालित विमान (आरपीए) सहित 250 से अधिक विमान शामिल हैं। आज नेवल एविएशन अपने संसाधनों के बल पर सभी प्रकार के सैन्य अभियानों के संचालन में सक्षम है। नेवल एविएशन भारतीय नौसेना की मुख्य भूमिकाओं – सैन्य, राजनयिक, कांस्टेबुलरी और हितकारी – का एक महत्वपूर्ण घटक है।

यह भी पढ़ें :   नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने 41वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में स्वास्थ्य मंडप का उद्घाटन किया

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने आईएनएस विक्रांत के इंटिग्रल विमान के साथ गौरवशाली योगदान को याद किया, जिसने 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। राष्ट्रपति ने कहा कि नौसेना के विमान भी अनेक शांतिकाल के साथ-साथ न केवल हमारे देशवासियों को बल्कि मित्र विदेशी राष्ट्रों को भी मानवीय सहायता और आपदा राहत अभियान, राहत प्रदान करने में सबसे आगे रहे हैं। राष्ट्रपति ने सरकार के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए भारतीय नौसेना के स्वदेशीकरण के प्रयासों की सराहना की। राष्ट्रपति ने विमानन प्रौद्योगिकी में की गई महत्वपूर्ण प्रगति, नौसेना के विमानों के लिए अत्याधुनिक स्वदेशी हथियारों, सेंसर और डेटा सूट की सुविधा का भी उल्लेख किया।

राष्ट्रपति ने इस महत्वपूर्ण अवसर पर अधिकारियों और नाविकों को बधाई दी और कहा कि राष्ट्रीय नेतृत्व की दृढ़ता के साथ नेवल एविएशन सशक्त हो गया है। उन्होंने राष्ट्र के प्रति निस्वार्थ सेवा के लिए सभी अनुभवी और सेवारत नौसेना  
एविएटरों को भी बधाई दी।

 

******

एमजी/एएम/एसकेएस/एचबी