कुपोषण दूर करने के लिए पोषण वाटिका के महत्व पर वेबिनार का आयोजन किया गया

कुपोषण उन्मूलन के लिए आयुष मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने आज संयुक्त रूप से ‘पोषण वाटिका’ के महत्व पर एक वेबिनार का आयोजन किया।

इस वेबिनार में आयुष और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई, इंदेवर पांडे, सचिव एमओडब्लूसीडी, वैद्य राजेश कोटेचा, सचिव आयुष मंत्रालय, प्रो संजीव शर्मा, कुलपति, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान  (एनआईए, डीम्ड यूनिवर्सिटी), डॉ. जेएलएन शास्त्री, पूर्व सीईओ, एनएमपीबी, प्रोफेसर मीता कोचेटा, प्रो-वीसी, एनआईए, वरलक्ष्मी वेंकटपति, नीति सलाहकार और स्वतंत्र शोर्धकर्ता आदि शामिल हुए।

वक्ताओं ने गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं और बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन और औषधीय पौधों की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आंगनवाड़ियों, स्कूलों और किचन गार्डन में औषधीय पौधे लगाने के महत्व पर चर्चा की।

 

वेबिनार को संबोधित करते हुए डॉ. मुंजापारा ने कहा, ‘पोषण अभियान का उद्देश्य कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए विभिन्न मंत्रालयों के साथ मिलकर काम करने को प्रोत्साहित करना है। पोषण वाटिका के तहत पौष्टिक और जड़ी-बूटी वाले पौधों के रोपण से बाहरी निर्भरता कम होगी और समुदायों को उनकी पोषण सुरक्षा के लिए आत्मनिर्भर बनाया जा सकेगा।’ मंत्री ने आगे कहा कि पोषण वाटिका परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में फलों और सब्जियों की निरंतर आपूर्ति से सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करके आहार विविधता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। कुपोषण से निपटने के लिए यह परिवार या सामुदायिक स्तर पर खाद्य सुरक्षा और विविधता प्रदान करने का एक स्थायी मॉडल साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त जगह है और पोषक उद्यान/पोषण वाटिका स्थापित करना कहीं ज्यादा आसान है क्योंकि किसान परिवार कृषि से जुड़े होते हैं।

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आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि आयुष प्रणालियों में आहार और पोषण को बहुत विस्तार से समझाया गया है। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय पोषण वाटिका की स्थापना के अभियान को आगे बढ़ाने के लिए 3,000 आंगनवाड़ियों के साथ मिलकर काम करेगा और वहां लगाए जाने वाले पौष्टिक और औषधीय पौधे भी तय करेगा। शास्त्र से एक श्लोक उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा, ‘अगर हम पोषण पर ध्यान दें तो दवाओं की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। अगर हम अपने खान-पान पर ध्यान नहीं देंगे तो दवाएं भी काम नहीं करेंगी।’

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एमओडब्लूसीडी के सचिव इंदेवर पांडे ने कहा कि आयुष मंत्रालय के साथ उनका मंत्रालय यह सुनिश्चित कर रहा है कि महिलाओं और बच्चों की बेहतरी का ध्यान रखा जाए।

उन्होंने कहा, ‘पोषण अभियान शुरू करने का मुख्य उद्देश्य कुपोषण की समस्या का समाधान करना है। आंगनवाड़ी ऐसे 50 प्रतिशत लोगों को कवर करती है जो गरीब हैं और उन्हें उचित पोषण नहीं मिलता है, जबकि पोषण अभियान में बाकी 50 प्रतिशत लोगों को शामिल किया गया है जो गरीब नहीं हैं लेकिन उन्हें उचित पोषण के बारे में जानकारी चाहिए।’

नीति सलाहकार और स्वतंत्र शोधकर्ता वरलक्ष्मी वेंकटपति ने सुझाव दिया कि मोरिंगा (सहजन), अमरूद, केला और तुलसी जैसे पौधे पोषण वाटिका में लगाए जा सकते हैं क्योंकि ये महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की समस्या को दूर करते हैं।

दो बेहद जानकारीपरक प्रस्तुतियों में प्रो. मीता कोटेच और डॉ. जेएलएन शास्त्री ने आयुर्वेद और मंत्रालय की दृष्टि और कार्यान्वयन रणनीतियों को साझा किया और इसे आगे बढ़ाने की संभावनाओं को भी रेखांकित किया।

 

एमजी/एएम/एएस