आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में एक सप्ताह में 2614 स्वयं सहायता समूह के उद्यमियों को सामुदायिक उद्यम कोष (सीईएफ) से 8.60 करोड़ रुपये ऋण प्रदान किया गया

आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एक सप्ताह में 2614 स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के उद्यमियों को सामुदायिक उद्यम निधि (सीईएफ) से 8.60 करोड़ रुपये का ऋण प्रदान किया। स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम के तहत 19 राज्यों में गांवों में अपने सूक्ष्म उद्यम शुरू करने के लिए ऋण दिए गए थे।

अमृत ​​महोत्सव के दौरान, 6 से 12 सितंबर, 2021 के सप्ताह में स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (एसवीईपी) के तहत विभिन्न गतिविधियां आयोजित की गई। इन कार्यक्रमों में एसवीईपी योजना के बारे में जागरूकता पैदा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया और यह बताया गया कि किस प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में सूक्ष्म व्यवसाय शुरू करने में एसएचजी सदस्यों की मदद की जाती है। इन कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधि, सरकारी अधिकारियों और समुदाय आधारित संगठनों ने भाग लिया।

यह सामुदायिक उद्यम निधि (सीईएफ) ऋण प्रदान करने से पहले, एसएचजी उद्यमियों को उद्यमिता पर प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया गया था और उनके प्रस्तावित व्यवसाय की विस्तृत योजना तैयार की गई थी।

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इस पहल में भाग लेने वाले राज्य हैं – आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल।

इन आयोजनों के दौरान, एसएचजी उद्यमियों ने अपने गांवों में अपना उद्यम शुरू करने, उद्यमी बनने और स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (एसवीईपी) के तहत प्राप्त विभिन्न समर्थनों के अपने अनुभवों और यात्रा को साझा किया। उन्होंने व्यापार करने के उपायों को समझने और इसे सफल बनाने तथा बाजार के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए नियमित रूप से समर्थन पर भी जोर दिया।

स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (एसवीईपी) ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए एनआरएलएम के तहत एक उप-योजना है। एसवीईपी का उद्देश्य एक ब्लॉक में उद्यम विकास के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है। इसमें कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन-एंटरप्राइज प्रमोशन (सीआरपी-ईपी) का एक कैडर शामिल है, जो उद्यमियों को व्यावसायिक सहायता सेवाएं प्रदान करेगा। इस योजना में व्यावसायिक विचारों की पहचान करना, व्यवसाय योजना तैयार करना, ऋण प्राप्त करना और अन्य सहायता जैसे विपणन, खातों को बनाए रखना और व्यावसायिक निर्णय लेना शामिल है। इसके अलावा, इको-सिस्टम में उद्यमियों का प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, उद्यम शुरू करने के लिए मूल पूंजी, उत्पादों और सेवाओं के लिए विपणन सहायता आदि शामिल हैं। इसके अलावा, उद्यम को बढ़ावा देने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र के हिस्से के रूप में ब्लॉक रिसोर्स सेंटर (बीआरसी), एकल बिंदु समाधान भी विकसित किया गया है।

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