सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय दिव्यांगों के लिए एक समावेशी समाज विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है: डॉ. वीरेंद्र कुमार

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने आज कहा कि उनका मंत्रालय दिव्यांगों के लिए एक समावेशी समाज के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। वह शिलॉन्ग के दौरे पर थे जहां उन्होंने समाज कल्याण विभाग और अन्य कार्यरत गैर सरकारी संगठनों के अधिकारियों के साथ बैठक की।

डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि दिव्यांग मानव संसाधन का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रालय प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ सबका विकास’ के विजन पर काम कर रहा है और एक समावेशी समाज के विकास और विकलांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण के लिए मंत्रालय ने विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया है। मंत्रालय द्वारा पिछले सात वर्षों में किए गए कार्यों के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार समावेशी और सक्षम वातावरण की कल्पना करके दिव्यांगों को अधिक अधिकार प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। केंद्रीय मंत्री ने देश के समग्र विकास के लिए दिव्यांगों को समाज की मुख्य धारा में लाने और उन्हें आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बनाने में मदद करने के लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर जोर दिया।

सरकार की कल्याणकारी योजनाओं पर बोलते हुए डॉ. कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने देश के दिव्यांगों के हित में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया है। उन्होंने दिव्यांगों को सशक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री के प्रयासों की सराहना की और सभा को सूचित किया कि देश में 2014 के बाद लगभग 10,000 दिव्यांग शिविर आयोजित किए गए, जिसमें 20 करोड़ से अधिक दिव्यांगों को 500 करोड़ रुपये की विभिन्न सहायता दी गई। केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि उनका मंत्रालय देश में नशा पुनर्वास केंद्रों और वृद्धाश्रमों के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहा है। साथ ही उन्होंने बताया कि यहां रहने वालों की उचित देखभाल और सुरक्षा के लिए उन केंद्रों पर निगरानी सख्त कर दी गई है। केंद्रीय मंत्री ने शिलॉन्ग के अपर लचुमियर में किरपा फाउंडेशन का भी दौरा किया और यहां रहने वालों से बात की।

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दिव्यांगों के कल्याण के लिए भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने हाल ही में आयोजित टोक्यो 2020 पैरालिम्पिक्स के दौरान हासिल की गई उपलब्धि की प्रशंसा की, जहां भारतीय पैरालिंपियनों ने 19 पदक जीतकर इतिहास रच दिया। इनमें 5 स्वर्ण, 8 रजत और 6 कांस्य पदक शामिल हैं। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार ने शिलॉन्ग सहित देश में विभिन्न स्थानों पर दिव्यांगों के लिए विशेष खेल प्रशिक्षण संस्थान के लिए पहल की है।

मंत्री ने सरकार की कल्याणकारी पहल की बात करते हुए “विकलांग व्यक्तियों के अधिकार विधेयक – 2016” का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि विकलांग्ता की मौजूदा 7 श्रेणियों को बढ़ाकर 21 कर दिया गया है और अब केंद्र सरकार के पास अन्य प्रकार की अक्षमताओं को जोड़ने की शक्ति होगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस विधेयक के माध्यम से केंद्र सरकार की सेवाओं में दिव्यांगों के लिए आरक्षण 3 से बढ़ाकर 4 प्रतिशत और उनके लिए शिक्षा में 5 प्रतिशत कर दिया है।

मादक द्रव्यों के सेवन के खतरे के बारे में बोलते हुए, केंद्रीय मंत्री ने बहुत स्पष्ट रूप से कहा कि मादक पदार्थों की लत न केवल एक व्यक्ति या परिवार, बल्कि पूरे समाज को प्रभावित करती है। अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि यह पूर्वोत्तर राज्यों के लिए एक बड़ी चुनौती है, जो अन्य देशों के साथ सीमा साझा कर रहे हैं क्योंकि ये मार्ग अक्सर ड्रग तस्करों द्वारा ड्रग्स सप्लाई करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। इस पर संतोष व्यक्त करते हुए कि राज्य सरकार इस खतरे को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, उन्होंने राज्य सरकारों से और अधिक सख्ती से काम करने का आह्वान किया ताकि इस खतरे से प्रभावित युवाओं को गैर सरकारी संगठनों और मंत्रालय की योजनाओं से जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि मादक द्रव्यों के सेवन के दुष्परिणामों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और मादक द्रव्यों के सेवन के पीड़ितों के पुनर्वास में सहायता करना सभी का कर्तव्य है। मंत्री ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग को समाप्त करने और समुदाय केंद्रित दृष्टिकोण और परिणामों को मजबूत करने के लिए सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि नशा मुक्त भारत के लिए देश के प्रधान मंत्री का सपना तभी सफल होगा जब सरकार, गैर सरकारी संगठन और समुदाय के लोग मिलकर इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए मिलकर काम करेंगे।

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बैठक में उत्तर पूर्वी परिषद सचिव श्री के मूसा चलई, मेघालय सरकार के प्रमुख सचिव श्री संपत कुमार, मेघालय सरकार आयुक्त और सचिव श्रीमती एमएन नामपुई, समाज कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और विभाग के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

एमजी/एएम/पीके