वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में कई कदम उठाए

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्‍यूएम) ने आज ट्वीट्स की एक श्रृंखला में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में आयोग द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी।

State Governments of Punjab, NCR States and GNCTD have developed detailed monitorable action plans based on the Framework by the Commission to tackle the problem of Agricultural Stubble Burning: Chairperson, Commission for Air Quality Management in NCR & adjoining areas.

 

आयोग ने बताया कि पराली जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए पंजाब, एनसीआर राज्यों ने पराली जलाने की रोकथाम और नियंत्रण के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार की है। ये कार्य योजनाएं सीएक्यूएम द्वारा निर्धारित रूपरेखा के आधार पर तैयार की गई हैं और इनके सख्त कार्यान्वयन के लिए निर्देश जारी किए गए हैं।

आयोग ने पंजाब, एनसीआर राज्यों और जीएनसीटीडी की राज्य सरकारों को निम्नलिखित घटकों के आधार पर इन कार्ययोजनाओं पर अमल करने के लिए निर्देश दिए हैं-

 

इसके लिए 14,3801 मशीनें पहले से उपलब्ध हैं। खेतों में फसल अवशेष प्रबंधन की सुविधा के लिए चालू वर्ष के दौरान अन्य 56,513 मशीनों की खरीद की जा रही है।

 

पराली जलाने के लिए आग की घटना की रिकॉर्डिंग और निगरानी करने के लिए इसरो द्वारा विकसित एक मानक प्रोटोकॉल को अपनाने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। खेतों में ही फसल अवशेषों का प्रबंधन करने के लिए आईएआरआई द्वारा विकसित बायो-डिकम्‍पोजर तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने के संबंध में आयोग को सूचित किया गया है कि पूसा बायो-डिकम्‍पोजर का उपयोग उत्तर प्रदेश में 6 लाख एकड़, हरियाणा में 1 लाख एकड़, पंजाब में 7,413 एकड़ और दिल्ली में 4,000 एकड़ क्षेत्र में करने की योजना है।

यह भी पढ़ें :   प्रधानमंत्री ने असम के मुख्यमंत्री से राज्य के कुछ हिस्सों में बाढ़ की स्थिति पर बात की

ताप विद्युत संयंत्रों में को-फायरिंग के लिए फसल अवशेषों और पुआलों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख हितधारकों के साथ परियोजनाओं की समीक्षा- इस संबंध में दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे में सभी 11 ताप विद्युत संयंत्रों को दिशानिर्देश जारी किए गए हैं जो पराली को जलाने के संबंध में कुछ अन्‍य कदम हैं।

‘धूल नियंत्रण एवं प्रबंधन प्रकोष्ठ’ के जरिये सड़कों/ खुले क्षेत्रों से धूल को कम करने के लिए एनसीआर राज्य सरकारों/ जीएनसीटीडी में सड़कों की देखभाल करने वाली एजेंसियों और नगर निकायों को निर्देश जारी किए गए हैं।

सड़कों पर धूल के प्रभावी प्रबंधन के लिए पहचान की गई गतिविधियों में सड़कों की सफाई में मशीनों का अधितम उपयोग, निर्दिष्ट स्थलों/ जगहों पर एकत्रित धूल का वैज्ञानिक तरीके से निपटान, सड़कों व खुली जगहों पर धूल निवारक उपाय एवं पानी का छिड़काव, सड़कों का उचित रखरखाव, गैर-पक्की सड़क के किनारे सड़कों की पक्‍कीकरण एवं उसे पर्यावरण के अनुकूल बनाना, सड़कों के बीच में हरियाली, विशेष तौर पर औद्योगिक क्षेत्रों में बिटुमिनस सड़कों के बजाय पक्की सड़कों को प्राथमिकता, धूल नियंत्रण उपायों की निगरानी और बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण/ हरियाली सुनिश्चित करना शामिल हैं।

आयोग ने एक समर्पित वेब पोर्टल और परियोजनाओं की वीडियो फेंसिंग के जरिये धूल नियंत्रण/ शमन उपायों और निगरानी के साथ ‘निर्माण एवं ध्‍वस्‍त संबंधी गतिविधियों से वायु प्रदूषण के नियंत्रण एवं रोकथाम’ के लिए भी निर्देश जारी किए हैं।

निर्माण एवं ध्‍वस्‍त परियोजना गतिविधियों से पैदा होने वाले धूल के प्रबंधन की दिशा में उठाए गए कदमों में निर्माण स्थलों पर एंटी-स्मॉग गन और स्क्रीन की स्थापना, धलू नाशक एवं वाटर फॉगिंग, ढके हुए वाहनों में सी एंड डी सामग्री का परिवहन, परियोजना स्थलों में वायु गुणवत्ता निगरानी सेंसर की स्थापना और परियोजना एजेंसियों द्वारा खुद निरीक्षण एवं प्रमाणन तंत्र शामिल हैं।

यह भी पढ़ें :   चौथे राष्ट्रीय जल पुरस्कार की सूचना राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल (www.awards.gov.in) पर

औद्योगिक प्रदूषण को कम करने के लिए आयोग ने बताया है कि उद्योगों को पीएनजी/स्वच्छ ईंधन में स्थानांतरित करने को प्राथमिकता दी गई है। दिल्ली ने अब अपने सभी 1,635 चिन्हित उद्योगों के लिए पीएनजी/ क्लीनर ईंधन को पूरी तरह से अपना लिया है। एनसीआर में हरियाणा ने अब तक 1,469 चिन्हित औद्योगिक इकाइयों में से 408 औद्योगिक इकाइयों को स्थानांतरित कर दिया है। उत्‍तर प्रदेश के 1,167 उद्योगों में 2,273 औद्योगिक इकाइयों में और राजस्थान में 436 चिन्हित उद्योगों में से 124 को पीएनजी में स्थानांतरित कर दिया गया है।

उद्योगों में कोयले का उपयोग कम से कम करने के लिए हरियाणा, उत्‍तर प्रदेश और राजस्थान सरकार को सलाह दी गई है कि एनसीआर जिलों में उद्योगों को स्वच्छ ईंधन में स्थानांतरित करने के लिए कार्य योजना तैयार की जाए जहां पहले से ही गैस बुनियादी ढांचा उपलब्ध है। एनसीआर जिलों के उन औद्योगिक क्षेत्रों में भी पीएनजी बुनियादी ढांचा स्‍थापित करने के लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है जहां गैस उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा एनसीआर में गैर-अनुमोदित ईंधन के उपयोग पर कड़ी निगरानी जैसे महत्वपूर्ण उपाय किए गए हैं।

***

एमजी/एएम/एसकेसी