डब्ल्यूसीडी राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई ने हरियाणा के पचगांव में लाभार्थियों को पोषण किट वितरित कीं

‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत पोषण माह समारोह के तहत, महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई ने आज हरियाणा में पचगांव के लाभार्थियों को पोषण किट का वितरण किया। केंद्रीय मंत्री ने एमिटी यूनिवर्सिटी से एक ‘पोषण रथ’ को भी हरी झंडी दिखाई, जो ग्रामीण इलाकों से गुजरेगा और ग्रामीण महिलाओं व बच्चों में उचित पोषण और खुराक के बारे में जागरूकता फैलाएगा।

डॉ. मुंजपारा ने एक पौधारोपण कार्यक्रम में भी भाग लिया, जहां कई पोषण संबंधी पौधे लगाए गए और उन्होंने पोषण अभियान पर दिलचस्प पोषण व्यंजन और आईईसी सामग्री का प्रदर्शन करने वाली प्रदर्शनी का भ्रमण किया। इसमें सभी प्रतिभागियों ने पोषण पर एक शपथ या संकल्प भी लिया। हरियाणा की डब्ल्यूसीडी मंत्री श्रीमती कमलेश धांडा और प्रमुख सचिव, डब्ल्यूसीडी, हरियाणा सरकार डॉ. जी. अनुपमा के साथ कई गणमान्य लोगों ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

 

उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, डब्ल्यूसीडी राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई ने कहा कि पोषण अभियान सामुदायिक जुड़ाव, पहुंच, व्यवहारगत बदलाव और जनांदोलन जैसे साधनों से समर्थन के माध्यम से कुपोषण में कमी और स्वास्थ्य, खुशहाली व प्रतिरोधकता में सुधार की दिशा में सरकार का महत्वपूर्ण बदलाव करने का प्रयास है। उन्होंने इस तथ्य पर खुशी जाहिर की कि पुरुष और महिलाएं अपनी खुशहाली में सुधार के लिए समान रूप से और सक्रियता के साथ भाग ले रहे हैं। मंत्री ने कहा कि इससे कार्यक्रम की सफलता के लिए जरूरी सही दिशा में आगे बढ़ने के संकेत मिलते हैं।

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डॉ. मुंजपारा ने कहा कि पोषण की स्थिति में स्थायी सुधार सुनिश्चित करने के लिए, सिर्फ चारों तरफ देखने की जरूरत है क्योंकि हमारे आसपास पर्याप्त मात्रा में पोषण से भरपूर उत्पाद मौजूद हैं। उन्होंने कहा, पोषण वाटिकाओं की स्थापना यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है जिससे आंगनवाड़ियों, स्कूलों, ग्राम पंचायतों, सामुदायिक जमीनों और विभिन्न सरकारी मंत्रालयों व विभागों के परिसरों में लगाए गए पोषक उद्यानों के माध्यम से महिलाओं और बच्चों की मौसमी और किफायती फलों, सब्जियों व औषधियों तक तत्काल पहुंच हो। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह पारम्परिक ज्ञान और आयुष प्रक्रियाओं की क्षमताओं को समझने का वक्त है, जिससे अच्छी पोषण विधियों के ज्ञान का समुदाय के बेहतरी के लिए उपयोग सुनिश्चित हो सके। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आयुष आहार सिद्धांत और विधियों को डब्ल्यूसीडी के प्रयासों को मिलाने से चमत्कार हो सकता है और हमें उम्मीद है कि इससे“सुपोषित भारत” की दिशा में इच्छित बदलाव होगा।

केंद्रीय मंत्री ने आह्वान किया कि किसी भी बच्चे को गंभीर कुपोषण की समस्या नहीं होनी चाहिए, जिससे अन्य संक्रमण और बीमारियां होती हैं। इस प्रकार, न सिर्फ गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की पहचान, बल्कि बच्चों को इस मुश्किल से उबारने के लिए उचित प्रबंधन और प्रबंधन भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, यह समझना महत्वपूर्ण है कि हर बच्चा मायने रखता है क्योंकि वे इस देश का भविष्य हैं और हम सभी को भविष्य को उज्ज्वल और स्वस्थ बनाने के लिए प्रयास करने चाहिए।

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हरियाणा राज्य को हाल में हुए आवंटन पर बात करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस तिमाही में पूरक पोषण के लिए आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी12 से युक्त 2300 मीट्रिक टन चावल आंगनवाड़ियों के माध्यम से उपलब्ध कराए गए हैं। मंत्री ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि उचित वितरण, जागरूकता और उपयोगिता के साथ, इससे एनीमिया और कुपोषण घटाने में सहायता मिलेगी और राज्य अपनी आबादी की पोषण की स्थिति में सुधार के लिए अपने प्रयास जारी रखेगा, जो राज्य की पोषण नीति से भी प्रदर्शित होता है।

 

अंत में, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास” की सच्ची भावना के साथ देश में कुपोषण की चुनौती से पार पाने के लिए संयुक्त प्रयासों की जरूरत है और तभी भारत वास्तव में “सुपोषित भारत” का लक्ष्य हासिल कर सकता है।

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