पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के बिना भारत का विकास अधूरा-उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज राष्ट्र निर्माण में भारतीय वैज्ञानिक समुदाय के योगदान की सराहना की और कहा कि हमारे देश की भविष्य की प्रगति हमारे सक्षम वैज्ञानिकों के हाथों में है। उन्होंने शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों से भारत को एक बार फिर से विश्वगुरु बनाने के लिए अन्य महत्वपूर्ण समूहों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने का आग्रह किया।

इंफाल में जैव संसाधन और स्थायी विकास संस्थान (आईबीएसडी) द्वारा आयोजित ‘भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र के जैव संसाधनों से जैव अर्थव्यवस्था’ पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में सभा को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि विवेकशील सोच और वैज्ञानिक स्वभाव एक प्रगतिशील राष्ट्र की आधारशिला हैं। उन्होंने उपस्थित वैज्ञानिकों से कहा, “आप देश के सर्वांगीण विकास में तेजी लाने के लिए तथ्यात्मक वैज्ञानिक ज्ञान को लागू करने के लिए अपेक्षित शिक्षा, प्रशिक्षण, फोकस और अनुशासन से संपन्न हैं।”

इस बात पर जोर देते हुए कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के बिना भारत का विकास अधूरा है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र सरकार क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाकर पूर्वोत्तर को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने सभी राज्यों से विकास और समृद्धि के लिए टीम इंडिया की तरह सच्ची भावना से केंद्र के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया। शांति को प्रगति की पूर्व शर्त बताते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्र की एकता और अखंडता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।

श्री नायडू ने पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त शासन की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि गरीबों के लिए आवंटित धनराशि बिना किसी परिवर्तन या गड़बड़ी किए उन तक पहुंचनी चाहिए। उन्होंने प्रशासन में मातृभाषा के प्रयोग के महत्व पर बल देते हुए ग्रामीणों को विकास योजनाओं की जानकारी स्थानीय भाषा में उपलब्ध कराने का आह्वान किया।

The Vice President inaugurating Phyto-pharmaceutical Lab Facility at Institute of Bioresources and Sustainable Development (IBSD) in Imphal, Manipur today.The Lab will aid in the development of effective herbal medicines for various diseases like Covid-19. @DBTIndia pic.twitter.com/6D9qqwiDWD

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इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने जैव संसाधन और स्थायी विकास संस्थान (आईबीएसडी) में फाइटो-फार्मास्युटिकल लैब सुविधा का उद्घाटन किया। यह देखते हुए कि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र एक जैव विविधता हॉटस्पॉट है, जिसमें समृद्ध विविधता वाले पारिस्थितिक तंत्र हैं, श्री नायडू ने आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग करके स्थायी विकास के लिए क्षेत्र के जैव संसाधनों के प्रबंधन के लिए आईबीएसडी की प्रशंसा की।

उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के तहत एक संस्था आईएसबीडी पूर्वोत्तर क्षेत्र के फाइटो-फार्मास्युटिकल मिशन को बढ़ावा दे रही है। मिशन जिसका उद्देश्य पारंपरिक स्वास्थ्य प्रथाओं के दस्तावेजीकरण, वैज्ञानिक सत्यापन और मूल्यांकन को बढ़ावा देना है, यह एक महत्वपूर्ण कदम है और पूर्वोत्तर के विशाल संयंत्र संसाधनों और विविध पारंपरिक स्वास्थ्य प्रथाओं के संदर्भ में विशेष महत्व रखता है। उन्होंने कहा, “मुझे यह जानकर खुशी हुई कि आईएसबीडी हर्बल औषधीय उत्पादों जैसे आयुष दवाओं, फाइटो-फार्मास्युटिकल्स और न्यूट्रास्यूटिकल्स के विकास के आधार पर स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। यह वास्तव में समय की जरूरत है।”

यह देखते हुए कि फाइटो-फार्मास्युटिकल मिशन मुख्य रूप से एंटीवायरल, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और कीट विकर्षक जैसे चिकित्सीय क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा, उपराष्ट्रपति ने कहा कि इससे पारंपरिक स्वास्थ्य प्रथाओं को लोकप्रिय बनाने में मदद मिलेगी और कोविड-19 जैसी बीमारियों से निपटने के लिए प्रभावी हर्बल दवाएं के विकास में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि इस कार्यक्रम के तहत उच्च गुणवत्ता वाले वाष्पशील तेल उत्पादन संयंत्रों को लक्षित करने का कदम इस क्षेत्र के ऐरमैटिक पौधों की व्यावसायिक खेती के लिए अधिक किसानों को आकर्षित करेगा।”

उपराष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि स्थानीय जैव संसाधनों के साथ विकासशील उत्पादों, प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकियों में परिवर्तनकारी दृष्टिकोण पारंपरिक ज्ञान-आधारित चिकित्सीय एजेंटों के विकास में मदद करेगा जिससे क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास के साथ-साथ पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल चिकित्सकों को लाभ होगा। उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र में भोजन और पानी के गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करने के लिए आईबीएसडी की पहल की भी सराहना की।

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The Vice President visiting INSACOG facility at IBSD, Imphal today.Through INSACOG network, the entire genome sequencing of Covid-19 virus across the nation can be tracked, aiding our understanding of how the virus spreads and evolves. @DBTIndia pic.twitter.com/v7unwTFVu4

इस अवसर पर, उपराष्ट्रपति ने संस्थान में हाल ही में स्थापित भारतीय सार्स-सीआवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (इंसाकोग) सुविधा का भी दौरा किया। कोविड-19 महामारी की चुनौती का मुकाबला करने में आईबीएसडी की भूमिका की प्रशंसा करते हुए, श्री नायडू ने इंसाकोग नेटवर्क को इस दिशा में एक महत्वपूर्ण बिंदु बताया। यह ध्यान दिया जा सकता है कि इस नेटवर्क के माध्यम से, पूरे देश में भारतीय सार्स-सीआवी-2 वायरस की संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण को ट्रैक किया जा सकता है, जिससे यह समझने में मदद मिलती है कि वायरस कैसे फैलता है और कैसे विकसित होता है। सार्स-सीओवी-2 पॉजिटिव नमूनों को अनुक्रमित करने के लिए आईबीएसडी के उत्कृष्ट प्रयासों की सराहना करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि मणिपुर के भीतर यह अनुक्रमण प्रयोगशाला नोवल कोरोना वायरस के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई में एक बड़ी छलांग है। उन्होंने इस संबंध में आईबीएसडी के निदेशक प्रोफेसर पुलक कुमार मुखर्जी को उनके प्रयासों के लिए बधाई दी।

श्री नायडू ने आईबीएसडी के कई सीमा से बाहर के कार्यक्रमों की भी सराहना की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसके शोध का फल इस क्षेत्र के आम लोगों तक पहुंचे।

उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में मणिपुर सरकार को स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, संचार और संपर्क जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी ताकि क्षेत्र में विकास में तेजी लाई जा सके। उन्होंने राज्य को प्रोत्साहित करने और युवाओं को विभिन्न खेलों को अपनाने के लिए भी कहा।

मणिपुर के राज्यपाल श्री ला. गणेशन, मणिपुर के मुख्यमंत्री श्री एन. बीरेन सिंह, मणिपुर के मुख्य सचिव, डॉ. राजेश कुमार, निदेशक, आईबीएसडी, प्रो. पुलक कुमार मुखर्जी, आईबीएसडी के वैज्ञानिक और कर्मचारी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

उपराष्ट्रपति का पूरा भाषण पढ़ने के लिए कृपया अंग्रेजी की विज्ञप्ति देखें:

एमजी/एमएम/एके