भारत में शिक्षा की दुर्दशा! देश के 1 लाख से अधिक स्कूलों में सिर्फ 1-1 टीचर, काम करने की स्थिति भी खराब

भारत में शिक्षा की दुर्दशा! देश के 1 लाख से अधिक स्कूलों में सिर्फ 1-1 टीचर, काम करने की स्थिति भी खराब

देश का भविष्य तय करने वाली शिक्षा और शिक्षकों पर यूनेस्को की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पूर्वोत्तर और आकांक्षी जिलों में शिक्षकों के काम करने की स्थिति खराब है. रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के बीच बुनियादी सुविधाओं के साथ ही सूचना और संचार प्रौद्योगिकी संबंधी ढांचे को लेकर असमानता है. यूनेस्को की ‘2021 स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट फॉर इंडिया: नो टीचर, नो क्लास’ रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शिक्षकों की उपलब्धता में सुधार हुआ है, लेकिन माध्यमिक विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात अब भी अच्छा नहीं है. यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 1.1 लाख स्कूल एक शिक्षक पर चल रहे हैं. देश में स्कूलों में कुल 19% या 11.16 लाख शिक्षण पद रिक्त हैं, जिनमें से 69% ग्रामीण क्षेत्रों में हैं.

यह भी पढ़ें :   लखनऊ में आजादी @75 सम्मेलन और प्रदर्शनी के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ

रिपोर्ट में कहा गया है कि छात्रों की मौजूदा संख्या को देखते हुए शिक्षण कार्यबल में 10 लाख से अधिक शिक्षकों की कमी है तथा प्रारंभिक बचपन की शिक्षा, विशेष शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, संगीत, कला और व्यावसायिक शिक्षा जैसे विषयों तथा कुछ शिक्षा स्तरों पर शिक्षकों की कमी को देखते हुए इसकी आवश्यकता बढ़ने का अनुमान है.

इसमें कहा गया है कि 15 वर्षों में मौजूदा कार्यबल के लगभग 30% हिस्से को बदलने की जरूरत होगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों में योग्य शिक्षकों की उपलब्धता और नियुक्ति दोनों में सुधार करने की आवश्यकता है. बुनियादी सुविधाओं के मामले में, पूर्वोत्तर और आकांक्षी जिलों में शिक्षकों के काम करने की स्थिति खराब है.

यह भी पढ़ें :   युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में राष्ट्रव्यापी फिट इंडिया फ्रीडम रन 2.0 का शुभारंभ किया

उत्तर प्रदेश में 3.3 लाख, बिहार में 2.2 लाख और पश्चिम बंगाल में 1.1 लाख पद खाली है. मध्य प्रदेश में एक टीचर के सहारे चलने वाले स्कूलों की संख्या सर्वाधिक यानि 21,077 है. अधिकांश खाली पद ग्रामीण स्कूलों में हैं. बिहार के मामले में 89% गांवों में 2.2 लाख शिक्षकों की आवश्यकता है. इसी तरह यूपी में खाली पड़े 3.2 लाख पदों में से 80% ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में हैं. पश्चिम बंगाल के लिए यह आंकड़ा 69% है.