राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और वॉश इंस्टीट्यूट ने मल गाद और सेप्टेज प्रबंधन में क्षमता विकास के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

भारत में विशेष रूप से गंगा के आसपास बसे शहरों में अशोधित मल गाद और शहरी सीवेज जल प्रदूषण का प्रमुख स्रोत है। प्रधानमंत्री की दूरदर्शी पहल स्वच्छ भारत मिशन के तहत 62 लाख से ज्यादा शौचालयों का निर्माण किया गया है। इनमें से आधे शौचालय ऑन-साइट स्वच्छता प्रणाली (ओएसएस) पर निर्भर हैं। भारत के लिए इन शौचालयों से संग्रहित मल का प्रबंधन अगली बड़ी चुनौती है। इन चुनौतियों को देखते हुए, सरकार, शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) के अधिकारियों, एसटीपी/ एफएसटीपी परिचालकों, स्वच्छता कर्मचारियों, भारत के एफएसएसएम क्षेत्र से जुड़े उद्यमियों, एनजीओ पेशेवरों और अन्य हितधारकों में कौशल और समझबूझ विकसित करने के लिए व्यवस्थित रूप से क्षमता विकास की पहल करने की आवश्यकता है।

इस कमी को दूर करने के लिए, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) में अधिकारियों की सेवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रशिक्षणों की श्रृंखला के आयोजन के लिए वाटर, सैनिटेशन एंड हाइजीन इंस्टीट्यूट (वॉश इंस्टीट्यूट) के साथ एक एमओयू किया है। यह एमओयू गंगा बेसिन के कस्बों और शहरों में एफएसएसएम से जुड़े मुद्दों के कुशलता के साथ समाधान करने के लिए भी किया गया है। परियोजना को यूसेड द्वारा वित्तपोषण किया जाएगा और बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा समर्थन दिया जाएगा। इसका उद्देश्य एफएसएसएम (मल गाद और सेप्टेज प्रबंधन) और भारतीय कस्बों व शहरों में अपशिष्ट जल प्रबंधन की दिशा में तैयारियों में सुधार करना है।

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इस भागीदारी में पहले कदम के रूप में, एक वेबिनार के बाद शुरुआत में उत्तर के 20 यूएलबी को शामिल करते हुए दो बैचों का ऑनलाइन विस्तृत प्रशिक्षण पूरा हो चुका है। गंगा बेसिन के राज्यों-पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश को कवर करते हुए कई अन्य ऐसे प्रशिक्षणों का आयोजन करने की योजना बनाई गई है। कुछ प्रशिक्षण विजयवाड़ा, भुवनेश्वर, उदयपुर, पुणे, औरंगाबाद, चेन्नई और हैदराबाद में आयोजित करने की भी योजना है। इस प्रशिक्षण में ओरिएंटेशन प्रशिक्षण, एकीकृत अपशिष्ट जल प्रबंधन, को-ट्रीटमेंट साइट्स की एक्सपोजर विजिट्स, एसटीपी परिचालकों के लिए प्रमाणन कोर्स और एफएसएसएम पर विभिन्न उन्नत प्रशिक्षण शामिल होंगे।

एफएसएसएम में कौशल विकास की दिशा में प्रयासों के लिए वॉश इंस्टीट्यूट को बधाई देते हुए एनएमसीजी के महानिदेशक श्री राजीव रंजन मिश्रा ने कहा, “एफएसएसएम में कुशल कार्यबल की भारी मांग है। वॉश इंस्टीट्यूट के साथ इस समझौते से जल और स्वच्छता प्रबंधन के क्षेत्र में कुशल कार्यबल के विकास में सहायता मिलेगी।” इस एमओयू पर एनएमसीजी के निदेशक (समन्वय) श्री बिनोद कुमार और वॉश इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ तकनीक सलाहकार श्री राजेश पई ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर एनएमसीजी के सलाहकार श्री जगमोहन गुप्ता, एनएमसीजी के कार्यकारी निदेशक (परियोजना) श्री अशोक कुमार सिंह उपस्थित रहे।

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क्षमता विकास परियोजना के चलते शहरी स्थानीय निकाय अपने-अपने शहरों में एफएसएसएम मुद्दों का कुशलता के साथ हल निकाल सकेंगे। साथ ही यूएलबी ज्ञान प्रबंधन डाटाबेस के निर्माण के माध्यम से डाटा आधारित योजना, कार्यान्वयन और वॉश डिलिवरी के प्रबंधन का उपयोग कर सकेंगे। तकनीक, नीति और नियामकीय व वित्तीय पहलुओं को शामिल करते हुए एफएसएसएम क्षेत्र की बुनियादी समझ को मजबूत बनाने के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को तैयार किया गया है।

 

 

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