भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) ने उन्नत रसायन सैल (एसीसी) पीएलआई योजना के लिए संभावित बोलीदाताओं के लिए बोली पूर्व सम्मेलन का आयोजन किया, शानदार प्रतिक्रिया मिली

भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) ने 12 नवंबर, 2021 को एसीसी उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) के लिए संभावित बोलीदाताओं के लिए बोली से पूर्व एक सम्मेलन का आयोजन किया था। एमएचआई ने इससे पहले 22 अक्टूबर, 2021 को आरएफपी जारी किया था, जिसमें 18,100 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 50 गीगा वाट घंटे (जीडब्ल्यूएच) की एसीसी बैटरी भंडारण की कुल विनिर्माण क्षमता के लिए बोलीदाताओं को आमंत्रित किया गया था।

बोली-पूर्व सम्मेलन में बोलीदाताओं से व्यक्तिगत रूप और वर्चुअल माध्यम से लगभग 20 कंपनियों के लगभग 100 प्रतिभागियों के साथ व्यापक भागीदारी और अभिरुचि प्राप्त हुई।

देश में एसीसी बैटरी निर्माण को बढ़ावा देने के लिए नियम और शर्तों, एसीसी विनिर्माण के तकनीकी विवरण और विभिन्न प्रोत्साहनों तथा अवसरों पर प्रस्तुतियां दी गईं। बोली पूर्व सम्मेलन में बोलीदाताओं के प्रश्नों का समाधान किया गया और उन्हें ई-मेल के माध्यम से कोई और स्पष्टीकरण मांगने के लिए कहा गया।

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गुणवत्ता और लागत आधारित चयन (क्यूसीबीएस) तंत्र के अंतर्गत दो चरणों वाली एक पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से ऑनलाइन माध्यम से बोली लगाई जाएगी।

चयन प्रक्रिया की प्रमुख विशेषताओं में पात्रता मानदंड को पूरा करना, पारदर्शी बोली प्रक्रिया, एसीसी बैटरी निर्माण के लिए नवाचार में पूर्ण लचीलापन, अनुकूलित भुगतान संरचनाएं, घरेलू मूल्यवर्धन के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देना और एसीसी विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना शामिल हैं।

एसीसी नई पीढ़ी की अग्रिम भंडारण प्रौद्योगिकियां हैं जो विद्युत ऊर्जा को या तो विद्युत रासायनिक या रासायनिक ऊर्जा के रूप में संग्रहीत कर सकती हैं और आवश्यकता पड़ने पर इसे वापस विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर सकती हैं। आने वाले वर्षों में प्रमुख बैटरी खपत वाले क्षेत्रों, जैसे उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहन, उन्नत बिजली ग्रिड, सोलर रूफ टॉप आदि,में बिक्री की मात्रा में मजबूत वृद्धि हासिल करने की उम्मीद है। यह उम्मीद की जाती है कि प्रमुख बैटरी प्रौद्योगिकियां दुनिया के कुछ सबसे बड़े विकास क्षेत्रों को नियंत्रित करेंगी।

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जबकि कई कंपनियों ने पहले ही बैटरी पैक में निवेश करना शुरू कर दिया है, हालांकि वैश्विक औसत की तुलना में इन कंपनियों की क्षमता बहुत कम है, लेकिन भारत में एसीसी के मूल्यवर्धन के साथ-साथ विनिर्माण में नगण्य निवेश है। एसीसी की सभी मांग वर्तमान में भारत में आयात के माध्यम से पूरी की जा रही है। उन्नत रसायन विज्ञान सेल (एसीसी) बैटरी भंडारण पर राष्ट्रीय कार्यक्रम आयात निर्भरता को कम करेगा। यह आत्मनिर्भर भारत पहल का समर्थन करेगा।

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