“डोलू बताती है कि शहरीकरण ने कैसे स्वदेशी लोक कला शैलियों को नुकसान पहुंचाया है”: इफ्फी 52 भारतीय पैनोरामा फिल्म निर्देशक सागर पुराणिक

 “पारंपरिक कला शैलियों को कायम रहना चाहिये। बेहतर जिंदगी की तलाश में हम अपनी परंपराओं और जड़ों को भूलते जा रहे हैं। डोलू के जरिये, हम यह दिखाना चाहते थे कि कैसे शहरीकरण स्वदेशी लोक कला शैलियों को नुकसान पहुंचा रहा है।” कलाकार सागर पुराणिक अपने द्वारा निर्देशित पहली फिल्म के बारे में बोल रहे थे। उनकी फिल्म को 52वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के उस प्रतिस्पर्धी वर्ग में रखा गया है, जिसमें किसी फिल्मकार की पहली फिल्म रखी जाती है। उल्लेखनीय है कि महोत्सव गोवा में 20 नवंबर से 28 नवंबर, 2021 तक आयोजित हो रहा है। नवांकुर निर्देशक महोत्सव के दौरान 23 नवंबर, 2021 को ‘निर्देशकों से मिलिये प्रेस-वार्ता’ को सम्बोधित कर रहे थे।

 

 

फिल्म का निर्माण प्रसिद्ध कन्नड़ फिल्म निर्देशक पवन वाडेयार और उनकी पत्नी अपेक्षा ने किया है। यह फिल्म कर्नाटक के लोक-नृत्य डोलू कुनीथा पर आधारित है। यह कला बढ़ते शहरीकरण की वजह से धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है। फिल्म का मुख्यपात्र भद्रा डोलू ढोल-नर्तकों के दल का मुखिया है। जब जुनून के ऊपर पैसा हावी हो जाता है, तो यह दल अपना गांव छोड़कर एक निर्मम महानगर बेंगलुरू पहुंच जाता है

 

LIVE | I wrote the story of ‘Nitantai Sahaj Saral’ in 2015 but never had the courage to narrate it to anyone; I thought who will be interested in the story about an ice cream seller – Dir. Satrabit Paul, whose film is at #IFFI52 under Indian Panoramahttps://t.co/v4UhV3lPKe pic.twitter.com/htzJRbdmZD

LIVE | We lost a very dear friend, mentor and one of the most talented film makers in India – Nishikant Kamat in August 2020On that day Jitendra Joshi and I decided to make a film for Nishi sir and it is ‘Godavari’- Director Nikhil Mahajan at #IFFI52 https://t.co/v4UhV3lPKe pic.twitter.com/YL09Qy9hM3

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यहीं भद्रा को एहसास होता है कि उनके दल के प्रदर्शन के बिना तो उनके गांव के मंदिर का वार्षिक अनुष्ठान अधूरा रह जायेगा। सदियों पुरानी परंपरा को जीवित रखने के लिये वह अपने दल को फिर से एकत्र करने का फैसला करता है। इस कोशिश में उसे किन कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, यही इस फिल्म का सार है।

शहरीकरण को दुनिया भर का मुद्दा बताते हुये, सागर पुराणिक ने कहा कि गत वर्षों में कर्नाटक के ग्रामीण इलाकों से बड़े शहरों को विस्थापन हो रहा है, क्योंकि लोग अपना जीवन-स्तर सुधारना चाहते हैं।

“Are we so poor that we have to sell our art to feed ourselves?”Catch Kannada film DOLLU by @sagarpuranik92 at @IFFIGoaA story of vanishing folk dance Dollu Kunitha, Dollu is among the 10 films in #IFFI52 Debut Competition section@PavanWadeyar @PurohitApeksha @aanandaaudio pic.twitter.com/k3vgFiqKEY

उन्होंने कहा कि हालांकि यह कोई गलत बात नहीं है, “लेकिन ऐसा करते हुये, हमें यह सुनिश्चित कर लेना चाहिये कि हम अपनी जड़ों को न भूलें।”

उन्होंने पूरे विश्वास से कहा कि पलक झपकते कोई कला लुप्त नहीं हो सकती। “ऐसे हजारों लोग हैं, जो जिंदा रहने की जद्दो-जहद में लगे हैं। शायद इस कला की लोकप्रियता इसलिये कम हो रही है, क्योंकि युवा इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।”

“फिल्म के जरिये, हम यह संदेश देना चाहते थे कि कला किसी नियम से नहीं बंधी होती और समाज की संरचना उसे परिभाषित नहीं कर सकती।”

नवांकुर निर्देशक के रूप में सामने आई चुनौतियों के बारे में, पुराणिक ने कहा कि वे फिल्म में किसी भी प्रकार के प्रयोग से दूर रहे हैं। “मैंने पुराने जमाने की शुद्ध, सीधी-सादी शैली को अपनाया है। हालांकि, तकनीक के मामले में मैंने खुद अपने सामने चुनौतियां पेश कीं। मैंने गांव के दृश्यों सहित क्लोज-अप शॉट के लिये भी वाइड लेंस का इस्तेमाल किया।”

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उन्होंने बताया कि फिल्म की शूटिंग मुख्य पात्र के नजरिये से की गई है। उन्होंने कहा, “मैंने सिर्फ वही पेश किया है, जो मेरा मुख्य पात्र देखता और सुनता है।”

कलाकारों को फिल्म के अनुसार ढालने में आई अन्य चुनौती के बारे में पुराणिक ने कहाः “यह काम वाकई एक चुनौती था। हमने पेशेवर ढोल-नर्तकों को अभिनय करने के लिये और पेशेवर अभिनेताओं को नृत्य करने के लिये प्रशिक्षित किया।” यह उनके लिये बहुत हाड़तोड़ काम था, लेकिन आज उसका परिणाम सबके सामने है, वे कहते हैं।

कन्नड़ सुपरस्टार स्वर्गीय पुनीत राजकुमार को श्रद्धांजलि देते हुये पुराणिक ने कहा कि पुनीत राजकुमार कन्नड़ फिल्म उद्योग के रीढ़ थे। उन्होंने कहा, “वे हमारी टीम के बहुत करीब थे। उनकी मृत्यु अपूरणीय क्षति है।” पुनीत राजकुमार की चुनी हुई फिल्मों को प्रदर्शित करके इफ्फी 52 इस अत्यंत लोकप्रिय अभिनेता को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है, जिनकी असमय मृत्यु हो गई थी।

डोलू को दर्शकों के लिये पहली बार अमेरिका में आयोजित केलाइडोस्कोप इंडियन फेस्टिवल बॉसटन में पेश किया गया था। उसे इनोवेटिव इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ कन्नड़ फिल्म का दादासाहेब फाल्के पुरस्कार 2021 भी हाल में मिला है।

सागर पुराणिक राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त अभिनेता हैं, जो खासतौर से कन्नड फिल्मों और टेलीविजन उद्योग में कार्यरत हैं। सागर ने फिल्म रिंग रोड सुमा से अपना अभिनय करियर शुरू किया था। यह फिल्म इसलिये भी उल्लेखनीय है कि इसे पूरी तरह महिला फिल्मकर्मियों ने बनाया है और इस तरह की यह पहली कन्नड़ फिल्म है।

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एमजी/एएम/एकेपी