दिल्ली की सीमाओं पर अब किसानों का नहीं मोदी विरोधियों का जमावड़ा है।

दिल्ली की सीमाओं पर अब किसानों का नहीं मोदी विरोधियों का जमावड़ा है।
मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटाने की मांग भी की जा सकती है। आंदोलन की कमान अब चरणजीत सिंह चन्नी ने संभाली।
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19 नवंबर को गुरु नानक देव जी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की जो घोषणा की थी, उसी के अनुरूप 24 नवंबर को कैबिनेट की बैठक में कानूनों को वापस लेने के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया गया। अब जब 29 नवंबर को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होगा, तब संसद से भी कानून वापसी पर मुहर लग जाएगी। सवाल उठता है कि जब कानून विधिवत तौर पर वापस हो रहे हैं, तब दिल्ली की सीमाओं को जाम क्यों रखा है? जिन किसान संगठनों ने कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया था उनमें से अभी अनेक संगठनों ने आंदोलन समाप्ति की घोषणा नहीं की है। कहा जा रहा है कि संसद सत्र के दौरान भी संसद के बाहर प्रदर्शन जारी रहेगा। असल में यह आंदोलन किसानों का नहीं बल्कि मोदी विरोधियों का हो गया है और इस आंदोलन के पीछे वे राजनीतिक दल खड़े हैं जो हर कीमत पर नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटाना चाहते हैं। चूंकि ऐसे राजनीतिक दल लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत तो मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटाने में सफल नहीं हो रहे हैं, इसलिए आंदोलन का सहारा लिया जा रहा है। आंदोलन भी ऐसा जिसमें मांग पूरी हो गई है। कृषि सुधार कानूनों की वापसी के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग बेमानी हो गई है। अब जो मांग रखी जा रही है, उनके लिए किसी आंदोलन की जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार पहले ही कह चुकी है कि अन्य समस्याओं के समाधान के लिए कमेटी बनाई जाएगी। यदि यह वाकई किसानों का आंदोलन होता तो प्रधानमंत्री की घोषणा के साथ ही वापस हो जाता, लेकिन यह आंदोलन मोदी विरोधियों का है, इसलिए न जाने कब तक चलेगा? इससे दिल्ली के करोड़ों लोगों को भारी परेशानी हो रही है। पिछले एक वर्ष से देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर यातायात बाधित है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटाने की मांग भी शुरू कर दी जाए। भारत में ऐसे अनेक लोग हैं जिन्हें अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण पसंद नहीं आ रहा है और न ही जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने से खुश हैं। जिन राजनीतिक दलों के नेताओं के आर्थिक हितों पर गहरी चोट पहुंची है, वह भी चाहते हैं कि मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया जाए। पांच माह बाद उत्तर प्रदेश, पंजाब,उत्तराखंड सहित पांच राज्यों के चुनाव होने हैं। इन चुनावों में भाजपा को हराकर मोदी को राजनीतिक दृष्टि से कमजोर किया जा सकता है, लेकिन विरोधियों को पता है कि इन चुनाव में भाजपा को हराना कठिन होगा, इसलिए आंदोलन के बल पर ही मोदी को हटाने की कार्यवाही की जा रही है। दिल्ली की सीमाओं पर जाम को मजबूत बनाए रखने के लिए अब आंदोलन की कमान कांग्रेस शासित पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने संभाल ली है। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू दुश्मन देश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को पहले ही अपना बड़ा भाई घोषित कर चुके हैं और अब सीएम चन्नी ने आंदोलन की कमान संभाल ली है। इससे आंदोलन के हालातों को समझा जा सकता है।