प्रधानमंत्री ने साहिबजादा जोरावर सिंह जी और साहिबजादा फतेह सिंह जी की शहादत की याद में 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में घोषित किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के शुभ अवसर पर घोषणा की है कि साहिबजादा जोरावर सिंह जी और साहिबजादा फतेह सिंह जी की शहादत की याद में इस वर्ष से 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।

ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, प्रधानमंत्री ने कहा;

“आज, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के शुभ अवसर पर, मुझे यह साझा करते हुए गर्व हो रहा है कि इस वर्ष से, 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। यह साहिबजादों की साहस और न्याय के प्रति उनके संकल्प के लिए उपयुक्त श्रद्धांजलि होगी।

‘वीर बाल दिवस’ उस दिन मनाया जायेगा, जिस दिन साहिबजादा जोरावर सिंह जी और साहिबजादा फतेह सिंह जी एक दीवार में जिंदा चुनवाये जाने के कारण शहीद हुए थे। इन दोनों महान बालकों ने धर्म के नेक सिद्धांतों से विचलित होने की बजाय मृत्यु का वरण किया।   

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माता गुजरी, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी और 4 साहिबजादों की वीरता तथा आदर्श लाखों लोगों को शक्ति प्रदान करते हैं। वे अन्याय के आगे कभी नहीं झुके। उन्होंने एक ऐसे विश्व की कल्पना की, जो समावेशी और सामंजस्यपूर्ण हो। यह समय की मांग है कि अधिक से अधिक लोग उनके बारे में जानें।”

Today, on the auspicious occasion of the Parkash Purab of Sri Guru Gobind Singh Ji, I am honoured to share that starting this year, 26th December shall be marked as ‘Veer Baal Diwas.’ This is a fitting tribute to the courage of the Sahibzades and their quest for justice.

‘Veer Baal Diwas’ will be on the same day Sahibzada Zorawar Singh Ji and Sahibzada Fateh Singh Ji attained martyrdom after being sealed alive in a wall. These two greats preferred death instead of deviating from the noble principles of Dharma.

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The bravery and ideals of Mata Gujri, Sri Guru Gobind Singh Ji and the 4 Sahibzades give strength to millions of people. They never bowed to injustice. They envisioned a world that is inclusive and harmonious. It is the need of the hour for more people to know about them.

ਅੱਜ, ਸ਼੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਪੁਰਬ ਦੇ ਸ਼ੁਭ ਅਵਸਰ ‘ਤੇ, ਮੈਨੂੰ ਇਹ ਦੱਸਦੇ ਹੋਏ ਮਾਣ ਮਹਿਸੂਸ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਵਰ੍ਹੇ ਤੋਂ 26 ਦਸੰਬਰ ਨੂੰ ‘ਵੀਰ ਬਾਲ ਦਿਵਸ’ ਵਜੋਂ ਮਨਾਇਆ ਜਾਵੇਗਾ। ਇਹ ਸਾਹਿਬਜ਼ਾਦਿਆਂ ਦੇ ਸਾਹਸ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਨਿਆਂ ਦੀ ਖੋਜ ਪ੍ਰਤੀ ਢੁਕਵੀਂ ਸ਼ਰਧਾਂਜਲੀ ਹੈ।

 

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